असदुद्दीन ओवैसी के 'जय फिलिस्तीन' नारे पर बवाल: लोकसभा से अयोग्य हो सकते हैं - बीजेपी

असदुद्दीन ओवैसी के 'जय फिलिस्तीन' नारे ने खड़ा किया विवाद

AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी द्वारा 18वीं लोकसभा में अपने शपथ ग्रहण के अंत में 'जय फिलिस्तीन' नारा लगाने से भारी विवाद खड़ा हो गया है। इस कदम के कारण लोकसभा में treasury benches से जोरदार विरोध हुआ और उनके इस बयान को रिकॉर्ड से हटा दिया गया। घटना के बाद, ओवैसी ने अपने इस कदम का समर्थन किया और कहा कि 'जय भीम, जय मिम, जय तेलंगाना, जय फिलिस्तीन' जैसे शब्द कहने में कुछ भी गलत नहीं है।

बीजेपी ने की ओवैसी की अयोग्यता की मांग

ओवैसी के इस बयान के बाद, बीजेपी नेतृत्‍व ने उनकी अयोग्यता की मांग उठाई है। बीजेपी नेता अमित मालवीय ने संविधान के अनुच्छेद 102 का हवाला देते हुए कहा कि इस प्रावधान के तहत कोई व्यक्ति अयोग्य ठहराया जा सकता है यदि वह किसी विदेशी राज्य के प्रति अपने समर्थन या निष्ठा का प्रदर्शन करता है।

अमित मालवीय का आरोप

बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के माध्यम से ओवैसी पर आरोप लगाए। इस पोस्ट में मालवीय ने ओवैसी के शपथ ग्रहण का एक वीडियो क्लिप साझा किया और संविधान के संबंधित अनुभाग का उल्लेख किया। मालवीय ने लिखा कि ओवैसी का 'जय फिलिस्तीन' नारा भारत विरोधी भावना को बढ़ावा देता है और इस कारण वे लोकसभा सदस्य बने रहने के योग्य नहीं हैं।

शिकायत की गई

शिकायत की गई

वरिष्ठ अधिवक्ता हरीशंकर जैन ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक शिकायत पत्र भेजकर ओवैसी की लोकसभा सदस्यता समाप्त करने की मांग की है। उनके पत्र में कहा गया है कि ओवैसी का 'जय फिलिस्तीन' नारा संविधान का सीधा उल्लंघन है और इस कारण उन्हें लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराया जाना चाहिए।

ओवैसी का जवाब

घटना के बाद मीडिया से बातचीत में असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि उनके 'जय फिलिस्तीन' नारे से किसी प्रकार का संविधान का उल्लंघन नहीं हुआ है। उन्होंने कहा, "मैंने जो कुछ भी कहा, उसमें कुछ भी गलत नहीं है। मैंने 'जय भीम, जय मिम, जय तेलंगाना, जय फिलिस्तीन' कहकर अपने समर्थन का प्रदर्शन किया है"। ओवैसी ने कहा कि वे अपने इस कथन पर दृढ़ हैं और इसे लेकर किसी भी प्रकार की माफी नहीं मांगेंगे।

बड़े संकट की ओर संकेत

इस विवाद ने संसद की कार्यवाही में काफी उथल-पुथल मचाई है और इसका असर भविष्य की राजनीति पर भी पड़ सकता है। इस विवाद ने भारतीय राजनीति के माहौल को और अधिक ध्रुवीकृत बना दिया है और आने वाले समय में इस मुद्दे पर और अधिक बहस होने की संभावना है।

संविधान का क्या कहता है अनुच्छेद 102?

संविधान का क्या कहता है अनुच्छेद 102?

संविधान का अनुच्छेद 102 सदस्य की अयोग्यता के विभिन्न आधारों को तय करता है। इसके अनुसार, किसी व्यक्ति को विदेशी राज्य के प्रति निष्ठा रखने, आर्थिक लाभ प्राप्त करने या किसी भी विदेशी सत्ता के अधीन सेवा करने के मामले में अयोग्य ठहराया जा सकता है। अमित मालवीय और अन्य बीजेपी नेताओं का दावा है कि ओवैसी का 'जय फिलिस्तीन' नारा इसी प्रावधान के तहत आता है, क्योंकि यह एक विदेशी राज्य के प्रति समर्थन का संकेत करता है।

अनुच्छेदप्रावधान
102(1)(a)अन्यथा अनुचित परिवर्तनों के कारण अयोग्यता
102(1)(b)किसी अन्य लाभप्राप्त पद को धारण करने के कारण
102(1)(c)किसी विदेशी राज्य के प्रति निष्ठा रखने के कारण
102(1)(d)किसी विदेशी अनुबंध के अधीन सेवा करने के कारण

लोकसभा में विवादों का नया अध्याय

हालांकि, यह पहली बार नहीं है कि लोकसभा में इस प्रकार की स्थिति उत्पन्न हुई है। राजनीतिक संरचना में इस प्रकार के विवाद अक्सर देखने को मिलते हैं और किसी न किसी मसले पर हमेशा बहस होती रहती है। इसलिए, ओवैसी के मामले में भी संघर्ष और बहस की उम्मीद की जा सकती है।

दूरगामी प्रभाव

इस मामले का दूरगामी असर भी देखने को मिल सकता है। जब भी किसी राजनीतिक व्यक्ति के बयान को लेकर इस प्रकार का विवाद होता है, उसका प्रभाव उसके दल, उसकी राजनीति और आगामी चुनावों पर भी पड़ता है। इसलिए इस मामले में भी सही और सटीक निर्णय लेना आवश्यक होगा।

निष्कर्ष

असदुद्दीन ओवैसी के 'जय फिलिस्तीन' नारे को लेकर उपजे विवाद ने भारतीय राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। जहां एक तरफ ओवैसी ने इसे अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा बताया है, वहीं दूसरी तरफ बीजेपी ने इसे संविधान का उल्लंघन बताया है। इस मामले का आगामी घटनाक्रम देखते हुए, संसद में इसके प्रभाव पर नज़र रखना महत्वपूर्ण होगा।

टिप्पणि (10)

  1. Roopa Shankar
    Roopa Shankar

    जय फिलिस्तीन कहना किसी देश विरोधी नहीं है, ये तो इंसानियत की बात है। हम भारत में जब जय भीम, जय तेलंगाना कहते हैं तो कोई उल्लंघन नहीं मानता, तो फिलिस्तीन क्यों? दुनिया भर में लोग अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं, और हम उनके साथ हैं।

  2. Hardik Shah
    Hardik Shah

    ये सब नारे बस धोखा है। ओवैसी अपने वोट बैंक के लिए ये नारे चिल्ला रहा है। अगर वो असली भारतीय होता तो जय भारत कहता। ये लोग देश के खिलाफ नारे लगाकर फायदा उठा रहे हैं।

  3. shivesh mankar
    shivesh mankar

    दोनों तरफ की बात समझ में आती है। ओवैसी का मतलब इंसानियत है, बीजेपी का मतलब संविधान का पालन। लेकिन अगर हम अपने नारों को देश के खिलाफ मान लेंगे तो दुनिया के किसी भी देश के लिए हम नारे नहीं लगा सकेंगे। ये बात थोड़ी गहरी है।

  4. vikram singh
    vikram singh

    अरे भाई, ओवैसी ने जय फिलिस्तीन कहा तो बीजेपी ने जय अमेरिका नहीं कहा? अमेरिका तो पूरी दुनिया में जानवरों की तरह बर्बरता कर रहा है। अगर फिलिस्तीन के लिए नारा लगाना अयोग्यता है तो तुम लोग अमेरिका के साथ जुड़े रहना भी अयोग्य है। बस ये सब चुनावी गड़बड़ है।

  5. Arpit Jain
    Arpit Jain

    संविधान का अनुच्छेद 102 तो तुम लोग इस्तेमाल करते हो जब तुम्हारा खिलाफ कोई बोले, अगर कोई बीजेपी के खिलाफ बोले तो क्या तुम उसे अयोग्य ठहराते? ये सब चुनावी नाटक है।

  6. manisha karlupia
    manisha karlupia

    मुझे लगता है कि ये बहस इसलिए हो रही है क्योंकि हम अपनी पहचान को देश के नाम पर बांध रहे हैं। लेकिन इंसान के दिल में दर्द तो एक ही होता है चाहे वो फिलिस्तीन का हो या भारत का। क्या हम इसे अलग नहीं कर सकते?

  7. balamurugan kcetmca
    balamurugan kcetmca

    देखो अगर हम अनुच्छेद 102 को लागू करना चाहते हैं तो पहले ये देखो कि लोकसभा में कितने सदस्य विदेशी कंपनियों के शेयर धारण कर रहे हैं, कितने विदेशी अनुबंधों में जुड़े हुए हैं। ओवैसी के एक नारे पर इतना बवाल क्यों? ये तो बस एक राजनीतिक टारगेटिंग है। जब तक हम अपने अंदर के द्वेष को नहीं छोड़ेंगे, तब तक ये बहसें चलती रहेंगी।

  8. divya m.s
    divya m.s

    ये जय फिलिस्तीन नारा तो बस एक चाल है। ओवैसी जानता है कि ये नारा लोगों को गुस्सा दिलाएगा और वो वोट पाएगा। ये नारे लगाकर वो अपने लोगों को एक शहीद की तरह दिखाना चाहता है। असली भारतीय तो जय भारत कहता है।

  9. avi Abutbul
    avi Abutbul

    मैंने देखा है बीजेपी वाले जब कोई अपने दल के खिलाफ बोलता है तो उसे अयोग्य बता देते हैं। लेकिन जब अपने नेता विदेशी देशों के साथ लेनदेन करते हैं तो चुपचाप बैठ जाते हैं। ये सब दोहरा मापदंड है।

  10. Karan Raval
    Karan Raval

    हम अपने देश को अपना मानते हैं लेकिन दूसरों के दर्द को अनदेखा कर देते हैं। ओवैसी ने जो कहा वो इंसानियत का नारा था। अगर हम इसे देश विरोधी कह देंगे तो हम खुद इंसानियत से दूर हो रहे हैं।

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