पंजाब विधानसभा में एक महत्वपूर्ण बदलाव हुआ है, जहां सांसदों को कम से कम चार देशी भाषाओं में बोलने की अनुमति दी गई है, जिनमें पंजाबी भी शामिल है। यह विकास विधानसभा में अधिक भाषाई विविधता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो सदस्यों को उनकी मूल भाषाओं में अधिक प्रभावी तरीके से खुद को व्यक्त करने में सक्षम बनाता है।