बोनस शेयर: आसान समझ, सीधे लाभ

अगर आप शेयर बाजार में नए हैं तो "बोनस शेयर" शब्द अक्सर सुनते होंगे। सरल भाषा में कहें तो कंपनी अपने मौजूदा शेयरधारकों को मुफ्त में अतिरिक्त शेयर देती है. इससे आपके पास पहले से अधिक शेयर हो जाते हैं और आपका निवेश बढ़ता दिख सकता है.

क्यों जारी करते हैं कंपनियां?

कंपनियों के पास दो मुख्य कारण होते हैं। पहला, उनके पास बचा हुआ मुनाफ़ा (रिज़र्व) होता है जिसे वे नकद में नहीं देना चाहते, तो वह शेयरधारकों को बोनस रूप में देते हैं. दूसरा, कंपनी की शेयर कीमत बहुत अधिक हो गई हो और उसे कम करके निवेशकों का आकर्षण बढ़ाना चाहती हो। बोनस शेयर से बाजार में शेयरों की आपूर्ति बढ़ जाती है, जिससे कीमत घट सकती है और छोटे निवेशक आसानी से खरीद सकते हैं.

बोनस शेयर कैसे मिलते हैं?

जब कंपनी बोनस घोषणा करती है तो वह एक अनुपात तय करती है – जैसे 1:5 मतलब हर पाँच मौजूदा शेयर पर एक अतिरिक्त शेयर मिलेगा. आपके डिमैट खाते में यह स्वचालित रूप से जोड़ दिया जाता है, आपको कोई अलग आवेदन नहीं करना पड़ता. बस ध्यान रखें कि आप अपने शेयरों को किसी भी समय बेच सकते हैं, लेकिन बोनस मिलने के बाद कुछ दिनों की लॉक‑इन पीरियड हो सकती है.

ध्यान देने वाली बात यह है कि बोनस शेयर पर टैक्स नहीं लगता जब तक आप उन्हें बेचते नहीं। यदि बिक्री करते हैं तो पूंजीगत लाभ कर (कैपिटल गैन्स टॅक्स) लागू होगा, जो आपके हाथ में रखे शेयरों की अवधि पर निर्भर करता है – एक साल से कम के लिए शॉर्ट‑टर्म और उससे अधिक के लिए लॉन्ग‑टर्म.

भारत में हाल ही में कई बड़े नाम बोनस शेयर जारी कर चुके हैं। उदाहरण के तौर पर 2024 में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज़ ने 1:5 बोनस दिया, जिससे छोटे निवेशकों को काफी फायदा हुआ. इसी तरह रिलायन्स इंडस्ट्रीज़ ने भी 2023 में समान अनुपात लागू किया था.

अगर आप अपने पोर्टफोलियो में बोनस शेयर जोड़ना चाहते हैं तो सबसे पहले कंपनी की घोषणा देखें और उसके रिकॉर्ड डेट (जिस दिन आपको शेयर मिलते हैं) को नोट करें. इसके बाद डिमैट अकाउंट में शेयरों का अपडेट चेक कर लें. कई बार ब्रोकरेज फर्में इस प्रक्रिया के बारे में ईमेल या एसएमएस से सूचना देती हैं.

बोनस शेयर का एक बड़ा फायदा यह भी है कि इससे कंपनी की बुक वैल्यू (पुस्तक मूल्य) बढ़ती है, जिससे निवेशकों को भविष्य में बेहतर डिविडेंड मिलने की संभावना बन सकती है. हालांकि, बोनस खुद से कोई नकद रिटर्न नहीं देता; इसका असली लाभ तब आता है जब आप इन शेयरों को सही समय पर बेचते हैं.

संक्षेप में कहा जाए तो बोनस शेयर एक मुफ्त उपहार जैसा है, लेकिन इसे समझदारी से इस्तेमाल करना चाहिए. कंपनी की वित्तीय स्थिति, बाजार की प्रवृत्ति और आपका निवेश लक्ष्य देख कर ही निर्णय लें कि इस बोनस को कब बेचना उचित रहेगा.

विप्रो शेयर बोनस विचार: 17 अक्टूबर को होगा बोर्ड बैठक