डोनाल्ड ट्रंप का विवादित बयान
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में पेरिस ओलंपिक 2024 के उद्घाटन समारोह पर कड़ा प्रहार किया है। ट्रंप ने इस भव्य कार्यक्रम को 'शर्मनाक' करार दिया है, जिस पर दुनियाभर में खासी आलोचना हो रही है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि इस समारोह में दिखाए गए दृश्य 'गंभीर रूप से भ्रामक' थे और अगर वह 2028 में फिर से राष्ट्रपति बनते हैं, तो लॉस एंजिल्स में ऐसा दृश्य नहीं दोहराया जाएगा।
विवाद का मुख्य कारण
समारोह में एक दृश्य था जिसमें डांसर्स, ड्रैग क्वीन और एक डीजे उपस्थित थे। यह दृश्य काफी हद तक 'लास्ट सपर' की तरह प्रतीत होता था, जिससे ईसाई समुदाय और दक्षिणपंथी राजनेताओं में रोष फैल गया। इन वर्गों का मानना था कि यह धर्म का अपमान है और इस प्रकार के दृश्य सार्वजनिक मंच पर नहीं दिखाए जाने चाहिए। ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब ट्रंप ने किसी बड़े आयोजन की आलोचना की हो।
समारोह के निर्देशक का जवाब
इस समारोह के निर्देशक थॉमस जॉली ने इन आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि उनके उद्देश्य सुलह और 'मरम्मत' करना था। उनका मानना था कि इस कार्यक्रम के माध्यम से समाज में प्रचलित धारणाओं और विभाजन को सुलझाने का एक प्रयास किया गया था। फिर भी, इस दृश्य ने कई लोगों को असंतुष्ट कर दिया और विवादों को जन्म दिया।
समारोह की विशेषताएँ और दर्शकों की प्रतिक्रिया
विवादों के बावजूद, इस समारोह ने 28.6 मिलियन अमेरिकी दर्शकों को आकर्षित किया। यह संख्या लंदन 2012 के बाद से सबसे ज्यादा है। समारोह की खास बात यह थी कि इसमें खिलाडियों की टुकड़ियां नदी सीन के किनारे पेरिस के प्रमुख स्थलांकों के पास से होती हुई निकल रही थीं। मशहूर गायिका सेलीन डायोन ने भी वर्षों बाद इस मंच पर अपनी प्रस्तुति दी, जो समारोह की एक और प्रमुख विशेषता थी।
ट्रंप का राजनीतिक रुझान और 2028 की उम्मीदें
ट्रंप का यह बयान उनके संभावित 2028 के राष्ट्रपति चुनाव की तैयारियों का एक भाग माना जा रहा है। वह हमेशा से अपनी आक्रामक और विवादास्पद प्रतिक्रियाओं के लिए जाने जाते रहे हैं। उनके बयान का उद्देश्य शायद अपने कतरन को बरकरार रखने और अपने समर्थकों को साहस दिलाने का था। उन्होंने वादा किया है कि अगर वह 2028 में राष्ट्रपति चुने जाते हैं, तो लॉस एंजिल्स में आयोजित होने वाले ओलंपिक में ऐसा कोई भी कार्यक्रम नहीं होगा जो 'धार्मिक भावनाओं' को ठेस पहुँचाए।
पेरिस ओलंपिक समिति की प्रतिक्रिया
पेरिस ओलंपिक समिति ने ट्रंप के आरोपों को 'अनुचित' और 'अनुचित' करार दिया है। समिति का कहना है कि यह एक सांस्कृतिक और विविधता को प्रोत्साहित करने वाला समारोह था। उनका मानना है कि ऐसे समारोह समाज के विविध रंगों को एक साथ लाने में मदद करते हैं।
ये सब धर्म का नाम लेकर अंधविश्वास फैला रहे हैं। ओलंपिक में आर्ट और कला का जो अर्थ है वो ये नहीं कि हर चीज़ तेरे बाबा के गाँव की तरह हो। ट्रंप को अपनी बुरी आदतों से छुटकारा पाना चाहिए।
इस दृश्य में कुछ भी अश्लील नहीं था, बस एक नया दृष्टिकोण था।
मुझे लगता है ट्रंप बस ध्यान खींचने के लिए ऐसा कर रहे हैं। इतना बड़ा आयोजन जिसमें दुनिया भर के लोग शामिल हुए, और वो इसे शर्मनाक बता रहे हैं? ये तो बस अपनी असुरक्षा को ढकने की कोशिश है।
अगर ये दृश्य लास्ट सपर जैसा लगा तो शायद इसलिए क्योंकि वो भी एक रूपक था। धर्म का अपमान? ये तो सांस्कृतिक विविधता का जश्न है। ट्रंप के दिमाग में अभी भी 1980 के दशक का विचार चल रहा है।
सच बताऊं तो मुझे ये दृश्य बहुत पसंद आया। ड्रैग क्वीन्स का नृत्य तो बस बेहतरीन था। ट्रंप जैसे लोग अपने डर को धर्म के नाम पर छिपाते हैं। जिन्हें अपने आप से डर लगता है, वो दूसरों को बदलने की कोशिश करते हैं।
मैंने वीडियो देखा था, और वो दृश्य तो बहुत भावुक था। ट्रंप को लगता है कि वो सबका नेता है? बस अपने ट्वीट्स पर ध्यान दो, बाकी सब बिल्कुल निष्पक्ष है।
इस विवाद में एक गहरा सवाल छिपा है। क्या हम अपनी सांस्कृतिक विविधता को आयोजनों में दिखाने का अधिकार रखते हैं? या फिर किसी एक विचारधारा के अनुसार ही सब कुछ बनाना होगा? ये तो सिर्फ एक समारोह नहीं, ये एक संदेश है।
मुझे लगता है कि ये सब बहुत ज्यादा बड़ा मुद्दा बना दिया गया है। बस एक नृत्य था, बस एक ड्रैग क्वीन थी, बस एक डीजे था। क्यों इतना शोर मचा रहे हो? ये तो बच्चों के खेल जैसा है।
ट्रंप का बयान अनुचित नहीं है। ये एक वैध आलोचना है। जब एक राष्ट्रीय आयोजन में धार्मिक प्रतीकों के साथ खेला जाए, तो यह असहिष्णुता का संकेत है। ये संस्कृति नहीं, ये अपमान है।
हमें यह याद रखना चाहिए कि ओलंपिक खेलों का उद्देश्य एकता है, न कि विभाजन। यदि किसी दृश्य ने लोगों को असहज महसूस किया है, तो उसकी जगह बदलने का विचार किया जा सकता है। लेकिन इसे एक राजनीतिक हथियार बनाने की जरूरत नहीं है।
समारोह में जो दृश्य था वो एक सामाजिक संदेश था। जब तक लोग अपने भीतर के भय को स्वीकार नहीं करते, तब तक वो बाहर के दृश्यों को खतरा समझेंगे। इसका अर्थ ये नहीं कि धर्म का अपमान हुआ, बल्कि ये हुआ कि एक नई आवाज़ उठी।
मैंने भी देखा। वो दृश्य तो बहुत सुंदर था। इतना बड़ा शो किसी एक धर्म के लिए नहीं, बल्कि सभी के लिए था। ट्रंप को अपने देश की बाहर की तरफ नज़र डालनी चाहिए। वहाँ दुनिया बदल रही है, और वो अभी भी अपने बाबा के गाँव में फंसे हुए हैं।
मैं नहीं चाहती कि कोई भी आयोजन ऐसा लगे जैसे कोई धार्मिक भावनाओं का अपमान कर रहा हो। लेकिन ये दृश्य तो बस एक कलात्मक अभिव्यक्ति था। अगर ये शर्मनाक है तो शायद हमारे दिमाग में कुछ गलत है।
हम सब अलग-अलग चीज़ें देखते हैं। एक के लिए ये आर्ट है, दूसरे के लिए ये अपमान है। लेकिन अगर हम एक-दूसरे को सुनें, तो शायद हम सब एक दूसरे को बेहतर तरीके से समझ पाएं। ये विवाद बस एक अवसर है।
मैंने इस समारोह को देखा और वाकई बहुत प्रभावित हुआ। नदी के किनारे खिलाड़ियों का प्रवेश, सेलीन डायोन की आवाज़, ड्रैग क्वीन्स का नृत्य, ये सब मिलकर एक ऐसा अनुभव बना जो किसी भी भाषा में वर्णित नहीं किया जा सकता। ट्रंप के लिए ये शायद बहुत अजीब लगा, क्योंकि उनके जीवन में कभी ऐसी खूबसूरती नहीं देखी होगी। लेकिन दुनिया बदल रही है, और ये बदलाव अच्छा है। अगर हम इसे नहीं स्वीकार करेंगे, तो हम अपने आप को अतीत में फंसा देंगे। ये समारोह न केवल एक खेल का उद्घाटन था, बल्कि एक संदेश था कि हम सब अलग हैं, लेकिन एक हैं।
ये ट्रंप फिर से अपनी बात चला रहा है। क्या इस दुनिया में कोई ऐसा काम है जो उसे पसंद आए? उसके लिए तो चाय भी बहुत ज्यादा लगती है।
इस दृश्य को शर्मनाक बताने वाले लोगों को बस एक बात याद रखनी चाहिए - जो आज अजीब लगता है, कल उसकी आदत बन जाती है।
मैंने ट्रंप के बयान को पढ़ा, और मुझे लगा कि वो बस अपने लोगों को एक बात याद दिला रहे हैं कि वो अभी भी लड़ रहे हैं। लेकिन ये नहीं कि वो सही हैं।