केरल ब्लास्टर्स एफसी के सुपरफैन सोमू की कहानी: फुटबॉल प्रेम की अनूठी दास्तान

फुटबॉल प्रेम की अनूठी दास्तान

केरल ब्लास्टर्स एफसी का नाम सुनते ही, उनके प्रशंसकों की एक अनोखी छवि दिमाग में उभर आती है। इन प्रशंसकों में सबसे आगे सोमू का नाम आता है, जो इस टीम के प्रति अपनी दीवानगी के लिए प्रसिद्ध हैं। सोमू ने ISL के 100 से अधिक मैचों में छक्का पड़ चुका है और उन्होंने अपने जीवन की एक नई पहचान बनाई है। उनका कहना है कि मैचदिवस उनके लिए जीवन का सार है। सोमू जैसे प्रशंसक न केवल फुटबॉल के खेल को जीवंत बनाए रखते हैं, बल्कि अपने जुनून से दूसरों को भी प्रेरित करते हैं।

फुटबॉल की दीवानगी

सोमू का फुटबॉल के प्रति प्रेम उनके बचपन से ही शुरू हुआ। बल्लियों पर फुटबॉल खेलने के बाद, उन्होंने अपने स्कूल की टीम में जगह बनाई और उसके बाद यह दीवानगी और भी बढ़ती चली गई। केरल ब्लास्टर्स के पहले ही सीजन से सोमू इस टीम का हिस्सा बन चुके हैं, और उनके लिए यह टीम दिल के बेहद करीब है। फुटबॉल की इस यात्रा में उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से अपनी जगह बनाई है और इसने उन्हें खास पहचान भी दिलाई है।

स्टेडियम का रोमांच

सोमू के अनुसार, स्टेडियम में मैच देखने का अनुभव कुछ अलोहक है। प्रत्येक मैच का रोमांच ऐसी बातें जोड़ता है, जो केवल वह भावनाएं होते हैं जिन्हें अलग-अलग शहरों के स्टेडियमों में जाकर ही महसूस किया जा सकता है। इस अनुभव के लिए सोमू ने न सिर्फ केरल बल्कि पूरे भारत के कई अलग-अलग खेल मैदानों का सफर किया है।

खिलाड़ियों से मुलाकात

सोमू के अनुभवों में खिलाड़ियों के साथ उनका संवाद शामिल है, जो केवल उनके लिए नहीं बल्कि किसी भी फैन के लिए एक विशेष अवसर होता है। उन्होंने इस दौरान कई खिलाड़ियों से दोस्ती भी की है, जो उनके लिए गर्व की बात है। सोमू ने कभी भी अवसर नहीं चूका जब उन्हें खिलाड़ियों से मिलने का अवसर मिला।

फैन कल्चर का हिस्सा

फुटबॉल फैंस का एक अनोखा पहलू यह होता है कि वे न केवल अपना खेल देखने जाते हैं, बल्कि वे पूरे फैन कल्चर का हिस्सा भी बन जाते हैं। सोमू ऐसे ही फैन कल्चर का हिस्सा हैं, जहां वे अपने जैसे विचारों वाले लोगों के साथ मिलते-जुलते हैं। यहां वह खुद को अलग पाते हैं और इस समाज के अटूट हिस्से के रूप में अपने विचार साझा करते हैं।

वह अपने जीवन के अनुभवों में बताते हैं कि कैसे फुटबॉल ने उनके जीवन को बदल दिया है और एक नई दिशा देने में मदद की है। फुटबॉल के ये दिन उनके लिए एक त्योहार की तरह होते हैं। और उनके लिए हर मैच का रोमांच अद्वितीय होता है।

टिप्पणि (11)

  1. Aashish Goel
    Aashish Goel

    सोमू के बारे में पढ़कर लगा जैसे किसी ने मेरे दिल की बात लिख दी हो... मैं भी हर मैच के लिए टिकट बुक कर लेता हूँ, चाहे दिल्ली हो या कोलकाता... और हाँ, बस केरल ब्लास्टर्स के लिए बैग लेकर जाता हूँ... जो भी देखे, वो समझ जाता है कि ये इंसान बस एक फैन नहीं, एक भक्त है...!!!

  2. Anila Kathi
    Anila Kathi

    अरे ये तो बस एक फैन की कहानी है, लेकिन क्या कोई सोचता है कि इतनी लगन के बावजूद भी उन्हें कभी कोई टीम ने ऑफिशियल फैन ऑफ द ईयर नहीं दिया? क्या ये भारतीय फुटबॉल की बेकारी नहीं है? 😒

  3. Shankar V
    Shankar V

    सोमू के बारे में ये सब कहानी एक गवाही है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये सब एक गूगल एडवर्टाइजिंग कैंपेन का हिस्सा हो सकता है? क्योंकि केरल ब्लास्टर्स के साथ जुड़े हुए किसी भी व्यक्ति को अचानक फेमस करने का एक तरीका है। ये सब एक रिलेशनशिप मार्केटिंग की चाल है।

  4. Karan Kundra
    Karan Kundra

    मैंने भी एक बार त्रिवेंद्रम में सोमू को देखा था... उनकी आँखों में वो चमक थी जो कोई अभिनेता नहीं बना सकता... उन्होंने फुटबॉल को एक धर्म बना लिया है... और ये बहुत कम लोग कर पाते हैं... इसलिए उन्हें श्रद्धांजलि...

  5. leo rotthier
    leo rotthier

    हम भारतीय फुटबॉल को बर्बर कहते हैं लेकिन जब कोई इंसान इतना प्यार करता है तो वो बर्बरता नहीं, वो शक्ति है... अगर ये लोग न होते तो क्या आज कोई खिलाड़ी अपने घर के बाहर खेलने के लिए तैयार होता? नहीं... इसलिए सोमू को नेशनल हीरो बनाओ और बाकी बकवास बंद करो!

  6. Vinay Vadgama
    Vinay Vadgama

    सोमू की कहानी एक अद्भुत उदाहरण है कि जुनून कैसे एक साधारण व्यक्ति को असाधारण बना सकता है। यह न केवल फुटबॉल की कहानी है, बल्कि जीवन की भी। उनकी लगन और समर्पण की ओर हमें सभी की ओर इशारा करना चाहिए।

  7. Pushkar Goswamy
    Pushkar Goswamy

    क्या आपने ध्यान दिया कि इस कहानी में सोमू के बारे में बताया गया है कि वो कितने मैच देखे... लेकिन किसी ने नहीं बताया कि वो कितने बार घर छोड़कर गए? कितने परिवार वालों को नजरअंदाज किया? ये जुनून अगर बहुत ज्यादा हो तो वो बीमारी हो जाती है... और इसे नहीं बढ़ावा देना चाहिए।

  8. Akash Kumar
    Akash Kumar

    इस कहानी को पढ़कर मुझे अपने बाबू की याद आ गई... वो भी हर मैच रेडियो पर सुनते थे, और फिर दिन भर खेल के बारे में बात करते थे... वो कभी स्टेडियम नहीं जा पाए थे... लेकिन उनका प्यार इतना गहरा था कि वो घर पर ही एक छोटा सा स्टेडियम बना लेते थे... सोमू की कहानी उनके लिए भी एक श्रद्धांजलि है।

  9. Abhinav Dang
    Abhinav Dang

    फैन कल्चर का एक असली एग्जांपल है सोमू... ये बस एक फैन नहीं, ये एक एक्सपर्ट है जिसके पास टीम के हर खिलाड़ी के बारे में डेटा है... उनके पास ट्रैकिंग सिस्टम है कि कौन से खिलाड़ी किस ट्रॉफी के बाद कितना अच्छा खेलते हैं... ये नहीं जानते कि वो एक फैन हैं या एक एनालिस्ट... और ये बहुत अच्छा है।

  10. krishna poudel
    krishna poudel

    सोमू के बारे में ये सब बहुत अच्छा है... लेकिन आप लोग भूल रहे हैं कि वो एक आम आदमी है जिसने बस अपनी लाइफ में एक टीम को चुन लिया... अगर वो अर्जुन के बारे में लिखता तो क्या आप सब यही करते? नहीं... ये बस एक ट्रेंड है... और ट्रेंड के लिए लोग अपने दिमाग को बेच देते हैं।

  11. vasanth kumar
    vasanth kumar

    मैं भी एक फैन हूँ... और जब मैं सोमू की कहानी पढ़ता हूँ तो लगता है जैसे मैं भी उस टीम का हिस्सा हूँ... नहीं, मैंने कभी स्टेडियम में नहीं बैठा... लेकिन मैं उनके लिए गाना गाता हूँ... और उनके लिए जीतने की कामना करता हूँ... ये बस एक फैन का साधारण जीवन है... लेकिन इसमें बहुत गहराई है।

एक टिप्पणी लिखें