जब भारतीय मौसम विभाग ने 4 अक्टूबर 2025 को विशेष मौसम चेतावनी जारी की, तो सभी ने समझ लिया कि इस साल का सितंबर‑अक्टूबर महीना तूफानी बरसात शब्द को नए सिरे से परिभाषित करेगा। दो बड़े मौसम प्रणालियाँ—साइक्लोन शाक्तिअरबी सागर और उत्तरी भारत में फैल रहा तीव्र पश्चिमी बवंडर—एक साथ आकर 36‑घंटे तक लगातार भारी बारिश, टॉर्नेडो‑समान बिजली और तेज़ हवाओं का मंच तैयार कर रहे हैं।
पृष्ठभूमि : क्यों अब मौसम बदल रहा है?
साइक्लोन शाक्ति ने सप्ताह के मध्य में अरब सागर के मध्य‑पश्चिम भाग में उभार लिया, जबकि पश्चिमी बवंडर को अक्सर “डेमोन रेंज” कहा जाता है, जो हिमालय की छतरी के नीचे हवा को नीचे धकेलता है। इन दोनों के मिलन से पानी‑वाष्प का दबाव अत्यधिक बढ़ गया, जिससे बारिश के बादल बहुत तेज़ी से विकसित हुए।
विस्तृत मौसम पूर्वानुमान
डॉ. नरेश कुमार, वैज्ञानिक F, ने बताया कि 5‑7 अक्टूबर के दौरान उत्तर‑पश्चिम भारत में “बिखरी हुई‑भारी” से लेकर “विस्तृत‑भारी” बारिश तक का सफ़र तय होगा। प्रमुख आंकड़े कुछ इस तरह हैं:
- दिल्ली में अधिकतम तापमान 34‑36 °C, न्यूनतम 25‑27 °C।
- उत्तरी हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और जम्मू‑कश्मीर में 115‑204 mm (बहुत भारी) बारिश की संभावना।
- उत्ताराखंड में 64‑115 mm (भारी) बरसात, जबकि कुछ क्षेत्रों में 204 mm से अधिक (अत्यधिक भारी) रिकॉर्ड हो सकता है।
- हिमालयी उत्तराखण्ड में 6‑7 अक्टूबर तक बर्फ़ीले ओले और टुकड़े‑टुकड़े बर्फ़ बायीं।
- 30‑50 km/h तेज़ हवा के साथ टॉर्नेडो‑समान बिजली‑तड़ित 5‑7 अक्टूबर के मध्य‑देर में कई राज्यों में देखी जाएगी।
प्रभावित क्षेत्र और स्थानीय प्रतिक्रिया
पहले ही चेतावनी में दिल्ली को “बहुत भारी बारिश” के जोखिम में बताया गया। उसी दौरान महाराष्ट्र के तटीय जिलों—मुंबई, ठाणे, पालघर, रायगढ़, रत्नागिरी, सिन्दुधुर्ग—को साइक्लोन अलर्ट दी गई। स्थानीय प्राधिकरणों ने मछुआरों को समुद्र में जाने से हतोत्साहित किया और तेज़ लहरों के कारण पोर्ट सुविधाओं को अस्थायी तौर पर बंद कर दिया।
विशेषज्ञ राय और संभावित प्रभाव
डॉ. अखिल श्रीवास्तव, वैज्ञानिक D, ने कहा, “यदि फसल‑क्षति को नियंत्रित नहीं किया गया, तो उत्तर‑पश्चिमी क्षेत्रों में धान और गेहूँ की फसल पर 15‑20 % तक का नुकसान हो सकता है।” इससे ही नहीं, जल-जनित बाढ़ के कारण सड़कों, पुलों और बिजली की लाइनें भी प्रभावित हो सकती हैं। उन्होंने स्थानीय प्रशासन को “तुरंत निकासी योजना” तथा “सुरक्षा शरणस्थलों” की तैयारी करने का आह्वान किया।

भविष्य की संभावनाएँ और अगला कदम
इंडिया मीटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट ने बताया कि 7 अक्टूबर के बाद दोनों प्रणालियों के बीच अंतराल बढ़ेगा, जिससे बारिश की तीव्रता धीरे‑धीरे घटेगी। फिर भी, अल्प‑कालिक मौसम‑अनुमान के अनुसार, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में “बहुत भारी” बारिश के छोटे‑छोटे हिस्से दिख रहे हैं, इसलिए सतर्क रहना आवश्यक है।
मुख्य बिंदु
- साइक्लोन शाक्ति और पश्चिमी बवंडर का संयुक्त प्रभाव 4‑7 अक्टूबर 2025 को देखा गया।
- इंडिया मीटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट ने 15 से अधिक राज्यों में चेतावनी जारी की।
- दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, जम्मू‑कश्मीर, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र के तटवर्ती क्षेत्र प्रमुख रूप से प्रभावित।
- बवंडर‑आधारित टॉर्नाडो‑समान बिजली‑घटनाओं की संभावना 30‑50 km/h हवाओं के साथ।
- फसल‑नुकसान और बुनियादी ढाँचे पर संभावित प्रभाव के कारण आपदा‑प्रबंधन अभिकरण ने तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
साइक्लोन शाक्ति का भारत के किन क्षेत्रों पर सबसे बड़ा असर होगा?
मुख्य रूप से महाराष्ट्र के तटीय जिलों—मुंबई, ठाणे, पालघर, रायगढ़, रत्नागिरी और सिन्दुधुर्ग—में तेज़ हवाओं और भारी बारिश की संभावना है। इन क्षेत्रों में समुद्र स्तर में वृद्धि तथा लहरों की ऊँचाई 4‑5 मीटर तक पहुंच सकती है, जिससे मछुआरों और पोर्ट कार्यों पर तुरंत प्रतिबंध लगा दिया गया है।
उत्तरी भारत में बवंडर के कारण किस प्रकार की आपात स्थिति बन सकती है?
उत्तरी क्षेत्रों—दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखण्ड, जम्मू‑कश्मीर—में 115‑204 mm (बहुत भारी) या 204 mm से अधिक (अत्यधिक भारी) बारिश की संभावना है। इससे झरनों के जलस्तर में तेज़ी से वृद्धि, बाढ़, सड़क पुलों की क्षति और बिजली कटौती हो सकती है। स्थानीय प्रशासन ने पहले ही आपातकालीन आश्रय स्थलों की सूची प्रकाशित कर दी है।
आगामी हफ्ते में सामान्य नागरिकों को क्या करना चाहिए?
बारिश के समय घर के बाहर न जाना, यदि आप निकटवर्ती इलाकों में रहते हैं तो स्थानीय चेतावनियों पर नजर रखना, जलजरा या बाढ़ के जोखिम वाले क्षेत्रों से दूरी बनाना, और आपातकालीन किट (दवा, टॉर्च, भोजन) तैयार रखना सलाहनीय है। विशेषकर किसान अपने फसलों को सुरक्षित करने के लिए टैलर या उँचे जगहों पर स्टोर करने की तैयारी करें।
क्या इस तूफ़ान से मौसमी टरबन (टॉर्नाडो) की संभावना है?
हिंदुस्तान के सीमा-पश्चिमी हिस्सों में 30‑50 km/h की तेज़ हवाएँ टॉर्नाडो‑समान बिजली के साथ आएँगी, विशेषकर हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और उत्तराखण्ड में। इसलिए इन क्षेत्रों की स्थानीय प्रशासनिक इकाइयों ने पहले से ही आपातकालीन बचाव दल तैनात कर रखे हैं।
भविष्य में ऐसे दोहरे मौसम सिस्टम से बचाव के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
वैज्ञानिकों का मानना है कि समय पर डेटा शेयरिंग, रिमोट सेंसिंग तकनीक और क्षेत्रीय वॉच‑एंड‑वॉर्न सिस्टम के एकीकरण से ऐसे समन्वयित घटनाओं का पूर्वानुमान और प्रभावी प्रबंधन संभव है। साथ ही, स्थानीय स्तर पर आपदा‑प्रबंधन योजनाओं को सुदृढ़ करना और जनता को जागरूक करना प्रमुख उपाय हैं।
साइक्लोन शाक्ति और पश्चिमी बवंडर का मिलन एक दुर्लभ प्राकृतिक प्रयोग है, जो हमारे पर्यावरणीय संतुलन को चुनौती देता है,। यह घटना न केवल जलवायु परिवर्तन के संकेत देता है, बल्कि सामाजिक संरचनाओं पर भी गहरा प्रभाव डालती है,। इसलिए, हमें इस आपदा को सिर्फ एक बुखार के रूप में नहीं, बल्कि एक सतर्क चेतावनी के रूप में देखना चाहिए; यह हमें भविष्य की तैयारी में नया दिशा-निर्देश प्रदान करेगा।; बाढ़ के प्रकोप के दौरान, स्थानीय प्रशासन को त्वरित निकासी योजना को लागू करना आवश्यक है, क्योंकि देरी से जानों को नुकसान हो सकता है।; कृष्कर्मियों को फसल बचाने हेतु ऊँची जगहों पर भंडारण करने की सलाह दी जानी चाहिए, जिससे आर्थिक नुक्सान कम हो।; आधुनिक तकनीक, जैसे रे प्रयोगात्मक मौसम विज्ञान, हमें सटीक पूर्वानुमान देने में मदद कर सकती है; इस कारण, डेटा शेयरिंग को सर्वाधिक प्राथमिकता देनी चाहिए।; सभी नागरिकों को आपदा प्रबंधन के मूलभूत सिद्धांतों से परिचित होना चाहिए, जैसे कि आपातकालीन किट तैयार रखना।; संक्षेप में, सामूहिक सहयोग, वैज्ञानिक ज्ञान, और सरकारी पहल इस चुनौती का समाधान बनेंगे।