आयशा खरे ने मातृभाषा के महत्व पर रखी अपनी बात: 'मेरी पहचान का हिस्सा है सिंधी भाषा'

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर आयशा खरे ने व्यक्त की अपनी भावनाएं

अभिनेत्री आयशा खरे, जिन्हें ज़ी टीवी के लोकप्रिय शो 'भाग्य लक्ष्मी' में लक्ष्मी की भूमिका के लिए जाना जाता है, ने अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के मौके पर अपनी मातृभाषा सिंधी के महत्व पर विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि कैसे यह भाषा उनकी सांस्कृतिक पहचान का आधार बनी और उन्हें अपनी जड़ों से जोड़े रखने में मदद की।

सिंदही भाषा से सांस्कृतिक जुड़ाव और महत्व

आयशा ने बताया कि उनके माता-पिता ने बचपन से ही उन्हें सिंधी भाषा को अपनाने और उसे गहराई से जानने के लिए प्रोत्साहित किया। यह भाषा उनके लिए सिर्फ बातचीत का माध्यम नहीं है, बल्कि यह उन्हें अपनी परंपरागत जड़ें समझने में मदद करती है।

आयशा ने यह भी कहा कि वैश्वीकरण के इस दौर में विभिन्न भाषाओं की विलुप्ति की समस्या सामने आ रही है, लेकिन मातृभाषाएं हमारी पहचान और संस्कृति को जिंदा रखने में अहम भूमिका निभाती हैं। अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर, उन्होंने भाषा विविधता के महत्व पर जोर दिया।

अभिनेत्री ने बताया कि इस तरह के दिवस न केवल भाषाई विविधता को मनाने का अवसर देते हैं, बल्कि इसकी सुरक्षा के लिए लोगों में जागरूकता भी बढ़ाते हैं। विशेष रूप से वे भाषाएं, जो विलुप्ति के कगार पर हैं, उनकी सुरक्षा और संरक्षण के लिए कदम उठाना नितांत आवश्यक है।

आयशा खरे का यह संदेश उनकी कला जीवन से भी गहराई से जुड़ा है क्योंकि वे मानती हैं कि एक कलाकार के लिए अपनी जड़ों का सम्मान करना और उन्हें जीवित रखना बेहद जरूरी है।

टिप्पणि (14)

  1. manisha karlupia
    manisha karlupia

    मैंने कभी सिंधी भाषा नहीं सीखी लेकिन आयशा के बयान ने मुझे झकझोर दिया
    हम सब अपनी मातृभाषा को इतना आम बना लेते हैं कि उसकी गहराई को भूल जाते हैं
    ये भाषा सिर्फ शब्दों का समूह नहीं है ये तो हमारे पूर्वजों की सांसके हैं
    मैंने अपनी दादी को गीत गाते सुना था उस भाषा में और आज भी वो आवाज़ मेरे कानों में गूंजती है
    हमें बस इतना करना है कि अपने बच्चों को इसे बोलने का मौका दें
    कोई बड़ा प्रयास नहीं चाहिए बस रोज़ एक गाना गाओ या एक कहानी सुनाओ
    इससे ज्यादा कुछ नहीं चाहिए

  2. vikram singh
    vikram singh

    अरे ये सब तो बहुत रोमांचक है लेकिन क्या कोई सोचता है कि ये भाषाएं जिंदा कैसे रहेंगी जब हमारे बच्चे टिकटॉक पर हिंदी और अंग्रेजी के मीम्स बना रहे हैं?
    मैंने एक बार सिंधी में एक रैप बनाया था और उसे 12 लोगों ने देखा
    मैंने उसे यूट्यूब पर डाला था और कमेंट में एक आदमी ने लिखा 'भाई ये क्या बकवास है' और मैं बस रो पड़ा
    हमें भाषाओं को बचाने के लिए नए फॉर्मेट्स चाहिए न कि बस भावुक बयान
    मैंने सोचा था कि एक आर्टिस्ट जैसे आयशा ऐसा करेगी लेकिन अब लगता है ये सब बस एक इंस्टाग्राम स्टोरी है

  3. balamurugan kcetmca
    balamurugan kcetmca

    मैं एक भाषा विशेषज्ञ हूँ और मैं आपको बता सकता हूँ कि सिंधी भाषा कितनी समृद्ध है
    इसमें लगभग 12,000 शब्द हैं जो केवल सिंधी में मौजूद हैं और इनका कोई अंग्रेजी या हिंदी में सीधा अनुवाद नहीं है
    उदाहरण के लिए 'पालियो' शब्द जो एक खास तरह की चीज़ को दर्शाता है जो आप बिना सिंधी संस्कृति के समझ नहीं सकते
    ये भाषा बहुत सारे धार्मिक ग्रंथों की भाषा है जिन्हें अभी तक कोई अनुवाद नहीं किया
    हम अपनी भाषा को बचाने के लिए डिजिटल डेटाबेस बनाना चाहिए जिसमें लोग शब्दों को अपलोड कर सकें
    एक ऐप बनाया जा सकता है जहाँ आप एक शब्द बोलें और उसका अर्थ और उसका इतिहास देख सकें
    और हाँ आयशा का बयान बहुत अच्छा था लेकिन ये सिर्फ शुरुआत है
    हमें इसे एक आंदोलन में बदलना होगा न कि एक इंस्टाग्राम पोस्ट बनाना
    मैंने अपने बच्चों को सिंधी सिखाया है और वो अब घर पर इसे बोलते हैं
    लेकिन उनके दोस्त उन्हें तंग करते हैं क्योंकि वो 'अजीब बोलते हैं'
    हमें इस तरह के बच्चों को समर्थन देना होगा न कि उन्हें शर्मिंदा करना
    हमारी भाषा हमारी आत्मा है और अगर हम इसे खो देंगे तो हम खुद को खो देंगे

  4. Arpit Jain
    Arpit Jain

    अरे भाई ये सब बकवास है
    कोई भाषा जिंदा रहती है तभी जब लोग उसे बोलें न कि जब कोई एक्ट्रेस इसके बारे में बात करे
    मैंने सिंधी भाषा को देखा है और ये बस एक बोली है जिसे कोई नहीं बोलता
    अगर आयशा इतनी गहराई से जुड़ी है तो उसने अपने फिल्मों में सिंधी में डायलॉग नहीं डाले
    ये सब बस प्रचार है
    मैंने एक बार एक दोस्त को बोलते सुना था और उसने बस एक शब्द बोला और मैंने समझ नहीं पाया
    ये भाषा तो अब दफन हो चुकी है

  5. Karan Raval
    Karan Raval

    मैं अपने घर में बच्चों को मातृभाषा में गाने गाती हूँ
    और जब वो बड़े होते हैं तो वो उसे अपने दोस्तों के साथ बोलने लगते हैं
    ये बहुत छोटा कदम है लेकिन ये बहुत बड़ा है
    आयशा का बयान मुझे बहुत प्रेरित करता है
    हम सब छोटे कदम उठा सकते हैं
    बस एक शब्द बोलो और दोहराओ
    कोई बड़ा बदलाव नहीं चाहिए
    बस एक दिन एक बार अपनी भाषा को याद करो
    और बच्चों को दिखाओ
    ये इतना आसान है लेकिन हम इसे भूल जाते हैं

  6. divya m.s
    divya m.s

    अरे ये सब बहुत अच्छा है लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि ये भाषाएं जिंदा रहने के लिए नए शब्द चाहती हैं
    हम अभी भी बात कर रहे हैं जैसे हम अभी 1950 के दशक में हैं
    सिंधी में 'टिकटॉक' का क्या मतलब है
    क्या इसका कोई शब्द है
    नहीं तो ये भाषा तो बस एक समाधि है
    हमें नए शब्द बनाने होंगे न कि पुराने गीत गाने
    मैंने एक बार सिंधी में 'गूगल' के लिए 'जानकारी देने वाला देवता' लिखा था और लोग हंस पड़े
    लेकिन ये तो बहुत बढ़िया था
    हमें अपनी भाषा को आधुनिक बनाना होगा न कि उसे म्यूजियम में रखना

  7. PRATAP SINGH
    PRATAP SINGH

    मैं इस बात से सहमत नहीं हूँ कि भाषाएं हमारी पहचान हैं
    मेरी पहचान मेरी शिक्षा है मेरी कार्यक्षमता है और मेरा नेटवर्क है
    भाषा बस एक उपकरण है
    अगर आप अंग्रेजी में दुनिया को जीत सकते हैं तो आपको सिंधी की जरूरत क्यों है
    ये सब भावुकता है जिसे लोग अपनी असफलता को छिपाने के लिए इस्तेमाल करते हैं
    मैं अपने बच्चों को हिंदी और अंग्रेजी ही सिखाता हूँ क्योंकि ये भविष्य है

  8. Akash Kumar
    Akash Kumar

    सिंधी भाषा का इतिहास अत्यंत समृद्ध है और इसका विकास सातवीं शताब्दी से शुरू हुआ
    इस भाषा में बहुत सारे साहित्यिक ग्रंथ हैं जिन्हें अभी तक अनुवादित नहीं किया गया है
    हमें इस भाषा के लिए विश्वविद्यालयों में अध्ययन कार्यक्रम शुरू करने चाहिए
    और इसके लिए सरकारी वित्तपोषण भी आवश्यक है
    आयशा खरे का बयान बहुत प्रेरक है लेकिन इसे एक अस्थायी भावना नहीं बनाना चाहिए
    इसे एक नीति में बदलना होगा
    मैंने अपने विश्वविद्यालय में सिंधी भाषा का एक छोटा सा कोर्स शुरू किया है और लगभग 30 छात्र इसमें शामिल हुए हैं
    ये एक छोटा कदम है लेकिन ये एक शुरुआत है

  9. Shankar V
    Shankar V

    क्या आपको पता है कि सिंधी भाषा के विलुप्त होने का एक गुप्त कारण है
    ये सब एक आयोजन है जिसे किसी ने बनाया है ताकि हम अपनी पहचान खो दें
    ये भाषाएं बनाई गई हैं ताकि हम अलग रहें
    और अब जब हम एक दूसरे से जुड़ने लगे हैं तो वो इसे रोकना चाहते हैं
    आयशा खरे शायद इस योजना की एक भाग हैं
    उन्हें किसी ने बताया होगा कि ये बोलना है
    क्योंकि अगर ये सच होता तो तमाम सिंधी लोग इसे अपने घरों में बोलते
    लेकिन वो नहीं बोलते क्योंकि वो डरते हैं
    मैंने एक बार एक सिंधी दोस्त से पूछा था और उसने कहा 'मैं बोलना चाहता हूँ लेकिन मुझे लगता है कि ये खतरनाक है'
    ये एक षड्यंत्र है

  10. Aashish Goel
    Aashish Goel

    मैंने आयशा का वीडियो देखा... और फिर मैंने अपने दादा को बुलाया... और उन्होंने एक गीत गाया... और मैं रो पड़ा
    मैंने कभी नहीं सुना था इसे... मैंने कभी नहीं पूछा था...
    मैंने अपने घर की बातचीत में एक शब्द भी नहीं सुना था...
    मैंने अपने दादा को बोलने के लिए कहा... और वो बोले... और मैंने रिकॉर्ड किया...
    अब मैं इसे अपने फोन में रखता हूँ... और हर रात सुनता हूँ...
    मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक शब्द मेरे दिल को इतना छू सकता है...
    मैं अब अपने बच्चे को ये गीत सुनाऊंगा...
    और फिर... मैं उसे बोलना सिखाऊंगा...
    मैं नहीं जानता कि क्या होगा...
    लेकिन मैं जानता हूँ कि अगर मैं नहीं करूंगा...
    तो कोई नहीं करेगा...

  11. leo rotthier
    leo rotthier

    हम भारतीयों को अपनी भाषाओं को बचाना चाहिए लेकिन ये सिंधी भाषा को बचाने के लिए नहीं है जो कि एक छोटी जाति की भाषा है
    हमें हिंदी को बचाना चाहिए जो कि असली भाषा है
    सिंधी लोग तो पाकिस्तान में गए हैं और अब वो अपनी भाषा को भूल रहे हैं
    हम अपने समय को बर्बाद मत करो
    हिंदी भारत की भाषा है और इसे बचाना है

  12. Karan Kundra
    Karan Kundra

    मैंने अपने बेटे को सिंधी बोलना सिखाया है और वो अब अपने दादा के साथ बात करता है
    मैंने एक बार उसे बाजार में एक दुकानदार से सिंधी में बात करने के लिए कहा और दुकानदार ने उसे एक बर्फी दे दी
    उस दिन वो बहुत खुश था
    हमें बस इतना करना है कि अपने बच्चों को इसे बोलने का मौका दें
    और उन्हें ये बताएं कि ये उनकी शक्ति है
    हमें डरने की जरूरत नहीं है
    हमें बस बोलना है

  13. Vinay Vadgama
    Vinay Vadgama

    मातृभाषा का संरक्षण एक सामाजिक जिम्मेदारी है जिसे हमें शैक्षिक संस्थानों और सरकारी नीतियों के माध्यम से समर्थन देना चाहिए
    आयशा खरे के बयान का एक अच्छा असर हुआ है लेकिन यह एक लंबी यात्रा की शुरुआत है
    हमें भाषाओं के लिए डिजिटल संरक्षण योजनाएं बनानी चाहिए
    और इन भाषाओं को शिक्षा के माध्यम से प्रचारित करना चाहिए
    हमारे बच्चों को यह जानकारी देनी चाहिए कि भाषा एक विरासत है और इसे संरक्षित करना हमारा कर्तव्य है

  14. Pushkar Goswamy
    Pushkar Goswamy

    मैंने आयशा के बयान को सुना और मुझे लगा कि ये बहुत बड़ी बात है
    लेकिन फिर मैंने देखा कि उसने अपनी फिल्मों में कभी सिंधी में बात नहीं की
    ये बस एक शो है
    मैंने अपने दादा को बोलते सुना है और वो बहुत अच्छी तरह से बोलते थे
    मैंने उन्हें रिकॉर्ड किया था और अब मैं उसे अपने बेटे को सुनाता हूँ
    लेकिन जब मैं आयशा को देखता हूँ तो मुझे लगता है कि वो बस एक इंस्टाग्राम पोस्ट के लिए बोल रही हैं
    मैं उनके लिए नहीं बल्कि अपने दादा के लिए रोता हूँ

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