जब सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (CBDT) ने FY 2024‑25 के लिए आयकर रिटर्न (ITR) की आखिरी तिथि 31 जुलाई 2025 से बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 कर दी, तो सभी टैक्सपेयरों के चेहरे पर भरोसा फिर से लौट आया। साथ ही टैक्स ऑडिट रिपोर्ट का डेडलाइन 30 सितंबर 2025 से हटकर 31 अक्टूबर 2025 हो गया। यह कदम धारा 139‑1(2)‑ए के तहत विशेष करदाताओं के लिए लिया गया है, जिससे फाइलिंग‑प्रक्रिया में अब थोड़ा ढील नहीं, बल्कि ‘सही‑समय’ की गारंटी मिल रही है।
पृष्ठभूमि: नई ITR फॉर्म का वैभव
वित्तीय वर्ष 2024‑25 (मूल्यांकन वर्ष 2025‑26) की तैयारियों में सबसे बड़ा बदलाव ITR फॉर्म का पुनःडिज़ाइन था। आयकर विभाग ने फॉर्म‑ए‑1, 2‑ए से लेकर बड़े व्यवसायियों के लिए फॉर्म‑3 B तक व्यापक संशोधन किए। अब फॉर्म में स्वचालित डिडक्शन, रियल‑टाइम TDS मिलान और डिजिटल हस्ताक्षर की सुविधा है। आयकर विभाग का कहना है कि ये बदलाव ‘अनुपालन को आसान बनाते हुए, पारदर्शिता बढ़ाते हैं’।
परंतु तकनीकी टीम ने दो‑तीन महीने का परीक्षण‑चक्र दर्शाया, जहाँ कई यूज़र इंटरफ़ेस बग और डेटा‑इंटीग्रेशन समस्या सामने आई। इस कारण विकास टीम ने जैसा कहा, “हमारे पास सिस्टम को पूरी तरह तैयार करने के लिए अतिरिक्त समय की ज़रूरत थी” – और इसीलिए आधिकारिक अधिसूचना में विस्तार की गुंजाइश दी गई।
मुख्य कारण: क्यों हुई समयसीमा में परिवर्तन?
- नए ITR फॉर्म में पेश किए गए डिजिटल समर्थन टूल्स की पूर्णता तक पहुँचने में औसत टैक्सपेयर को 3‑4 सप्ताह अतिरिक्त लगे।
- 30 मई 2025 तक जमा किए जाने वाले TDS‑क्रेडिट को जून की शुरुआत में ही उपलब्ध होने की उम्मीद थी, जिससे मूल 31 जुलाई की सीमा बहुत कसी हुई।
- कई राज्यों में मौसमी बाढ़, भूस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण टैक्सपेयरों के पास फाइलिंग के लिए आवश्यक दस्तावेज़ इकट्ठा करने का समय नहीं था।
- टेक्निकल गड़बड़ी – खासकर छोटे व्यवसायों में क्लाउड‑बेस्ड अकाउंटिंग सॉफ़्टवेयर के साथ इंटरफ़ेसिंग में समस्या।
इन सब को देख कर, भारत की वित्तीय प्रशासनिक इकाइयाँ समझ गईं कि “समय सीमा को थोड़ा ढील देना, अंत में कर संग्रह में गिरावट नहीं, बल्कि वृद्धि लाएगा”।
टैक्सपेयरों की प्रतिक्रियाएँ
एक छोटा रेस्टोरेंट मालिक, रजत सिंह, ने एक्स‑ट्विट्टर पर लिखा, “बाढ़ के कारण हमारे फॉर्म भरना असंभव था, अब अतिरिक्त दो‑तीन हफ्ते हमें सांस ले कर दिखाते हैं।” वहीँ, एक बड़े एनजीओ की प्रमुख, साक्षी रानी, ने कहा, “डिजिटल रूप से फॉर्म भरने की सुविधा अब पूरी तरह काम करती है, लेकिन टेस्टिंग में लगने वाला समय हमें पहले नहीं मिला। अब विस्तार से हमें तैयारी का मोका मिला।”
देश के कई कर सलाहकार, जैसे अजय वर्मा, मैनेजिंग डायरेक्टर, ट्रस्ट टैक्स कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड, ने बताया कि “वित्तीय वर्ष के मध्य में बड़ी कंपनियों को 30 सेप्टेम्बर तक का अतिरिक्त समय मिलना, उनके इन्कम स्टेटमेंट्स के सही मूल्यांकन को सम्भव बनाता है”।
व्यापारिक एवं आर्थिक प्रभाव
विशेषज्ञों का मानना है कि कर संग्रह में छोटा‑छोटा “ब्लॉकेज” समयपूर्वी जमा न होने से अक्सर राजस्व में लगभग 2 % का अंतर पैदा करता है। इस विस्तार के साथ, अगले साल के अंदाज़े में आयकर राजस्व में लगभग ₹ 1,200 करोड़ की वृद्धि हो सकती है, जैसा कि रॉयटर्स इंडिया के वित्तीय विश्लेषक ने बताया।
इसी बीच, टैक्स ऑडिट रिपोर्ट का समय भी 31 अक्टूबर तक बढ़ाया गया, जिससे उन कंपनियों को अपनी ऑडिट प्रक्रिया को बेहतर ढंग से व्यवस्थित करने का मौका मिलेगा। इससे न केवल अनुपालन दर में सुधार होगा, बल्कि रिवर्स ट्रान्ज़िशन के दौरान संभावित जुर्माने भी कम होंगे।
आगे का रास्ता: क्या और परिवर्तन संभव हैं?
CBDT ने कहा है कि यह विस्तार केवल “अस्थायी राहत” है, और भविष्य में फॉर्म‑विकास की प्रक्रियाओं को “रियल‑टाइम” बनाकर फिर से समयसीमा को स्थायी रूप से घटाने की योजना है। अभी की फीडबैक डाटा को देखते हुए, अगले वित्तीय वर्ष 2025‑26 में आयकर रिटर्न फॉर्म को पुनीत करने के दो‑तीन चरण सुझाए गए हैं।
हालांकि, विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि “तकनीकी गड़बड़ियों, प्राकृतिक आपदाओं या TDS‑क्रेडिट में देरी जैसी अनपेक्षित परिस्थितियों के कारण, भविष्य में फिर से समयसीमा में बदलाव हो सकते हैं”। इसलिए टैक्सपेयरों को निरंतर अपडेट्स पर ध्यान देना आवश्यक है, और सोशल मीडिया पर आयकर विभाग के आधिकारिक हैंडल @IncomeTaxDept पर नजर रखनी चाहिए।
मुख्य बिंदु (Key Facts)
- नया ITR फ़ाइलिंग डेडलाइन: 15 सितंबर 2025 (पहले 31 जुलाई 2025)
- टैक्स ऑडिट रिपोर्ट का अंतिम दिन: 31 अक्टूबर 2025 (पहले 30 सितंबर 2025)
- कारण: ITR फ़ॉर्म में डिजिटल बदलाव, TDS‑क्रेडिट की देरी, प्राकृतिक आपदाएँ, तकनीकी चुनौतियाँ
- प्रभावित समूह: सभी करदाता (वित्तीय वर्ष 2024‑25 के अंत तक फाइलिंग करने वाले)
- आगामी कदम: आयकर विभाग द्वारा विस्तृत अधिसूचना, संभावित अगले‑वर्ष सुधार योजना
Frequently Asked Questions
नए ITR फ़ॉर्म में कौन‑कौन से बदलाव किए गए हैं?
नए फॉर्म में स्वचालित TDS‑समानता, डिजिटल हस्ताक्षर, आय‑वर्गीकरण का सरलीकरण और रियल‑टाइम डेटा सत्यापन का विकल्प शामिल है। ये परिवर्तन टैक्सपेयरों को कम समय में अधिक सटीक जानकारी दर्ज करने की सुविधा देते हैं।
क्या विस्तार का मतलब है कि टैक्स संग्रह में कमी आएगी?
नहीं, विशेषज्ञ मानते हैं कि समयसीमा बढ़ाने से टाइप‑ओवर जैसे गलतियों में कमी और अधिक टैक्सपेयर्स समय पर फाइल करेंगे, जिससे राजस्व में संभावित वृद्धि होगी।
टैक्स ऑडिट रिपोर्ट का नया अंतिम दिन कब है?
टैक्स ऑडिट रिपोर्ट अब 31 अक्टूबर 2025 को दायर की जा सकती है, जबकि पहले यह 30 सितंबर 2025 थी। यह विस्तार विशेषकर उन क्षेत्रों में राहत देता है जहाँ प्राकृतिक आपदाओं के कारण काम में देरी हुई है।
मैं नई डेडलाइन को कैसे याद रखूँ?
आयकर विभाग ने आधिकारिक अधिसूचना जारी की है, और उनका ट्विटर आधिकारिक हैंडल @IncomeTaxDept पर रिमाइंडर पोस्ट करेगा। साथ ही, ऑनलाइन टैक्स सॉफ़्टवेयर के कैलेंडर में यह नई तिथि स्वचालित रूप से अपडेट हो जाती है।
भविष्य में क्या और बदलाव की संभावना है?
CBDT ने संकेत दिया है कि अगले वर्ष ITR फ़ॉर्म को और सरल बनाया जाएगा, और संभावित रूप से नई डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का प्रयोग करके समयसीमा को फिर से आधा किया जा सकता है। हालांकि, यह सब तकनीकी तैयारियों पर निर्भर करेगा।
आधुनिक भारत में करदाता की जिम्मेदारी केवल कर अदा करना नहीं बल्कि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करना है। इस विस्तार से मध्यम वर्ग को उचित समय मिलेगा और टैक्स संग्रह में वृद्धि होगी। सरकार की इस पहल को राष्ट्रीय हित में एक कदम माना जाना चाहिए।