UP RTE Admission 2025-26: आरटीई पोर्टल से 19,000 सीटें गायब, अभिभावकों की चिंता बढ़ी

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UP RTE Admission 2025-26: आरटीई पोर्टल से 19,000 सीटें गायब, अभिभावकों की चिंता बढ़ी

उत्तर प्रदेश आरटीई एडमिशन में अचानक 19,000 सीटें गायब, हजारों अभिभावकों की नींद उड़ी

उत्तर प्रदेश में आरटीई (राइट टू एजुकेशन) एक्ट के तहत कमजोर और गरीब परिवारों के बच्चों को शिक्षा का अधिकार देने के लिए हर साल स्कूलों में इंटरनल राउंड में आवेदन लिए जाते हैं। इस बार 2025-26 के लिए एडमिशन प्रक्रिया जैसे ही शुरू हुई, वैसे ही अभिभावकों को बड़ा झटका लगा। UP RTE Admission के आधिकारिक पोर्टल rte25.upsdc.gov.in पर जैसे ही अभिभावक आवेदन करने पहुंचे, उन्हें काफी स्कूलों की लिस्ट 'क्लोज्ड' या 'अनएवलेबल' दिखाई दी, जबकि कई स्कूल वास्तव में चालू हैं।

यह समस्या छोटे शहरों और कस्बों में ही नहीं, बल्कि लखनऊ, कानपुर, आगरा, प्रयागराज जैसे बड़े शहरों में भी देखने को मिली। करीब 19,000 सीटें पोर्टल पर गायब हो गईं। अभिभावकों का कहना है कि पिछले साल के मुकाबले तो इस बार स्कूलों में बच्चों की संख्या और सीटें बढ़नी थीं, फिर अचानक इतनी सीटें कैसे कम हो गईं?

तकनीकी गड़बड़ी या कोई और वजह?

आरटीई के तहत निजी स्कूलों में 25% सीटें आर्थिक रूप से कमजोर (EWS) और गरीबी रेखा से नीचे (BPL) परिवारों के बच्चों के लिए आरक्षित होती हैं। आवेदन की इस रेस में सीमित सीटों की वजह से अभिभावक हर राउंड में बहुत उम्मीद से फॉर्म भरते हैं। 1 दिसंबर 2024 से पहले राउंड की शुरुआत हुई थी, जिसमें अप्लाई करने वालों की भीड़ तो थी, लेकिन 19,000 सीटें अचानक उड़नछू हो जाना किसी बड़ी तकनीकी खामी की ओर इशारा करता है।

विभाग की साइट पर कई पुराने ऑपरेशनल स्कूल बिना किसी सूचना के 'क्लोज्ड' दिख रहे हैं। कई जगहों पर निजी स्कूलों ने सीटों की जानकारी अपडेट नहीं की या फिर तकनीकी दिक्कतों के चलते डेटा मिसमैच हुआ। इसका नतीजा यह निकला कि गरीब, मजदूर और कामकाजी वर्ग के माता-पिता बच्चों के भविष्य को लेकर परेशान हैं।

मजेदार बात यह है कि शिक्षा विभाग के अफसर या बेसिक शिक्षा परिषद ने इस पर सार्वजनिक रूप से अभी तक कोई बयान नहीं दिया है। जबकि यही वह समय है, जब अभिभावकों को अपने बच्चों के दाखिले की सबसे ज्यादा चिंता रहती है।

  • आरटीई के तहत केवल उन्हीं परिवारों को आवेदन की छूट है, जिनकी सालाना आय 1 लाख रुपये से कम है।
  • प्रवेश प्रक्रिया चार राउंड में होती है – पहला राउंड दिसंबर में, दूसरा जनवरी में, तीसरा और चौथा फरवरी में।
  • क्लासेस 1 अप्रैल 2025 से शुरू होनी हैं।

कई इलाकों से शिकायतें आई हैं कि पोर्टल पर स्कूल 'क्लोज्ड' दिख रहे हैं, लेकिन मौके पर जाकर पता चलता है कि वही स्कूल बच्चों का दाखिला ले रहे हैं, बस आरटीई की सीटों की जानकारी अपडेट नहीं की गई। इससे प्रशासन के दावों और जमीनी हकीकत में बड़ा फर्क साफ नजर आ रहा है।

वही, जिन अभिभावकों के बच्चे पहली बार स्कूल में भर्ती होने वाले हैं, वे यह सोच-सोचकर परेशान हैं कि आरटीई कानून का फायदा मिलेगा भी या नहीं। सवाल यह भी है कि जब सरकार गरीब बच्चों के लिए स्कूल में सीटें आरक्षित करती है, फिर तकनीकी कारणों या लापरवाही से उन सीटों का यूं गायब हो जाना आखिर जिम्मेदार किसकी?

स्कूलों की सूची और सीटों का डेटा भले ही लिंक से जुड़ा हो, लेकिन जिन माता-पिता के सपनों का सवाल है, उनके लिए यह परेशानी किसी बड़े संकट से कम नहीं है। विभाग की ओर से अब तक तकनीकी सुधार या सुधारात्मक कदम उठाने के संकेत नहीं मिले हैं। ऐसे में आरटीई एडमिशन को लेकर असमंजस और घबराहट बनी हुई है।

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