असिफ़ शेखी का डिहराडून सेट पर पतन: दर्द से अस्पताल तक की कहानी

जब Aasif Sheikh, अभिनेता ने 24 मार्च 2025 को डिहराडून में सेट पर अचानक गिरते हुए देखा, तो पूरी टीम के मन में एक ही सवाल घूमा – क्या यह इतना गंभीर है कि शूटिंग रुक जाए?

वह दिन Bhabiji Ghar Par Hain फिल्म निर्माणDehradun का अंतिमे चरण था, जहाँ शो की पूरी कास्ट एक महीने से अधिक समय तक शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण एक्शन सीक्वेंसेज़ में उलझी हुई थी। असिफ़ ने कहा कि फुट में सुन्नता और सियाटिका दर्द ने उन्हें झकझोर दिया, और जल्द ही वे खड़े नहीं हो पाए।

पर्दे के पीछे की कहानी: सेट पर क्या हुआ?

शूटिंग स्थल पर मौजूद मेडिकल टीम ने तुरंत प्राथमिक उपचार किया, लेकिन दर्द की तीव्रता ने उन्हें डिहराडून के नजदीकी अस्पताल ले जाने के लिए मजबूर कर दिया। Dehradun में दो घंटे के निरीक्षण के बाद डॉक्टरों ने बताया कि यह मसल्स्पाज़्म और डिस्क की समस्या है, जिसके लिए स्ट्रॉइड्स और दर्द निवारक दवाएं आवश्यक थीं।

इसी बीच, असिफ़ ने बताया कि उन्होंने अपने वैनीटी वैन में थोड़ा आराम करने की कोशिश की, लेकिन फिर अचानक पैर में कमजोरी महसूस की और पूरी ताकत खो दी। फिर भी, उन्होंने अपनी पेशेवर जिम्मेदारी नहीं भुलायी और भारी दर्द निवारक ले कर बाकी शॉट्स पूरे कर लिये, क्योंकि वह शूटिंग शेड्यूल का दूसरा‑आखिरी दिन था।

शारीरिक दबाव और स्वास्थ्य जोखिम

टेलीविज़न से लेकर बड़े‑बड़े फ़िल्म प्रोजेक्ट तक, असिफ़ शेखी ने 1988 से अपनी कला को निखारा है। लेकिन लगातार एक महीने तक कठोर एक्शन सीन की जरूरत ने उनके रीढ़ की हड्डी पर अनिवार्य दबाव डाल दिया। विशेषज्ञों का कहना है कि सियाटिका दर्द अक्सर लंबे समय तक बैठने या गलत उठाने की तकनीक से उत्पन्न होता है, और यदि तुरंत इलाज न किया जाए तो स्थायी क्षति का खतरा बढ़ जाता है।

  • शूटिंग की अवधि: लगभग 30 दिन
  • दुर्लभ घटनाएँ: इस तरह का गिरना पिछले दो साल में केवल दो बार ही रिपोर्ट किया गया
  • सामान्य उपचार: स्टेरॉयड इंजीक्शन, फिजियोथेरेपी, 7‑10 दिन का बेड‑रेस्ट
  • असिफ़ की आयु: 57 वर्ष

एक फिटनेस कोच, जिसका नाम रवीश कुमार है, ने बताया, “ऐसे सीन में उछल-कूद और तेज़ हलचल होती है, इसलिए पहले से एक मजबूत कोर ट्रेनिng और नियमित स्ट्रेッチिंग जरूरी है। नहीं तो अचानक फट जाएगा।”

मीडिया रिपोर्टों की सच्चाई vs कलाकार का बयान

शुरुआती खबरों में बताया गया कि असिफ़ को मुंबई तक व्हीलचेयर में ले जाया गया और वह “हॉस्पिटलाइज़्ड” था। लेकिन असिफ़ खुद ने स्पष्ट किया कि यह बात कुछ हद तक बढ़ा-चढ़ा कर पेश की गई थी। उन्होंने कहा, “हॉस्पिटल में ज़्यादा देर नहीं रहा, बस तुरंत इलाज़ हुआ और फिर मुंबई वापसी हुई। खबरें बहुत अधिक उभरीं।”

एक स्रोत, जो प्रोडक्शन टीम के करीब है, ने ज़ूम को बताया, “सेट पर थकान के कारण ही वह गिरा, लेकिन डॉक्टरों ने तुरंत दवाएँ दी और आगे की जांच के लिए मुंबई ले आए।” इस बीच, इंडस्ट्री के एक वरिष्ठ प्रोड्यूसर, सतवुर्मन पांडेय, ने कहा, “एसी घटनाएँ हमें याद दिलाती हैं कि स्टंट कोरिडोर में उचित मेडिकल सपोर्ट होना चाहिए, वरना कलाकार की सेहत खतरे में पड़ सकती है।”

उद्योग विशेषज्ञों की राय और भविष्य की सावधानियां

उद्योग विशेषज्ञों की राय और भविष्य की सावधानियां

इंडियन टेलीविज़न अकादमी (ITA) के सदस्य डॉ. रचना मेहरा ने कहा, “टेलीविज़न में अब्शन एंट्री लक्षण नहीं हैं, बल्कि इसे प्रोफेशनल हैंडबुक बनाना पड़ेगा। शूटिंग के दौरान रेगुलर हेल्थ चेक‑अप, बैक‑फोर्टिफिकेशन प्रोग्राम और स्टंट कोऑर्डिनेटर की उपस्थिति अनिवार्य होनी चाहिए।”

फाइल में मिलते डेटा के अनुसार, पिछले पाँच वर्षों में इंडस्ट्री में 12% कलाकारों ने शारीरिक थकान के कारण शूटिंग रोकनी पड़ी। यह संख्या कॉमेडी शोज़ में 8% और एक्शन‑ड्रामा में 20% तक पहुँच गई है।

भविष्य में क्या उम्मीद है?

असिफ़ ने आशावादी स्वर में कहा, “मैं अगले हफ्ते तक ठीक हो जाऊँगा और फिर से कैमरे के सामने आऊँगा।” उनके मेडिकल टीम ने भी बेड‑रेस्ट, हल्की फिजियोथेरेपी और एक MRI स्कैन की सलाह दी है ताकि सटीक डायग्नोसिस हो सके।

शो के निर्माता, Bhabiji Ghar Par Hain, ने घोषणा की है कि बाकी एपिसोड पहले से निर्धारित शेड्यूल में ही रिलीज़ हो जाएंगे, और इस घटना के बाद उन्होंने सभी कलाकारों के लिए व्यापक मेडिकल कवरेज लागू करने का वादा किया है।

कुल मिलाकर, यह घटना इस बात की याद दिलाती है कि मनोरंजन उद्योग में भी स्वास्थ्य सुरक्षा को प्राथमिकता देना कितना ज़रूरी है। असिफ़ के अनुभव से कई प्रोडक्शन हाउस आगे से बेहतर तैयारी कर सकते हैं, जिससे दर्शकों को न सिर्फ मज़ेदार कंटेंट मिले, बल्कि कलाकारों की ज़िंदगी भी सुरक्षित रह सके।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

असिफ़ शेखी की स्थिति कितनी गंभीर थी?

डिहराडून में तुरंत उपचार के बाद डॉक्टरों ने बताया कि मसल्स्पाज़्म और सियाटिका दर्द के कारण दर्दनाक स्थिति थी, लेकिन जीवन के लिए खतरा नहीं था। उन्हें स्ट्रॉइड इन्जेक्शन और दर्द निवारक दी गईं, और फिर मुंबई में पूरी निगरानी के तहत आराम करने की सलाह दी गई।

क्या यह घटना पूरी तरह से मीडिया द्वारा बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत की गई?

हां, शुरुआती रिपोर्टों में कहा गया था कि असिफ़ को अस्पताल में भर्ती किया गया और बहुत समय तक रोगी रखा गया। असिफ़ ने खुद स्पष्ट किया कि अस्पताल में उनका समय छोटा था और अधिकतर उपचार मुंबई में जारी रहा।

सेट पर इस तरह की दुर्घटनाओं से बचने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?

उद्योग विशेषज्ञों ने नियमित मेडिकल चेक‑अप, पेशेवर स्टंट कोऑर्डिनेटर की मांग, और फिजियोथेरेपी की सुविधा देने की सिफ़ारिश की है। कई प्रोडक्शन हाउस अब शूटिंग से पहले और दौरान हल्के वॉर्म‑अप और स्ट्रेचिंग सत्र शामिल कर रहे हैं।

असिफ़ शेखी कब तक पूरी तरह से ठीक होने की उम्मीद कर रहे हैं?

असिफ़ ने बताया कि उन्हें एक हफ़्ते का बेड‑रेस्ट बताया गया है। शुरुआती जांच के बाद, यदि MRI में कोई गंभीर समस्या नहीं पाई गई, तो वे अगले 5‑7 दिनों में हल्के एक्टिविटी फिर से शुरू करने की योजना बना रहे हैं।

Bhabiji Ghar Par Hain शो पर इस घटना का क्या असर पड़ेगा?

शो के निर्माण में थोड़ी देरी तो हुई, पर बाकी एपिसोड पहले से तय समय पर ही टेलीविज़न पर आएंगे। निर्माता ने कहा है कि भविष्य में कलाकारों के स्वास्थ्य की बेहतर देखभाल के साथ जारी रहने की पूरी कोशिश करेंगे।

टिप्पणि (12)

  1. Vibhor Jain
    Vibhor Jain

    सही है, एक महीने की लगातार एक्शन शूट में बॉडी को रिचार्ज नहीं मिलती तो ऐसी गिरावट हो ही सकती है। सेट पर त्वरित मेडिकल सपोर्ट न होना काफी खतरनाक है, खासकर 57 साल की उम्र में। अगर प्रोडक्शन ने पहले से फिजियोथेरेपी सत्र आयोजित किए होते तो शायद यह एपीडीए नहीं हुआ होता। आशा है अब से ऐसा प्रोटोकॉल सब जगह लागू होगा।

  2. Rashi Nirmaan
    Rashi Nirmaan

    भारतीय टेलीविजन उद्योग को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मानकों का कड़ाई से पालन करना चाहिए।

  3. Ashutosh Kumar Gupta
    Ashutosh Kumar Gupta

    देखिए, असिफ़ साहब की ताकत अब इतनी पतली हो गई है, जैसे कोई पुराना काश्मीर का पतरस। एक्शन के नाम पर वो खुद को घायलों की कतार में डाल रहे हैं, यही दीनता है। प्रोडक्शन को चाहिए कि कलाकारों को गंभीर शारीरिक परीक्षण से पहले मंजूरी दे। नहीं तो आगे चलकर और भी बड़े सितारे ऐसे ही गिरते दिखेंगे। पूरी इंडस्ट्री को इस शोषण की लहर से बचना चाहिए।

  4. fatima blakemore
    fatima blakemore

    इंसान का शरीर एक बर्तन है, अगर हम उसके रखरखाव को नज़रअंदाज़ कर दें तो वह फट जाएगा। असिफ़ भैया की कहानी हमें याद दिलाती है कि मेहनत के साथ आराम भी ज़रूरी है। अगली बार सेट पर थोड़ा योगा व स्ट्रेचिंग जोड़ दें, बस इतना ही काफी होगा।

  5. vikash kumar
    vikash kumar

    ऐसे दुर्लभ घटनाक्रम को प्रॉफ़ेशनल सेट‑मैनेजमेंट के अभाव में सिद्धान्ततः विश्लेषित किया जाना चाहिए।

  6. Shubham Abhang
    Shubham Abhang

    देखिए , सही , सेट पर फिज़ियो‑थेरेपी का नियोजन होना चाहिए , वर्ना असिफ़ जैसे बड़े कलाकार की हड्डी टूट सकती है । इसलिए , प्रोडक्शन हाउस को शुरू से ही एक मेडिकल‑कम्प्लायंस टिम बनानी चाहिए , ताकि ऐसे इंसिडेंट फिर न हो । साथ ही , दरज से डॉक्टर की परामर्श लेना भी अवश्यक है ।

  7. Trupti Jain
    Trupti Jain

    सच कहूँ तो इस पूरी कहानी में एक तरह की ड्रामा रीफ़्लेक्शन है, जैसे एक फिल्म के सीन में बिन एडिटिंग के कट लग गया हो। असिफ़ की पीड़ा को देखकर लगता है कि प्रोडक्शन ने मज़ा में हड्डी तोड़ दी। लेकिन इस उलझन में एक बात तो है जो पेड़ की छाँव जैसा ठंडा असर देती है-किसी ने शुरुआती रिपोर्ट को थोड़ा सा बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया। फिर भी, कुल मिलाकर यह घटना हमें स्वास्थ्य सुरक्षा पर ध्यान देने का अवसर देती है।

  8. Maneesh Rajput Thakur
    Maneesh Rajput Thakur

    भाई, इस पूरे इवेंट में कुछ तो गड़बड़ ज़रूर है। अक्सर बड़े प्रोजेक्ट्स में देखी गयी है कि मेडिकल सपोर्ट को कम करके दिखाया जाता है, ताकि बजट बचाया जा सके। फिर भी, कुछ गुप्त क्लॉज़़ होते हैं जो प्रोडक्शन को इस तरह के इन्शुरेंस को स्किप करने की आज़ादी देते हैं। असिफ़ के केस में भी शायद ऐसा ही कुछ हुआ हो, क्योंकि अस्पताल में उनका समय बहुत छोटा बताया गया। यदि उद्योग में पारदर्शिता नहीं आएगी तो भविष्य में और भी गंभीर चोटें हो सकती हैं।

  9. Himanshu Sanduja
    Himanshu Sanduja

    मैं समझता हूँ कि कई बार बजट की पाबंदियां कठिन निर्णय लेती हैं, पर स्वास्थ्य को कम नहीं आँका जाना चाहिए। असिफ़ जैसे अनुभवी कलाकार की सुरक्षा को प्राथमिकता देना चाहिए, चाहे खर्च कुछ भी हो। अगर प्रोडक्शन टीम ने उचित मेडिकल सुविधाएँ प्रदान कीं होती तो यह स्थिति काफी अलग होती। हमें सभी स्तरों पर देखभाल को ज़रूरी मानना चाहिए।

  10. Kiran Singh
    Kiran Singh

    बिलकुल सही कहा तुमने! 🙌 हर कलाकार को सुरक्षित महसूस करना चाहिए, ऐसा ही सकारात्मक माहौल बनता है 💪🚑। आशा है अब से प्रोडक्शन में हेल्थ चेक‑अप रूटीन बन जाए।

  11. Balaji Srinivasan
    Balaji Srinivasan

    मैं सिर्फ यही जोड़ूँगा कि इस तरह की घटनाएँ हमें टीम वर्क और प्रोटोकॉल के महत्व की याद दिलाती हैं।

  12. Anurag Narayan Rai
    Anurag Narayan Rai

    असिफ़ शेखी जी की डिहराडून में हुई गिरावट एक व्यक्तिगत दुर्घटना से अधिक, आज के भारतीय मनोरंजन उद्योग की संरचनात्मक कमजोरियों की झलक है। लगातार एक महीने तक आराम‑भरे शारीरिक ब्रेक के बिना एक्शन सीक्वेंस का शेड्यूल बनाए रखना न केवल कलाकार के स्वास्थ्य को जोखिम में डालता है, बल्कि उत्पादन की गुणवत्ता को भी प्रभावित कर सकता है। कई शोधों ने प्रमाणित किया है कि लम्बे समय तक एक ही शारीरिक तनाव में रहना मसल्स्पाज़्म, सियाटिका और यहाँ तक कि स्थायी डिस्क क्षति का कारण बन सकता है। इस संदर्भ में, असिफ़ जी की दर्दनाक गिरावट यह दर्शाती है कि सेट पर त्वरित प्राथमिक उपचार और निरंतर चिकित्सा निगरानी कितनी आवश्यक है। यदि प्रोडक्शन हाउस ने शुरुआत में ही फिजियोथेरेपी सत्र और वार्म‑अप रूटीन को अनिवार्य किया होता, तो शायद यह घटना टलाई जा सकती थी। इसके अलावा, मेडिकल टीम की उपलब्धता को केवल आकस्मिक नहीं, बल्कि सतत् समर्थन के रूप में मानना चाहिए, जिससे किसी भी क्षण में उचित हस्तक्षेप संभव हो सके। जबकि मीडिया ने इस घटना को सनसनीखेज बनाकर पेश किया, असली मापदंड यह है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस नीतियाँ बनें। उदाहरण हेतु, इंडियन टेलीविज़न अकादमी द्वारा प्रस्तावित हेल्थ‑चेक‑अप प्रोटोकॉल को सभी प्रसादों में अनिवार्य किया जा सकता है। यह प्रोटोकॉल न केवल शारीरिक स्वास्थ्य की निगरानी करेगा, बल्कि मानसिक तनाव को भी मापेगा, जो अक्सर अनदेखा रह जाता है। एक अंतःविषयी दृष्टिकोण अपनाते हुए, हमने देखा है कि जब कलाकारों को पर्याप्त आराम और पुनर्वास नहीं मिलता, तो उनके प्रदर्शन में गिरावट आती है और दर्शकों की संतुष्टि पर भी असर पड़ता है। इस वजह से, प्रोडक्शन हाउस को लागत‑लाभ विश्लेषण में स्वास्थ्य खर्च को एक निवेश के रूप में देखना चाहिए, न कि एक बोझ के रूप में। कई अंतरराष्ट्रीय स्टूडियो ने पहले ही इस प्रकार की स्वास्थ्य‑सुरक्षा नीतियों को लागू किया है और उनका परिणाम सकारात्मक रहा है। भारत में भी अब समय आ गया है कि हम इन प्रथाओं को अपनाएँ और अपने कलाकारों को सम्मानित करें। असिफ़ जी की चतुराई और पेशेवराना इरादा यह दर्शाता है कि वे अपनी ज़िम्मेदारी को समझते हैं, फिर भी उन्हें समर्थन की आवश्यकता है। अंत में, यह घटना एक चेतावनी है कि चाहे कलाकार कितना भी अनुभवी या प्रतिष्ठित क्यों न हो, शरीर की देखभाल हर किसी के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण है। आशा है कि भविष्य में प्रोडक्शन कंपनियां इस सबक को अपनाएँगी और पूरी इंडस्ट्री में स्वास्थ्य सुरक्षा की एक नई मानक स्थापित होगी।

एक टिप्पणी लिखें