जब फ़ार्मास्युटिकल टैरिफ, भारत में दवाओं पर लगने वाले आयात कर, कस्टम ड्यूटी और अन्य शुल्कों का कुल मिलाकर प्रतिशत या मूल्य. इसे कभी‑कभी दवा टैरिफ कहा जाता है, तो आप समझ गये कि यह क्या है और क्यों महत्व रखता है। यह टैरिफ सीधे औषधि आयात कर, विदेश से दवा ला रहे कंपनियों को देना पड़ने वाला कर से जुड़ा है, साथ ही दवा नीति, सरकार की वह रणनीति जो दवाओं की उपलब्धता, कीमत और गुणवत्ता को नियंत्रित करती है को भी प्रभावित करता है। सरल शब्दों में, फ़ार्मास्युटिकल टैरिफ यह तय करता है कि एक टैबलेट या इन्फ्यूजन की कीमत में कितना कर जोड़ना पड़ेगा, और यह कर भारत सरकार की बजट योजना में कैसे फिट होता है।
भारत में फ़ार्मास्युटिकल टैरिफ मुख्य रूप से दो चीज़ों को प्रतिबिंबित करता है: पहला, सुरक्षा शुल्क जो घरेलू उत्पादकों की प्रतिस्पर्धा को संतुलित करता है; दूसरा, आयात के लिये निर्धारित वैश्विक दवा कीमत, दुनिया भर में समान दवाओं की औसत कीमतें जो टैरिफ की दर तय करने में एक बेसलाइन बनती हैं। जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें घटती हैं, तो भारत सरकार टैरिफ को घटाकर आयात को प्रोत्साहित कर सकती है, जिससे उपभोक्ता को सस्ती दवा मिलती है। उल्टा, अगर घरेलू उद्योग को बचाना हो तो टैरिफ बढ़ाया जाता है, जिससे आयात महंगा हो जाता है और स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा मिलता है। यह संबंध “फ़ार्मास्युटिकल टैरिफ → दवा नीति → औषधि आयात कर” के रूप में दर्शाया जा सकता है, यानी टैरिफ नीति का आधार, नीति टैरिफ को दिशा देती है, और कर इसका अन्तिम रूप है।
इन संबंधों को समझने से आप यह भी जान पाएँगे कि टैरिफ कैसे समय‑समय पर बदलता रहता है। उदाहरण के लिये, 2022‑23 में सरकार ने COVID‑19 वैक्सीन के आयात को तेज करने के लिये टैरिफ को 0 % कर दिया था, जिससे बड़े स्तर पर वैक्सीनेशन सम्भव हुआ। वहीँ 2024 में कुछ हाई‑प्राइस एंटी‑कैंसर दवाओं पर टैरिफ बढ़ा कर 12 % किया गया, ताकि स्थानीय निर्माताओं को प्रोत्साहन मिले। इसलिए टैरिफ सिर्फ एक स्थिर शूल्क नहीं, बल्कि एक गतिशील उपकरण है जो सार्वजनिक स्वास्थ्य, उद्योग विकास और विदेशी ट्रेड को संतुलित करता है।
आप नीचे दी गई लेखों की सूची में देखेंगे कि कैसे विभिन्न प्रदेशों, समयावधियों और दवा वर्गों में टैरिफ के बदलावों ने वास्तविक जीवन को प्रभावित किया। चाहे आप एक बिज़नेस प्रोफेशनल हों, मेडिकल छात्र, या फिर बस दवा की कीमतों को लेकर जिज्ञासु, इस पेज की जानकारी आपको टैरिफ के पीछे की लॉजिक और उसकी सीमाओं की साफ़ समझ देगी। तैयार रहें, क्योंकि आगे के लेखों में हम विस्तृत उदाहरणों, अनुप्रयोगों और भविष्य के संभावित बदलावों को उजागर करेंगे।
डोनाल्ड ट्रम्प ने 1 अक्टूबर 2025 से भारतीय पेशेवर और ब्रांडेड दवाओं पर 100% टैरिफ लगाने का इशारा किया, केवल उन कंपनियों को छूट दी जाएगी जो अमेरिका में निर्माण शुरू करेंगी। 50% मौजूदा टैरिफ के ऊपर यह कदम दो‑तीन गुना बढ़ाने की धमकी देता है। भारतीय फ़ार्मास्युटिकल एलायंस ने बताया कि जेनरिक दवाओं को कोई असर नहीं होगा, जो अमेरिका की दवा ख़र्च में लगभग 200 बिलियन डॉलर की बचत करती हैं। यह निर्णय बड़े फर्मों जैसे ड्रेडी, सन फार्मा और जुडस को सीधे प्रभावित कर सकता है।