प्रधानमंत्री मोदी ने कहा – लोकसभा चुनाव परिणाम, सरकारी नीतियों का समर्थन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2024 लोकसभा चुनाव के बाद संसद के पहले सत्र से पहले मीडिया से बातचीत की। इस अवसर पर उन्होंने भारत की जनता का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने उनकी नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को तीसरी बार सत्ता में पहुंचाया। मोदी ने इसे जनता द्वारा सरकार की नीतियों और मंशा का अनुमोदन मानते हुए अपने भाषण की शुरुआत की।

मोदी ने संसद में सहमति और संवाद की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह समय देश के नागरिकों के सपनों को साकार करने का है और 'श्रेष्ठ भारत' के निर्माण का है, जिसे 2047 तक हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है।

प्रधानमंत्री ने इस अवसर का उपयोग विपक्ष, खासकर कांग्रेस पर हमला बोलने के लिए भी किया। उन्होंने 25 जून, 1975 को देश में लगी एमर्जेन्सी का जिक्र किया। मोदी ने कहा कि उस समय लोकतंत्र का हनन किया गया था और उन्होंने संविधान और लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा करने की कसम खाई।

लोकसभा चुनाव में रिकॉर्ड मतदान

प्रधानमंत्री ने हाल ही में सम्पन्न हुए लोकसभा चुनावों को भी मान्यता दी, जिसमें 65 करोड़ मतदाताओं ने हिस्सा लिया। मोदी का मानना है कि यह लोकतंत्र के प्रति जनता की जागरूकता का प्रमाण है। उन्होंने नए सांसदों का स्वागत किया और पहली बार नए संसद भवन में हुई शपथ ग्रहण समारोह का जिक्र किया। मोदी ने कहा कि इस नई संसद का उद्घाटन एक ऐतिहासिक क्षण है और सभी को मिलकर देश के एक नए अध्याय की शुरुआत करनी चाहिए।

सहमति और सहयोग: देश की प्रगति की कुंजी

मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि सहमति और सहयोग देश की प्रगति की कुंजी हैं। उन्होंने सभी सांसदों से अपील की कि वे राजनीतिक मतभेदों को एक तरफ रखकर देश की भलाई के लिए मिलजुल कर काम करें। प्रधानमंत्री का मानना है कि एकता और सहयोग के साथ ही देश के नागरिकों के सपनों को साकार किया जा सकता है।

आपातकाल की यादें और लोकतंत्र की रक्षा

प्रधानमंत्री ने 1975 के आपातकाल को याद किया, जब इंदिरा गांधी के नेतृत्व में देश में लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन किया गया था। इस घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह एक कठिन समय था जब भारत के नागरिकों की आजादी छीनी गई थी। मोदी ने यह कसम खाई कि उनकी सरकार संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

भावी योजनाएँ और 'श्रेष्ठ भारत' का सपना

भावी योजनाएँ और 'श्रेष्ठ भारत' का सपना

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में देश के सामने आने वाले भावी चुनौतियों और उनकी योजनाओं का भी जिक्र किया। उन्होंने 'श्रेष्ठ भारत' के निर्माण का सपना प्रस्तुत किया, जिसमें 2047 तक देश को एक अग्रणी शक्ति बनाने का लक्ष्य रखा गया है।

नए संसद भवन का उद्घाटन: एक ऐतिहासिक क्षण

प्रधानमंत्री ने नए संसद भवन में हुए शपथ ग्रहण समारोह का भी विशेष जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यह एक ऐतिहासिक क्षण है और उन्होंने नए सांसदों का स्वागत किया। मोदी ने कहा कि इस नए संसद भवन से देश की प्रगति की नई कहानी लिखी जाएगी।

इन सब बातों के साथ, प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार की नीतियों और उनके उद्देश्यों को लेकर एक स्पष्ट संदेश दिया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार देश की भलाई के लिए सभी संभव प्रयास करने के लिए प्रतिबद्ध है और जनता के सपनों को साकार करने के लिए सतत प्रयासरत रहेगी।

प्रधानमंत्री मोदी का यह संबोधन न केवल उनकी सरकार की नीतियों और उनके उद्देश्यों का सराहा गया, बल्कि इसने यह भी साफ किया कि वे संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री मोदी देश की प्रगति और विकास के लिए एक दृढ़ संकल्प के साथ काम करना चाहते हैं और जनता के समर्थन के साथ वे इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

टिप्पणि (15)

  1. Pankaj Sarin
    Pankaj Sarin

    modi ne kaha toh kaha hai bas ab dekhte hain kya hota hai next 3 saal me

  2. Kishore Pandey
    Kishore Pandey

    यह सब बातें तो बहुत सुंदर हैं, लेकिन जनता के वास्तविक सवाल जैसे बेरोजगारी, महंगाई, और ग्रामीण विकास पर कोई विस्तृत योजना नहीं है। राष्ट्रीय नारे तो सब डालते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर क्या हो रहा है इसकी कोई जानकारी नहीं।

  3. Kamal Gulati
    Kamal Gulati

    अरे भाई, ये सब तो बस एक नाटक है। जब तक भाई-भाई का नाटक चलेगा, तब तक गरीब का बच्चा भूखा सोएगा। लोकतंत्र की रक्षा? जब तक टीवी पर बोल रहे हो तब तक तो रक्षा हो रही है, लेकिन जब आप गाँव जाओगे तो देखोगे कि लोग क्या सोच रहे हैं।

  4. Atanu Pan
    Atanu Pan

    2047 tak shresth bharat? bhai phir bhi 2024 me 70% logon ki battery 10% me hai aur tum yeh sab bol rahe ho

  5. Govind Ghilothia
    Govind Ghilothia

    भारत के इतिहास में आपातकाल का एक अनूठा स्थान है। यह न केवल एक राजनीतिक घटना थी, बल्कि एक सांस्कृतिक और नैतिक अपराध था। आज भी जब हम इसे याद करते हैं, तो हमें यह समझना चाहिए कि लोकतंत्र का अर्थ केवल मतदान नहीं, बल्कि विचारों की स्वतंत्रता है।

  6. shruti raj
    shruti raj

    तुम सब भूल रहे हो कि ये सब किसके लिए है? क्या तुम्हें पता है कि आज कल कितने बच्चे अपने घरों में बिना बिजली के सो रहे हैं? ये सब नारे तो बस एक ट्रैक्शन है जिससे लोग भटक रहे हैं। जब तक ये सरकार अपने खुद के लिए नहीं बनेगी, तब तक देश नहीं बनेगा।

  7. Radhakrishna Buddha
    Radhakrishna Buddha

    अरे भाई, ये नए संसद भवन तो बहुत बढ़िया है, लेकिन क्या ये बिल्डिंग भी तुम्हारे घर की छत बन जाएगी? ये तो बस एक नया ड्रामा है जिसमें लोग तो बस तस्वीरें खींच रहे हैं।

  8. Adrija Mohakul
    Adrija Mohakul

    मुझे लगता है कि ये बातें सब अच्छी हैं, लेकिन अगर हम अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य देना चाहते हैं, तो हमें असली समस्याओं पर ध्यान देना होगा। मैं एक शिक्षिका हूँ, और मेरे स्कूल में बच्चों के पास न तो पुस्तकें हैं और न ही बिजली।

  9. Dhananjay Khodankar
    Dhananjay Khodankar

    सच तो ये है कि हम सब एक ही देश में रह रहे हैं। अगर हम एक-दूसरे को सुनें, तो बहुत कुछ बदल सकता है। बस थोड़ा शांति से सोचें।

  10. shyam majji
    shyam majji

    इतना बड़ा नारा लगाया और फिर भी बारिश नहीं हुई।

  11. Ritu Patel
    Ritu Patel

    आप सब तो बस बातें कर रहे हो, लेकिन क्या आप जानते हैं कि जो लोग ये नारे लगा रहे हैं, वो अपने घरों में भी अपने बच्चों को बेच रहे हैं? ये सब झूठ है, बस एक धोखा है।

  12. Sukanta Baidya
    Sukanta Baidya

    2047 तक श्रेष्ठ भारत? भाई, अभी तो 2024 में हमारे बच्चे अपने घरों में बिना लैपटॉप के भी पढ़ रहे हैं। ये सब तो बस एक फिल्म की तरह है।

  13. Mahesh Chavda
    Mahesh Chavda

    मैं तो बस देख रहा हूँ कि ये सब जो बातें की जा रही हैं, वो किसके लिए हैं। क्या ये जनता के लिए हैं या किसी और के लिए? ये सब तो बस एक नाटक है जिसमें लोग अपने नाम के लिए चिल्ला रहे हैं।

  14. Khagesh Kumar
    Khagesh Kumar

    मैं एक छोटे शहर से हूँ। हमारे यहाँ अभी तक कोई बस नहीं आती। लोकतंत्र की बात करने से पहले बस आना चाहिए।

  15. Deepak Singh
    Deepak Singh

    आप सब ये बातें क्यों कर रहे हैं? क्या आप जानते हैं कि जो लोग ये सब बोल रहे हैं, वो अपने घरों में भी अपने बच्चों को बेच रहे हैं? ये सब झूठ है। आप सब बस एक नारा चिल्ला रहे हैं।

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