शहरी गैस वितरण क्षेत्र में संकट: शेयरों में भारी गिरावट
शहरी गैस वितरण कंपनियों के शेयरों में अचानक आई गिरावट ने निवेशकों और बाजार पंडितों को हैरान कर दिया है। महनगर गैस लिमिटेड (MGL) और इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (IGL) के शेयरों में 18 प्रतिशत तक की तेज गिरावट देखी गई। इसकी वजह केंद्र सरकार का हालिया फैसला है, जिसमें घरेलू गैस के एडमिनिस्ट्रेटेड प्राइस मैकेनिज्म (APM) आवंटन में भारी कटौती की गई है। यह कटौती 16 नवंबर 2024 से प्रभावी है और इसके चलते इन कंपनियों की की आर्थिक स्थिरता पर गहरा असर पड़ सकता है।
सरकार द्वारा APM गैस आवंटन कटौती का कारण और प्रभाव
सरकार ने लगातार दूसरे महीने APM गैस आवंटन में कटौती करने का निर्णय लिया है। अक्टूबर में हुई कटौती के बाद, यह कदम इन कंपनियों की लाभप्रदता पर दबाव डालेगा। इस निर्णय से MGL को अपने एपीएम गैस आवंटन में 18% की कमी का सामना करना पड़ा है। वहीं, IGL के लिए यह कमी 20% है। क्रमशः MGL और IGL ने अपनी फाइलिंग्स में बताया कि यह कटौती उनकी आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव डालेगी।
शेयर बाजार की प्रतिक्रिया
शेयर बाजार इस कदम से काफी चिंतित है और यह गिरावट इसी चिंतनशीलता का प्रमाण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है, लेकिन इस प्रकार की नीतिगत बिभिन्नता से निवेशकों की असमंजस की स्थिति बनी हुई है। भीषण बिकवाली इस बात का संकेत है कि बाजार अन्य वैकल्पिक गैस के अधिक मूल्य का सामना करने के लिए तैयार नहीं है।
विश्लेषकों की राय और संभावित CNG मूल्य वृद्धि
ब्रोकरेज फर्मों ने भी इस स्थिति को समझते हुए अपने लक्ष्यों में संशोधन कर दिए हैं। नुवामा संस्थागत इक्विटीज ने IGL और MGL को 'घटाएँ' रेटिंग दी है, वहीं गुजरात गैस को 'बनाए रखें' कहा है। इंटरनेशनल ब्रोकरेज जेफरीज ने MGL और IGL को 'अंडरपरफॉर्म' के रूप में वर्गीकृत किया है। इन कंपनियों के लिए गैस की उपलब्धता को अन्य स्रोतों से पूरा करना महंगा होगा, और इसमें CNG की कीमतों में वृद्धि करनी पड़ेगी। मोतीलाल ओसवाल फ़ाइनेंशियल सेवाएँ (MOFSL) के मुताबिक, यदि इन्हें APM गैस के स्थान पर $9-10/mmbtu की दर पर गैस लेनी पड़ती है, तो CNG की कीमतों में 5 से 6 रुपए प्रति किलोग्राम की वृद्धि करनी पड़ सकती है।
भविष्य की दिशा
विश्लेषकों के अनुसार, यह फैसला IGL पर सबसे अधिक प्रभाव डाल सकता है, वृद्धि दर को भी प्रभावित कर सकता है। FY16-24 के दौरान 9.8 प्रतिशत की कंपाउंड एन्यूअल ग्रोथ रेट (CAGR) वाले IGL के वॉल्यूम अब FY24-27 में सिर्फ 7 प्रतिशत CAGR अनुभव कर सकते हैं। MGL और गुजरात गैस भी इस कटौती से प्रभावित होंगे, लेकिन IGL का आसन्न नुक्सान सबसे ज्यादा महसूस होगा।
ये सरकार फिर वही पुराना खेल चला रही है। APM गैस कटौती करके जनता को दर्द दे रही है, और फिर बाजार को गिरावट का दोष दे रही है। ये तो बस नीति का अंधाधुंध बदलाव है।
मैंने तो सोचा था कि आत्मनिर्भरता का मतलब अपने घर का गैस बनाना होगा... नहीं, ये तो गैस की कीमत बढ़ाकर अपने बजट को संतुलित करना है। बेचारे MGL और IGL के शेयरधारक तो बस जल रहे हैं। 😔
मुझे लगता है, ये सब बहुत बड़ी बात है। और अगर CNG की कीमत बढ़ गई, तो रोज के लोगों को भी परेशानी होगी।
क्या हुआ यार? मैंने तो सिर्फ 1000 रुपये के शेयर खरीदे थे... अब तो वो भी गायब हो गए। ये सरकार तो बस घूंट भर के लिए भी जनता को दबाती है।
ये सब तो बस एक नीति का खेल है 😒 लेकिन अगर हम अपने घरों में बायोगैस बनाने लगे तो क्या होगा? 🤔
देखो, ये जो गैस की कीमत बढ़ रही है, वो तो बस एक छोटा सा टूटा हुआ टुकड़ा है। असली मुद्दा तो ये है कि हम अभी तक अपने ऊर्जा स्रोतों को अपनाने के लिए तैयार नहीं हैं।
अगर हम इस गैस के बारे में सोचें, तो ये तो सिर्फ एक उदाहरण है। हमारी आर्थिक नीतियाँ क्या वास्तविक जीवन के लिए बन रही हैं? या बस बजट और बाजार के लिए? ये सवाल तो हर किसी के मन में होना चाहिए।
इस तरह की नीतिगत अनिश्चितता निवेशकों के लिए बहुत खतरनाक है। सरकार को लंबी अवधि की योजनाओं पर ध्यान देना चाहिए, न कि छोटे-छोटे बजटीय फैसलों पर। इससे आर्थिक विकास की गति धीमी हो रही है।
मैं तो सोचता हूँ कि अगर हम इस गैस की कमी को संभालने के लिए अपने घरों में बायोगैस या सोलर गैस सिस्टम लगाने लगे, तो ये सब एक बड़ा अवसर बन सकता है। ये सिर्फ एक समस्या नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत का संकेत भी हो सकता है। हमें इसे एक चुनौती के रूप में देखना चाहिए।
सरकार के इस फैसले का असली निशाना निवेशक नहीं, बल्कि आम आदमी है। जब तक हम ऊर्जा के लिए विदेशी निर्भरता नहीं तोड़ेंगे, तब तक ये गिरावटें बस एक लूप में फंसी रहेंगी। ये सब बस एक असफल नीति का नतीजा है।
अगर तुम बस एक छोटा सा गैस सिलेंडर भी नहीं ले पा रहे, तो शेयर बाजार की बात करना किसके लिए फायदेमंद है? सरकार को बेसिक जरूरतों की ओर ध्यान देना चाहिए।
ये सब तो बस एक बड़ा धोखा है। आत्मनिर्भरता का नाम लेकर लोगों को धोखा दिया जा रहा है। असली आत्मनिर्भरता तो वो होती है जब गैस की कीमत नहीं बढ़े।
मुझे लगता है... कि हम सब इस बात पर एक साथ आ सकते हैं... कि ये सब बहुत बड़ा मुद्दा है... और अगर हम अपने घरों में थोड़ा बदलाव कर दें... तो शायद ये सब कम हो जाए... बस एक छोटा सा कदम...