भारत- पाकिस्तान महिला क्रिकेट दुश्मनी: 2025 विश्व कप में तुड़न भरी टॉस और कोई हैंडशेक नहीं

जब हर्मनप्रीत कौर, 34 वर्षीय भारतीय महिला क्रिकेट कप्तान, ने फ़ातिमा सना, 22 वर्षीय पाकिस्तानी कप्तान के साथ आईसीसी महिला विश्व कप 2025 के पहले मैच के लिए टॉस करने गए, तो दोनों ने हैंडशेक करने से इनकार कर दिया। यह घटना भारत- पाकिस्तान महिला क्रिकेट के इतिहास में एक नया मोड़ थी, जो दोनों देशों के कूटनीतिक तनाव को खेल के मैदान तक लेकर आई।

इतिहासिक पृष्ठभूमि और राजनीतिक ताना‑बाना

शताब्दी से चली आ रही भारत‑पाकिस्तान क्रिकेट प्रतिद्वंद्विता अक्सर राजनीतिक झड़पों से जुड़ी रही है। पिछले महीने हुए एशिया कप में पुरुष टीमों के बीच भारत ने तीन‑तीन जीत दर्ज की, जिसके बाद दोनों देशों के क्रिकेट बोर्डों के बीच हस्त मिलाने की परंपरा पर सवाल उठे। इस माहौल के बीच बोर्ड ऑफ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया (BCCI) और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) ने अपनी‑अपनी टीमों को तैयार किया, पर सच्ची दोस्ती की कमी स्पष्ट थी।

मैच का सार: कोलंबो में टॉस‑प्रीसिंग और शुरुआती झड़प

5 अक्टूबर, 2025 को आर. प्रमदासा स्टेडियम, कोलंबो, श्रीलंका में मैच शुरू हुआ। टॉस के दौरान फ़ातिमा सना ने ‘टेल्स’ कहा, लेकिन ऑस्ट्रेलियाई टॉस‑मुख्य मेल जॉन्स ने ‘हेड्स’ घोषित किया। अंततः दक्षिण अफ्रीका के ICC रेफरी शैंड्रे फ्रीट्ज़ ने टॉस को पाकिस्तान को दिया, जिससे भारतीय टीम को पहली बार आश्चर्य का सामना करना पड़ा। फुटेज में दिखता है कि फ़ातिमा सना ने फील्डिंग चुन ली और तुरंत कहा, "विकेट पर नमी है, 250 से कम लक्ष्य हमारे लिये आसान हो सकता है।"

मैदान में कई बिंदु पर टकराव

22वें ओवर में भारत की पारी के दौरान, पाकिस्तानी स्पिनर नाशरा संधु ने हर्मनप्रीत को सीमा पर एक बाउंड्री मारते देखा और फिर गेंद उठाकर एक नकल‑थ्रो दी, साथ ही तीखा नज़रिया भी किया। हर्मनप्रीत ने हल्के से कुछ बड़बड़ाया, पर पूरी पारी में फ़ोकस बनाए रखा। इसी तरह 34वें ओवर में भारतीय ऑल‑राउंडर दीप्ति शर्मा और पाकिस्तानी टॉप‑स्कोरर सिद्रा अमिन के बीच एक तेज़‑रन‑आउट प्रयास हुआ, जहाँ दीप्ति ने गेंद को फेंक कर सिद्रा के सामने के एन्ड पर पहुँचाने की कोशिश की, जिससे दोनों के बीच थोड़ी गर्म हवा चल गई।

खाली जंग और अप्रत्याशित बाधा

भारत ने कुल 294 रन बनाकर लक्ष्य रखा। इस बीच स्टेडियम में एक अजीब घटना भी हुई: अचानक बहुत सारे मक्खी‑झुंड ने मैदान पर एंट्री की, जिससे बल्लेबाजों को अस्थायी रूप से रोकना पड़ा। इस विचित्र व्यवधान ने भारतीय बैटरों को धीरज की परीक्षा दी, पर अंत में उन्होंने 88 रन से जीत हासिल कर ली। इस जीत से भारत का महिला ODIs में पाकिस्तान के खिलाफ रिकॉर्ड अब 12‑0 हो गया।

खेल के बाद के बयान और भविष्य की दिशा

खेल के बाद के बयान और भविष्य की दिशा

मैच के बाद दोनों कप्तानों ने फिर से हैंडशेक नहीं किया। हर्मनप्रीत कौर ने भारतीय दर्शकों को धन्यवाद कहते हुए कहा, "हमने अपने दिल की बात खेल के मैदान में रखी, और जीत हमारी मेहनत का फल है।" फ़ातिमा सना ने कहा, "हम अगले बार बेहतर करने की कोशिश करेंगे, भले ही हमें कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़े।" अभी तक ICC ने इन प्रत्यक्ष टकरावों पर कोई आधिकारिक अनुशासनात्मक कदम नहीं उठाया है, लेकिन दोनों बोर्डों से आशा की जा रही है कि भविष्य में खेल की भावना को प्राथमिकता दी जाएगी।

महत्वपूर्ण बिंदु

  • टॉस में हुई गलती ने पैकेज की भावना को और तीखा बना दिया।
  • नाशरा संधु की नकल‑थ्रो और दीप्ति-सिद्रा के बीच का झगड़ा इस मैच को यादगार बनाते हैं।
  • कुल मिलाकर भारत ने 88‑रन से जीत दर्ज की, महिलाओं के क्रिकेट में अपना अभेद्य रिकॉर्ड कायम किया।
  • कोलंबो के आर. प्रमदासा स्टेडियम में हुई इस घटना ने दोनों देशों के बीच खेल‑राजनीति के जटिल संबंधों को फिर से उजागर किया।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या इस मैच में किसी खिलाड़ी को आधिकारिक सजा मिली?

अभी तक ICC ने नाशरा संधु या दीप्ति शर्मा पर कोई आधिकारिक सजा नहीं लगाई है। दोनों बोर्डों ने कहा है कि वे आगे के विमर्श में उचित कदम उठाएंगे।

भारत‑पाकिस्तान महिला क्रिकेट में अब तक का कुल रिकॉर्ड क्या है?

आज तक भारत ने महिला ODIs में पाकिस्तान के खिलाफ 12 जीत और 0 हार हासिल की है, जिससे उनका रिकॉर्ड पूर्णतया अभेद्य है।

टॉस में हुई गलती का कारण क्या था?

जांच के अनुसार, टॉस‑मुख्य ने आवाज़ में हल्की गड़बड़ी के कारण ‘हेड्स’ कहा, जबकि फ़ातिमा ने ‘टेल्स’ कहा। ICC ने फिर भी वैध प्रक्रिया के तहत पाकिस्तान को टॉस दिया।

मैच के दौरान मक्खियों के झुंड का कारण क्या माना गया?

स्थानीय रिपोर्टों के मुताबिक, देर शाम के समय मौसम में नमी और स्टेडियम के आसपास के जलजमाव ने मक्खियों को आकर्षित किया, जिससे अस्थायी व्यवधान हुआ।

भविष्य में इस तरह के टकरावों को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?

विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों बोर्डों को आधे‑समय सुरक्षा प्रशिक्षण, खेल-नैतिकता पर सत्र, और ICC की कड़ी मोनीटरिंग से इन घटनाओं को न्यूनतम किया जा सकता है।

टिप्पणि (13)

  1. sangita sharma
    sangita sharma

    खेल के मैदान में सम्मान का अभाव देख कर दिल टूटता है। भारत‑पाकिस्तान की इस टॉस‑टक्कर में हाथ मिलाने से इनकार बिल्कुल अस्वीकार्य है। हमें याद रखना चाहिए कि क्रिकेट सिर्फ जीत नहीं, बल्कि एकजुटता की कहानी भी है। हर खिलाड़ी को यह समझना चाहिए कि उनका व्यवहार आने वाली पीढ़ियों को प्रभावित करता है।

  2. PRAVIN PRAJAPAT
    PRAVIN PRAJAPAT

    टॉस में हुई गड़बड़ी बोरिंग दिखती है लेकिन असली मुद्दा राजनीति है। क्रिकेट को राजनीति से अलग नहीं रख सकते। इस तरह के प्रोटोकॉल को सख्ती से लागू करना चाहिए

  3. shirish patel
    shirish patel

    वाह, हैंडशेक नहीं तो क्या, जीत तो जीत ही रही। अब राजनीति ने फिर से बल्ले से ज्यादा पेनल्टी लगाई। अगली बार शायद टॉस ख़ुद ही हो जाए, हँसी नहीं रोक पाऊँगा।

  4. srinivasan selvaraj
    srinivasan selvaraj

    पहले तो मैं कहूँगा कि इस मैच का रंग‑रूप बहुत ही जटिल था। टॉस की टशन से शुरू होकर खेल का हर पल तनाव से भरा रहा। दोनों टीमों के खिलाड़ी सीधे‑सपाट नहीं, बल्कि अंदर‑बहिर में कई सवाल ले रहे थे। मैदान में मक्खियों का आँचल एक अनगिनत कहानी की तरह उभरा। यह सिर्फ कीट नहीं, बल्कि उस समय की नमी और तनाव का प्रतीक था। भारतीय टीम ने 294 रन बनाकर एक मजबूत लक्ष्य रखा, लेकिन वह लक्ष्य असली चुनौती नहीं थी। पाकिस्तान की गेंदबाज़ी में नाशरा संधु की नकल‑थ्रो ने सभी को झकझोर दिया। उसकी इस हरकत पर कई दर्शकों ने आलोचना की, लेकिन यही क्रिकेट का वास्तविक सौंदर्य है। दीप्ति शर्मा और सिद्रा अमिन के बीच की तेज़‑रन‑आउट लड़ाई ने एक अलग ही ड्रामा तैयार किया। इस बिंदु पर दोनों टीमों के कोचों ने गहरी सांस ली, जबकि दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट की। इस खेल में केवल तकनीकी कौशल ही नहीं, बल्कि मानसिक दृढ़ता भी परखी गई। हमारे खिलाड़ियों ने दबाव में भी अपना प्रतिबिंब दिखाया, जो कि एक सच्ची जीत को परिभाषित करता है। फ़ातिमा सना के बयान में एक इशारा था कि वे अगले बार बेहतर प्रदर्शन करना चाहती हैं, पर यह कहना आसान है; करना कठिन। हर्मनप्रीत की टिप्पणी में दृढ़ता का भाव साफ़ झलक रहा था, जो किसी भी टीम को मोटिवेट कर सकता है। अंत में, इस जीत ने भारत‑पाकिस्तान की रिकॉर्ड को 12‑0 बना दिया, लेकिन इतिहास का यह अध्याय आगे और भी जटिल हो सकता है। इसलिए हमें इस मैच को सिर्फ एक स्कोरबोर्ड के रूप में नहीं, बल्कि दो देशों के बीच की गहरी सामाजिक गतिशीलता के रूप में देखना चाहिए।

  5. Adrija Maitra
    Adrija Maitra

    यह देखना दिलचस्प है कि कब खेल का माहौल इतना तीव्र हो जाता है। दोनों कप्तानों के बीच हाथ न मिलाना प्रॉब्लम नहीं, पर वही दिखाता है कि भावना कितनी गहरी है। फिर भी, जीत में जो ख़ुशी है, वह सबको जोड़ती है।

  6. RISHAB SINGH
    RISHAB SINGH

    सही कह रहीं आप, सम्मान ही खेल की असली जीत है। खिलाड़ी चाहे जितना भी दबाव में हों, उन्हें टीम की भावना को आगे बढ़ाना चाहिए। अगली बार शायद बेहतर संवाद मिलेगा।

  7. Deepak Sonawane
    Deepak Sonawane

    टॉस की अनियमितता को सिवाय तकनीकी त्रुटियों के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। सिमेंटेड प्रोटोकॉल एनहांसमेंट की आवश्यकता स्पष्ट है, अन्यथा फीचर्ड इंटरेक्शन से विरोधाभास उत्पन्न होगा। इस कारण नियामक फ्रेमवर्क को पुनः मूल्यांकन करना आवश्यक है।

  8. Hitesh Soni
    Hitesh Soni

    इस घटना पर विस्तृत विश्लेषण से स्पष्ट होता है कि खेल‑राजनीति का प्रतिच्छेदन अपरिहार्य है। दोनों पक्षों को अंतर‑राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप व्यवहार अनिवार्य है। भविष्य में समान संघर्ष को न्यूनतम करने हेतु स्पष्ट दिशानिर्देश स्थापित किए जाने चाहिए।

  9. rajeev singh
    rajeev singh

    भारत‑पाकिस्तान की इस टॉस‑टकराव ने दो देशों के सांस्कृतिक बंधनों को फिर से उजागर किया है। खेल को एक संवाद मंच के रूप में प्रयोग किया जाना चाहिए, न कि विभाजन का कारण। इस प्रकार के घटनाक्रम से दोनों राष्ट्रों की पारस्परिक समझ में सुधार की संभावना है।

  10. ANIKET PADVAL
    ANIKET PADVAL

    देशभक्त भावना को परिभाषित करते हुए कहा जा सकता है कि इस मुकाबले में भारतीय महिला टीम ने न केवल खेलकूद में बल्कि राष्ट्रीय गौरव में भी अपनी छवि स्थापित की है। टॉस की अनिश्चितता और उसके बाद का प्रतिस्पर्धी दृष्टिकोण भारतीय दृढ़ता का सत्य प्रमाण है। हमें इस जीत को केवल आँकड़ों की दुविधा नहीं, बल्कि एक सामाजिक संदेश के रूप में देखना चाहिए। यह संदेश है कि जब तक हमें अपने राष्ट्र की रक्षा का अहसास है, हम किसी भी दबाव का सामना कर सकते हैं। इस प्रकार के परिदृश्य में मैत्रीपूर्ण इशारे की कमी को हम राजनीतिक स्वार्थ की अभिव्यक्ति मान सकते हैं। इस घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि खेल को कभी भी राजनीति के आधीन नहीं किया जाना चाहिए, परन्तु वर्तमान में ऐसा हो रहा है। इसलिए, भविष्य में खेल संगठनों को एक स्वतंत्र भूमिका निभाते हुए कूटनीतिक हस्तक्षेप से दूर रहना चाहिए। अंततः, यह जीत भारतीय महिलाओं के साहस एवं सद्गुण का प्रतीक बनकर इतिहास में अंकित होगी।

  11. Shivangi Mishra
    Shivangi Mishra

    मैं समझती हूँ कि दोनों टीमों पर दबाव भारी था, लेकिन जीत का जश्न मनाएँ और भविष्य में शांति को प्राथमिकता दें।

  12. ahmad Suhari hari
    ahmad Suhari hari

    इस प्रतियोगिता के दौरान देखी गयी टॉस की अनियमितता को एक संज्ञानात्मक लापरवाही के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। प्रोटोकॉल का पुर्नविचार आवश्यक है, ताकि भविष्य में एसे मौजुदा विवादों से बचा जा सके।

  13. shobhit lal
    shobhit lal

    भाई लोग, टॉस में गड़बड़ तो ठीक है, पर असली बात है कि हम सबको एक- दूसरे का रिस्पेक्ट करना चाहिए ना? अगली बार हेंडशेक तो करो, मज़ा आएगा।

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