पीएम मोदी ने स्वामी विवेकानंद को दी श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 4 जुलाई 2024 को स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अपने संदेश में कहा, 'मैं स्वामी विवेकानंद को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। उनकी शिक्षाएँ लाखों लोगों को शक्ति देती हैं। उनका गहन ज्ञान और ज्ञान प्राप्त करने की अविरल खोज अत्यंत प्रेरणादायक है।' मोदी ने इस मौके पर स्वामी विवेकानंद के आदर्श समाज के निर्माण के सपने को साकार करने के अपने संकल्प को भी दोहराया।
स्वामी विवेकानंद का जीवन और शिक्षाएँ
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। उनका असली नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। उन्होंने अपने गुरू रामकृष्ण परमहंस से दीक्षा ली और जीवन को मानवता की सेवा में समर्पित कर दिया। विवेकानंद ने 1893 में शिकागो में विश्व धर्म महासभा में अपने ऐतिहासिक भाषण से पूरे विश्व में भारत का नाम रोशन किया। उनके विचार और बोल ने पश्चिमी दुनिया में भारतीय दर्शन और योग का परिचय कराया।
स्वामी विवेकानंद एक महान दार्शनिक, संन्यासी और समाज सुधारक थे। उन्होंने वेदांत और योग को पश्चिम में विस्तारित किया और रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। उनकी शिक्षाएँ आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं। वे कहते थे कि 'उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।' उनका संदेश आज भी युवाओं को प्रेरणा देता है।
मोदी का संदेश और सपनों का भारत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वामी विवेकानंद के सपनों का भारत बनाने के अपने संकल्प को फिर से दोहराया है। उन्होंने कहा कि विवेकानंद की शिक्षाएँ और आदर्श हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। पीएम मोदी ने अपने कई भाषणों में स्वामी विवेकानंद का उल्लेख किया है और उनके सिद्धांतों पर आधारित समाज के निर्माण की दिशा में काम करने की बात कही है। इसके अलावा, मोदी ने सुशासन, शिक्षा, महिलाओं के सशक्तीकरण और गरीबों के लिए आर्थिक अवसरों को बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता को भी दोहराया है।
विवेकानंद का प्रभाव और वर्तमान पीढ़ी
स्वामी विवेकानंद की शिक्षाएँ और उनके विचार आज भी लाखों लोगों को प्रेरणा देते हैं। उनके द्वारा 1893 में शिकागो में दिए गए भाषण की गूंज आज भी सुनाई देती है। उनका 'विश्व बंधुत्व' और 'मानवता की सेवा' का संदेश वर्तमान पीढ़ी के लिए भी अत्यंत प्रासंगिक है। उन्होंने भारतीय समाज को आत्मसम्मान और स्वाभिमान का पाठ सिखाया।
स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दी गई श्रद्धांजलि उनके प्रति सम्मान और उनके विचारों को साकार करने की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। विवेकानंद के विचारों को जन-जन तक पहुँचाना और उन्हें जीवन में उतारना ही उनकी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
विवेकानंद का सपना अभी भी जिंदा है और मोदी उसे जी रहे हैं भारत की आत्मा को जगाने वाले ये लोग हैं जिन्होंने दुनिया को दिखाया कि हम क्या कर सकते हैं
मोदी जी बस बोल रहे हैं... विवेकानंद ने तो काम किया था... आज के युवा तो सिर्फ रील्स बना रहे हैं 😅
क्या आप जानते हैं कि विवेकानंद के भाषण की ट्रांसक्रिप्ट को अमेरिकी सेना ने 1945 में गुप्त रूप से अध्ययन किया था? उनके विचारों का इस्तेमाल नैतिक शक्ति के रूप में किया गया। ये सब बातें बस प्रचार हैं।
स्वामी विवेकानंद के विचारों का आधुनिक भारत में अत्यंत महत्व है। शिक्षा, आत्मविश्वास और समाज सेवा के मूल्यों को बरकरार रखना हमारी जिम्मेदारी है। यह एक ऐसा संदेश है जो आज भी जीवन बदल सकता है।
क्या आपने कभी सोचा कि विवेकानंद आज यहाँ देखें तो क्या कहते? शायद बोलते - 'तुम लोगों ने मेरे विचारों को ट्वीट कर दिया, पर जीवन में उतारा नहीं'।
विवेकानंद के विचार तो अभी भी रिलेवेंट हैं लेकिन हमारे शिक्षा सिस्टम में उनके विचारों का कोई एप्लीकेशन नहीं है ये सिर्फ फेसबुक पोस्ट और रैली का नारा बन गया है
मोदी जी जो कह रहे हैं वो सब बकवास है विवेकानंद ने तो कभी कहा था कि भारत का उद्धार युवाओं से होगा न कि पीएम ऑफिस से और आज के युवा तो नौकरी के लिए तैयार हैं न कि विश्व को बदलने के लिए
विवेकानंद के विचार बहुत गहरे हैं। उन्होंने भारत को आत्मविश्वास दिया। आज जब दुनिया हमें देखती है तो वो देखती है एक ऐसे देश को जिसका दर्शन उन्होंने बनाया।
विवेकानंद के विचारों में एक अद्भुत गहराई है - ज्ञान की खोज, आत्मनिर्भरता, और अन्तर्मुखी शक्ति। लेकिन हम उन्हें सिर्फ एक बहुत बड़ा नाम बना देते हैं और अपने दिनचर्या में उनका कोई असर नहीं देखते।
मैं तो सोचती हूँ कि हमें विवेकानंद के विचारों को स्कूलों में अच्छे से पढ़ाना चाहिए... बच्चों को ये सिखाना चाहिए कि अपने अंदर की शक्ति को कैसे जगाएँ... ये बहुत जरूरी है...
विवेकानंद का संदेश केवल एक भाषण या एक पुण्यतिथि की श्रद्धांजलि नहीं है, यह एक जीवन शैली है। जब तक हम अपने आप को शिक्षित, सशक्त, और सेवामय नहीं बनाएंगे, तब तक उनके विचार बस शब्दों के रूप में ही रहेंगे। हमें अपने घर, स्कूल, और समुदाय में इनका अनुप्रयोग करना होगा - एक छोटी सी बदलाव से शुरू करके। यही सच्ची श्रद्धांजलि है।
ये सब नाटक है। विवेकानंद ने तो अपनी जिंदगी दे दी थी जबकि आज के नेता तो उनके नाम का इस्तेमाल अपनी लोकप्रियता के लिए कर रहे हैं। उन्होंने शिक्षा को जीवन का आधार बताया, लेकिन आज शिक्षा का अर्थ है नौकरी पाना। ये दर्दनाक है।
मैं तो बस इतना कहूंगा कि विवेकानंद के बारे में बात करने से पहले खुद को जगाओ... मैं आज तक सो रहा हूँ... अभी तक नहीं उठा... और ये बातें सुनकर लगता है जैसे कोई बाहर से बात कर रहा हो... बस एक और बात जो भूल गए जिंदगी में जो बात है वो अपने आप में होती है न कि फेसबुक पर...
हमें विवेकानंद के विचारों को बस शब्दों में नहीं रखना चाहिए। हमें उन्हें अपने दिनचर्या में उतारना होगा। एक छोटी सी बात से शुरू करो - अपने घर का बच्चा जो अपने सपनों के बारे में बात करे, उसे ना रोको। यही विवेकानंद की शिक्षा है।