पेप गार्डियोला की चिंता और मैनचेस्टर सिटी की कठिनाइयाँ
पेप गार्डियोला, जो अपने प्रशंसा बटोरने वाले करियर और लगातार सफलता के लिए जाने जाते हैं, इस समय अपार चिंता के दौर से गुजर रहे हैं। मैनचेस्टर सिटी की जुवेंटस के खिलाफ 2-0 से हार ने उन्हें आत्म-संशय में डाल दिया है। चैंपियंस लीग में यह हार उनकी टीम के पिछले दस मैचों में सातवीं हार थी, जहाँ उनका हराऊ प्रदर्शन सबकी नजरों में आने लगा है। गार्डियोला ने बार्सिलोना के साथ 2008-09 सीजन में अपने पहले ही प्रयास में विश्वस्तरीय सफलता पाई थी, लेकिन अब यह पहली बार है जब वे इतनी बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। इस हार ने मैनचेस्टर सिटी को चैंपियंस लीग की स्टैंडिंग में 22वें स्थान पर धकेल दिया है, और इन्हें नॉकआउट स्टेज से बाहर होने का खतरा है।
गार्डियोला की प्रतिक्रिया और टीम की स्थिति
हार के बाद गार्डियोला का बयान कि वे खुद पर सवाल उठा रहे हैं, यह दर्शाता है कि एक सफल मैनेजर के लिए भी कोई समय पूरी तरह से आसान नहीं होता। उन्होंने स्वीकार किया कि अच्छे और बुरे समय में स्थिर रहना सीखना महत्वपूर्ण है। हालांकि उन्होंने खिलाड़ियों की प्रशंसा करते हुए कहा, "हमने बहुत अच्छा खेला। अंतिम कुछ मौकों का उपयोग नहीं कर पाए। हमारे खिलाड़ी वास्तव में वे सब कुछ दे रहे हैं।" लेकिन क्लब के मिडफील्डर इल्के गंडोगन का मानना है कि टीम कुछ मानसिक समस्याओं से जूझ रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि टीम को सरलतम कदमों पर ध्यान देना चाहिए, "सफलता पाने के लिए आपको सरल कार्य करने की आवश्यकता है। इसी प्रकार आत्मविश्वास वापस आता है।"
खेल संस्कृति और नाटक
पेप गार्डियोला के लिए यह स्थिति नयी नहीं है। उनकी रणनीतिक क्षमता और प्रबंधकीय दृष्टिकोण का दुनिया भर में प्रशंसा हुई है, लेकिन अब चैलेंज का सामना करने का समय है। मैनचेस्टर सिटी के अगले मैच खासकर पेरिस सेंट-जर्मेन और क्लब ब्रुग्स के खिलाफ महत्वपूर्ण होंगे। यहाँ सिटी को प्लेऑफ स्थान सुरक्षित करने के लिए कम से कम एक जीत की आवश्यकता होगी। इसके साथ-साथ आगे का प्रीमियर लीग मैच मैनचेस्टर यूनाइटेड के खिलाफ होने वाला है।
चैंपियंस लीग में जिस प्रकार से माहौल बदल रहा है, उसका असर किस प्रकार से मैनेजर और उनकी टीम पर पड़ेगा, यह देखने योग्य होगा। सफलता और विफलता के इस संघर्ष में, पेप गार्डियोला की रणनीतियाँ और चुनाव अहम भूमिका निभाएंगे। प्रतिस्पर्धा की यह आग जीर्ण शानदार फुटबॉल की ओर संकेत कर रही है, और वक्त बताएगा कि मैनचेस्टर सिटी इस चुनौती को किस प्रकार से झेलेगा।
ये गार्डियोला का जो अंदाज़ है, उसमें कुछ न कुछ तो बिगड़ गया है। बार्सिलोना के दिन याद आ रहे हैं, लेकिन अब तो बस बोरिंग फुटबॉल दिख रहा है।
अरे भाई, गार्डियोला को तो बस अपनी टीम को बेसिक फुटबॉल सिखाना है। जब तक बॉल को बरकरार रखेंगे, तब तक जीत नहीं आएगी। ये तो बस टेक्निकल फेलियर है।
क्या आपने कभी सोचा कि शायद गार्डियोला के फॉर्मेशन में ही दरार है? 🤔
गार्डियोला के लिए ये सिर्फ एक बार का झटका नहीं है, ये तो उनकी फिलॉसफी की जाँच है। जब तक टीम में एक बार फिर से वो आत्मविश्वास नहीं आता, तब तक ये सब बस एक चक्र होगा। लेकिन उन्होंने अपने खिलाड़ियों को बहुत अच्छी तरह से समझा है, ये बात तो सब जानते हैं। अब बस उन्हें अपनी रणनीति पर विश्वास करना होगा।
गार्डियोला का अपना एक अलग दर्शन है। लेकिन जब टीम के खिलाड़ी उसकी रणनीति को अंदर तक नहीं समझ पाते, तो वह अपने खुद के दर्शन का अंधा अनुयायी बन जाता है। ये तो अभिमान का नुकसान है।
इतना ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं। फुटबॉल तो एक खेल है, न कि जीवन का अंतिम उत्तर। गार्डियोला ने अपने जीवन में कई बार ऐसा देखा है। ये भी गुजर जाएगा।
मैं तो ये समझता हूँ कि गार्डियोला अब भी अपनी टीम को एक बड़े विजन की ओर ले जा रहे हैं। बस थोड़ा समय लग रहा है। जब तक टीम एक दूसरे पर भरोसा करेगी, तब तक ये बाधाएँ दूर हो जाएंगी।
गार्डियोला की टीम की व्यवस्था और दृष्टिकोण को देखकर लगता है कि वे एक ऐसे व्यक्ति हैं जो अपनी गलतियों से सीखते हैं। यह असली नेतृत्व है।
इस टीम के पास तो टैलेंट है, लेकिन वो अपने आप को खो रही है। जब तक उन्हें बेसिक फुटबॉल के बारे में फिर से याद नहीं दिलाया जाता, तब तक ये निरंतर असफलता चलती रहेगी। ये नहीं कि वो नहीं जानते, बल्कि वो भूल गए हैं।
हाँ, लेकिन अगर टीम के खिलाड़ी भी अपने आप को खो रहे हैं, तो क्या गार्डियोला अकेले इसे ठीक कर सकते हैं?
टीम के लिए अब बस एक चीज़ चाहिए - एक बड़ा जीत का मौका। एक बार जीत जाएगी, तो सब कुछ वापस आ जाएगा। अभी तो बस एक बाधा है।
अगर हम फुटबॉल को एक जीवन के रूप में देखें, तो ये सब केवल एक चरण है। जैसे ही आप एक विफलता से गुजरते हैं, वैसे ही आप अपने आप को बदलते हैं। गार्डियोला की ये अवस्था उनकी विशेषता को दर्शाती है - वे अपने आप को नहीं खोते।
मैं तो बस ये कहूंगा कि गार्डियोला को अपने खिलाड़ियों को थोड़ा ज्यादा आज़ादी देनी चाहिए... वरना ये टीम बस एक मशीन बन जाएगी।
गार्डियोला अब बस एक बात नहीं समझ पा रहे - फुटबॉल अब ज्यादा नहीं बना। ये तो बस एक खेल है।
क्या होगा अगर गार्डियोला अपनी रणनीति बदल दें? क्या हम उन्हें बदलने के लिए तैयार हैं?
अगर ये टीम अपने आप को नहीं बदल सकती, तो शायद गार्डियोला को भी बदलना पड़ेगा।