कपिल परमार ने पैरालिंपिक्स में भारत के लिए जीता ऐतिहासिक जूडो कांस्य पदक

कपिल परमार ने पैरालिंपिक्स में भारत के लिए जीता ऐतिहासिक जूडो कांस्य पदक

कपिल परमार ने गुरुवार को पेरिस 2024 पैरालिंपिक खेलों में इतिहास रचते हुए जूडो में भारत के लिए पहला कांस्य पदक जीता। पुरुषों के 60 किग्रा (J1) वर्ग में उन्होंने ब्राज़ील के एलिएल्टन डी ओलिवेरा को शानदार तरीके से 10-0 से हराकर यह पदक हासिल किया। जबकि सेमीफाइनल में ईरान के एस बनिताबा खोर्रम अबादी से हार गए थे, परमार ने ब्रॉन्ज मेडल मैच में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।

कपिल परमार का अद्वितीय प्रदर्शन

J1 वर्ग में प्रतियोगी वे होते हैं जिनकी दृष्टि या तो बिलकुल नहीं होती या बहुत ही कम होती है। इनकी वेशभूषा पर लाल घेरों से संकेत होता है जिससे यह पता चलता है कि उन्हें मार्गदर्शन की आवश्यकता हो सकती है। कपिल परमार, जिनका जन्म मध्य प्रदेश के शिवार नामक छोटे से गाँव में हुआ था, ने इस प्रतियोगिता में अपनी पूरी क्षमता दिखाई। उनके पिता टैक्सी ड्राइवर हैं और उनकी बहन एक प्राथमिक स्कूल चलाती हैं।

चार भाई-बहनों में सबसे छोटे कपिल परमार का जूडो के प्रति लगाव तब शुरू हुआ जब उनका बचपन का एक हादसा हुआ। खेतों में खेलते वक्त उन्हें तीव्र बिजली का झटका लगा जिससे वे छह महीने तक कोमा में रहे। लेकिन इस भयानक घटना ने उनकी जूडो के प्रति दृढ़ता को कम नहीं किया।

जेजेओन (Judokans) की महनत

कपिल का कहना है कि उनके परिवार के साथ-साथ उनके कोच भगवंत दास और मनोज ने उनके करियर में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके मध्यम भाई भी जूडो में शामिल हैं और अक्सर उनके साथ प्रशिक्षण करते हैं। साल 2022 में उन्होंने एशियन गेम्स में सिल्वर मेडल जीतकर अपनी पहचान बनाई थी, लेकिन पैरालिंपिक्स में यह ब्रॉन्ज मेडल उनसे कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।

क्वार्टरफाइनल में, कपिल ने वेनेज़ुएला के मार्को डेनिस ब्लैंको को भी 10-0 से मात दी। हालांकि, कांस्य पदक की यात्रा में उन्हें दो मुकाबलों में पीले कार्ड मिले, जो आमतौर पर पासिविटी या विरोधी के प्रति जोखिम वाली तकनीक के लिए दिए जाते हैं।

भारत के लिए गौरव का क्षण

कपिल परमार की यह ऐतिहासिक जीत न केवल उनके परिवार के लिए गर्व का क्षण है, बल्कि पूरे देश के लिए भी गर्व का समय है। यह जीत दिखाती है कि कैसे कठिनाइयों और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद एक खिलाड़ी अपनी मेहनत और समर्पण से बड़े लक्ष्य हासिल कर सकता है।

जूडो एक खेल है जिसमें धैर्य, नियंत्रण और मानसिक ताकत का विशेष महत्व होता है। कपिल ने इन सभी गुणों को प्रदर्शित कर यह मैच जीता। उनकी यह जीत न सिर्फ जूडो प्रेमियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी, बल्कि उन सभी खिलाड़ियों के लिए भी जो विपरीत परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं।

कपिल परमार की कहानी बताती है कि किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए एक अडिग आत्मविश्वास और निरंतर प्रयास कितने आवश्यक हैं। उनकी इस यात्रा ने देश को एक नया सितारा दिया है और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मजबूत मिसाल कायम की है।

आने वाले समय में कपिल परमार जैसे खिलाड़ियों की उम्मीदें और हौसले और भी बुलंद होंगे, जो भारत को न केवल खेल के क्षेत्र में, बल्कि प्रत्येक क्षेत्र में नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे।

टिप्पणि (7)

  1. PRATAP SINGH
    PRATAP SINGH

    कपिल की जीत तो अच्छी है, लेकिन ये सब रिपोर्टेज तो सिर्फ इसलिए होता है कि भारत को कुछ न कुछ दिखाना होता है। असली खेल तो वो है जहाँ एथलीट्स को सालों तक सपोर्ट मिले, न कि जब वो पदक लाएं।

  2. Akash Kumar
    Akash Kumar

    कपिल परमार के इस ऐतिहासिक उपलब्धि को देखकर लगता है कि भारतीय खेल प्रशासन की अंधाधुंध नीतियों के बावजूद, व्यक्तिगत समर्पण और अटूट इच्छाशक्ति कितनी शक्तिशाली हो सकती है। यह एक ऐसा उदाहरण है जिसे शिक्षा और खेल नीतियों में शामिल किया जाना चाहिए।

  3. Shankar V
    Shankar V

    बिजली के झटके से कोमा के बाद जूडो में इतना उभरना? ये सब बनावट है। वो जिस देश में एथलीट्स के लिए बेसिक फिजियो भी नहीं है, वो कैसे इतना अच्छा प्रदर्शन कर सकता है? ये सब प्रचार है। शायद उसका नाम बदलकर रखा गया है। और ब्राजील के खिलाड़ी को जीतने देना? ये फिक्स हुआ था।

  4. Aashish Goel
    Aashish Goel

    ओह माय गॉड, कपिल ने वाकई जीत लिया?? ये तो बहुत बढ़िया है!! 😍 और उसके पिता टैक्सी ड्राइवर हैं?? वाह!! और बहन स्कूल चलाती हैं?? वाह वाह!! और उसे बिजली का झटका लगा था?? और वो वापस आ गया?? ये तो फिल्म है!! लेकिन पीले कार्ड क्यों मिले?? क्या वो बहुत धीमे थे?? या फिर जूडो में ये नियम बदल गए??

  5. leo rotthier
    leo rotthier

    हमारे लड़के ने दुनिया को दिखा दिया कि भारतीय खून में जूडो का रक्त बहता है! अब जो लोग कहते हैं कि भारत खेल में कमजोर है उनकी आँखें खुल गईं! ब्राजील के लड़के को 10-0 से पीट दिया! ये निशान देखो जो उसके नाम पर बन गया! अब कोई नहीं कहेगा कि हम बस फुटबॉल और क्रिकेट के लिए जाने जाते हैं! हमारे बच्चे अब जूडो के लिए तैयार होंगे! जय हिंद! जय कपिल! जय भारत!

  6. Karan Kundra
    Karan Kundra

    मैंने इस मैच को देखा था और दिल दहल गया। कपिल ने जिस तरह से अपने आप को नियंत्रित रखा, उसकी आँखों में जो दृढ़ता थी, वो किसी फिल्म में नहीं मिलेगी। उसके कोच और परिवार को भी बधाई। अगर ये लड़का इतना बड़ा बन गया तो हमारे देश में बहुत सारे बच्चे भी बन सकते हैं। इसे जारी रखो, कपिल। तुम एक नया रास्ता बना रहे हो।

  7. Vinay Vadgama
    Vinay Vadgama

    कपिल परमार की इस जीत को केवल एक पदक के रूप में नहीं, बल्कि एक सामाजिक संदेश के रूप में देखना चाहिए। उनकी कहानी यह साबित करती है कि अगर हम व्यक्तिगत समर्पण और निरंतर प्रयास को समर्थन दें, तो भारत के लिए असंभव कुछ भी नहीं है। इस प्रकार के खिलाड़ियों को राष्ट्रीय स्तर पर उचित सम्मान और आर्थिक सहायता देना हमारी जिम्मेदारी है।

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