ओलंपियाकोस ने कठिन मुकाबले में फिओरेंटीना को हराकर जीती यूरोपा कॉन्फ्रेंस लीग
गुरूवार की रात फुटबॉल की दुनिया के इतिहास में यादगार बन गई जब ओलंपियाकोस ने फिओरेंटीना को रोमांचक मुकाबले में 1-0 से हराकर यूरोपा कॉन्फ्रेंस लीग का खिताब अपने नाम किया। मैच का निर्णायक पल आया जब 116वें मिनट में अयूब एल काबी ने हेडर के जरिए गोल कर अपनी टीम को जीत दिलाई।
यह मुकाबला पहले से ही कड़ा और तनावपूर्ण होने की उम्मीद थी, और मैदान पर दोनों टीमों ने अपनी कड़ी मेहनत से उसे सच कर दिखाया। जीतने का जुनून और धैर्य दोनों तरफ साफ दिखाई दे रहा था। हालांकि, सामने वाले गोलपोस्ट के सामने गुणवत्ता की कमी थी और दोनों टीमों के खिलाड़ी कई मौकों पर गोल करने में नाकामयाब रहे।
अयूब एल काबी का निर्णायक गोल
इस महत्वपूर्ण मैच में किसी भी टीम को पहले 90 मिनट में गोल करने का मौका नहीं मिला। अतिरिक्त समय में भी संघर्ष जारी रहा, और यह 116वें मिनट तक खिंच गया जब अयूब एल काबी ने सैंटियागो हेज़े की क्रॉस को हेडर से गोल में तब्दील कर दिया। इस गोल को पहले ऑफसाइड के शक में VAR (वीडियो असिस्टेंट रेफरी) से जांचा गया, लेकिन आखिरकार इसे मंजूरी दे दी गई।
ओलंपियाकोस के लिए यह एक ऐतिहासिक पल था क्योंकि यह उनका पहला बड़ा यूरोपीय ट्रॉफी था। इस जीत के साथ ही उन्होंने अगले सीजन में यूरोपा लीग में अपनी जगह भी पक्की कर ली।
मैनेजर होजे लुईस मेंडिलिबार की भूमिका
ओलंपियाकोस के मैनेजर होजे लुईस मेंडिलिबार के योगदान को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। पिछले सीजन में उन्होंने सेविला के साथ यूरोपा लीग जीती थी, और इस सीजन में उन्होंने फरवरी में ओलंपियाकोस का जिम्मा संभाला। उनकी रणनीतियों और खिलाड़ियों को प्रेरित करने की क्षमता ने टीम को इस मुकाम तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई।
ओलंपियाकोस के प्रशंसकों के लिए यह जीत किसी सपने से कम नहीं थी। उन्होंने स्टेडियम में लाल फ्लेयर्स और आतिशबाजी के साथ जश्न मनाया। यह जश्न सिर्फ ओलंपियाकोस की जीत का ही नहीं बल्कि पूरे ग्रीस के फुटबॉल प्रशंसकों के लिए गर्व का पल था।
फिओरेंटीना की हार और खिलाड़ियों की प्रतिक्रियाएं
दूसरी तरफ, फिओरेंटीना के लिए यह लगातार दूसरी बार था जब उन्हें यूरोपा कॉन्फ्रेंस लीग के फाइनल में हार का सामना करना पड़ा। वे नॉकआउट चरणों में एक भी मैच नहीं हारने के बाद फाइनल में पहुंचे थे, लेकिन उस अंतिम कदम पर वे फिर एक बार चूक गए।
फिओरेंटीना के 34 वर्ष के फॉरवर्ड स्टेवन योवेटिक, जो पहले पांच साल इस टीम के साथ बिता चुके हैं, ने ओलंपियाकोस की तारीफ की और अपनी टीम के साथियों के दुःख में शरीक हुए। उन्होंने कहा, "यह हमारे लिए बहुत दुखद है, लेकिन हमें ओलंपियाकोस को उनके शानदार प्रदर्शन के लिए बधाई देनी चाहिए।"
इस हार से फिओरेंटीना के खिलाड़ियों और प्रशंसकों का दिल टूट गया है, लेकिन उन्होंने जिस तरह के खेल का प्रदर्शन किया, उसके लिए वे गर्व कर सकते हैं।
                                
अरे भाई ओलंपियाकोस ने तो फिओरेंटीना को धूल चटा दी यार! ये गोल तो बस बम था 116वें मिनट में और फिर वो हेडर जैसे आकाश से गिरा हुआ बिजली का टुकड़ा! ग्रीस के लोगों को बधाई देता हूं ये ट्रॉफी तो अब उनकी रक्त में घुल गई है!
मैनेजर मेंडिलिबार तो जादूगर हैं भाई। एक साल में सेविला से लेकर ओलंपियाकोस तक दोनों टीमों को यूरोपा लीग जिता दी। खिलाड़ियों को वो इतना प्रेरित कर देते हैं कि लगता है वो सिर्फ खेल नहीं जीना चाहते बल्कि इतिहास बनाना चाहते हैं।
यह जीत ओलंपियाकोस के लिए एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है। एक छोटी सी टीम ने यूरोपीय फुटबॉल के बड़े खेल में अपना नाम दर्ज कर लिया है। इस जीत के पीछे दीर्घकालिक योजना, अनुशासन और टीमवर्क का बहुत बड़ा योगदान है।
हेडर तो बहुत अच्छा था लेकिन फिओरेंटीना के बच्चे तो 110 मिनट तक गोल करने के लिए दरवाजे पर धमाका कर रहे थे और फिर भी नहीं डाल पाए। ये गोल तो बस एक गलती का फायदा उठाया गया। VAR ने भी देर से देखा था। अगर ये गोल नहीं होता तो फिओरेंटीना को शायद पेनल्टी मिल जाता।
ये जीत ओलंपियाकोस के लिए एक टर्निंग पॉइंट है। अब उनकी टीम का फोकस अगले सीजन के लिए यूरोपा लीग में गहराई से तैयारी करने पर होगा। एक छोटे लीग की टीम ने ये जीत दर्ज कर ली है तो अब ये ट्रॉफी उनकी आत्मविश्वास की नई बुनियाद बन गई है।
अरे भाई ये सब तो बस धोखा है। ओलंपियाकोस की टीम में तो दो तीन खिलाड़ी ही अच्छे थे बाकी सब बोर्ड पर बैठे थे। फिओरेंटीना के बच्चों ने तो खेल ही जीत लिया होता अगर वो गोल नहीं छोड़ते। ये जीत तो भाग्य की बात है।
ओलंपियाकोस की जीत तो बहुत बढ़िया है लेकिन फिओरेंटीना के खिलाड़ियों का मनोबल देखकर लगता है कि वो भी विजेता हैं 😔❤️ ये दोनों टीमें इतना अच्छा खेली तो लगता है जैसे फुटबॉल का सच दिख गया।
ग्रीस के फुटबॉल के इतिहास में ये एक बहुत बड़ा पल है। अब तक जब भी यूरोपीय ट्रॉफी की बात होती तो सिर्फ यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, इटली और स्पेन के नाम आते थे। अब ग्रीस भी इस लिस्ट में शामिल हो गया है। ये जीत सिर्फ एक टीम की नहीं पूरे बाल्कन के लिए एक प्रेरणा है।
इस जीत के पीछे एक गहरा दार्शनिक संदेश है। जब तक आप अपने लक्ष्य के लिए लगातार लड़ते रहेंगे, जब तक आप थककर नहीं बैठेंगे, तब तक संभावना हमेशा जीवित रहती है। 116वां मिनट तक जीत का संकेत नहीं था, लेकिन एक गोल ने सब कुछ बदल दिया। यही तो जीवन का सार है।
मैच बहुत अच्छा था। बहुत बहुत बधाई। ओलंपियाकोस को बहुत बधाई। फिओरेंटीना को भी बहुत बधाई। अयूब एल काबी को बहुत बधाई। मेंडिलिबार को भी बहुत बधाई। ये जीत बहुत बड़ी है।
इस जीत का महत्व बस ट्रॉफी तक सीमित नहीं है। यह एक ऐसा आध्यात्मिक अनुभव है जिसने ओलंपियाकोस के खिलाड़ियों के भीतर एक नई आत्मा को जगाया है। उन्होंने अपने देश के लिए नहीं, बल्कि अपने अंदर के डर के खिलाफ लड़ा है। जब आप अपने सपनों के लिए इतनी देर तक लड़ते हैं तो अंत में समय आपके साथ हो जाता है। यह जीत सिर्फ एक मैच की नहीं, एक नई पीढ़ी के लिए एक नई उम्मीद है।