नागरोटा विधानसभा सीट हर साल बड़े ध्यान से देखी जाती है। लोग यहां की राजनीति को करीब से फॉलो करते हैं क्योंकि यहाँ के मुद्दे अक्सर राज्य‑स्तर पर असर डालते हैं। इस लेख में हम आपको उम्मीदवारों का संक्षिप्त परिचय, पिछले चुनाव का डेटा और आने वाले परिणाम की संभावनाएं बताएंगे—सब कुछ सीधा और समझने आसान ढंग से।
इस बार के प्रमुख उम्मीदवार तीन बड़े पार्टियों से आए हैं। कांग्रेस की ओर से सुभाष सिंह ने युवा वोटर को आकर्षित करने के लिए शिक्षा और रोजगार पर फोकस किया है। एंटी‑पार्टी का प्रतिनिधित्व करता हुआ भाजपा के अजय दत्री ने सुरक्षा, सड़क विकास और किसान मदद को अपने मुख्य वादे बनाया है। तृणमूल कांग्रेस से नवीन कौर ने महिलाओं की सशक्तिकरण और स्वास्थ्य सुविधाओं पर ज़ोर दिया है। इन तीनों के अलावा कुछ छोटे दलों के उम्मीदवार भी हैं, लेकिन उनका प्रभाव सीमित रह सकता है क्योंकि वोटर बेस छोटा है।
उम्मीदवारों का पिछला रिकॉर्ड भी देखना जरूरी है। सुभाष सिंह ने पिछले दो साल में कई स्कूल और कॉलेज खोले हैं, जबकि अजय दत्री ने अपने क्षेत्र में दो बड़े हाईवेज़ की शुरुआत करवाई। नवीन कौर पहले से ही महिला स्वास्थ्य केंद्र चलाते आ रहे हैं, इसलिए महिलाओं के बीच उनकी लोकप्रियता बढ़ रही है। इस जानकारी को ध्यान में रखकर आप समझ सकते हैं कि कौन‑से वादे लोगों तक पहुँच पाएंगे।
पिछले तीन चुनावों में नागरोटा ने वोट शेयर में थोड़ी‑बहुत बदलाव देखा है। 2019 के चुनाव में कांग्रेस को लगभग 38% वोट मिला, भाजपा को 35%, और तृणमूल को 22%. इस बार युवा वर्ग का असर बढ़ रहा है, इसलिए सामाजिक मीडिया पर चल रहे मुद्दे जैसे रोजगार और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर की चर्चा बड़ी भूमिका निभा सकती है।
यदि हम रिवाज के अनुसार वोटिंग पैटर्न देखें तो ग्रामीण इलाकों में भाजपा मजबूत रहती है, जबकि शहर वाले क्षेत्रों में कांग्रेस और तृणमूल को बेहतर प्रतिस्पर्धा मिलती है। इस बार कई नई नीतियों का वादा किया गया है, इसलिए यह संभव है कि युवा मतदाता पारंपरिक रिवाज से हट कर अपने हित के आधार पर मतदान करें।
एक अनुमान लगाते हुए कहा जा सकता है कि यदि कांग्रेस ने अपना शिक्षा‑रोजगार पैकेज सही ढंग से पेश किया तो वह 40% से अधिक वोट हासिल कर सकती है। भाजपा को अगर सड़क और सुरक्षा का वादा पूरा करने में भरोसा दिलाया जाए, तो उनके पास भी 35% तक पहुंचना संभव है। तृणमूल को महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने वाले कार्यक्रमों से लगभग 20% समर्थन मिल सकता है।
नागरोटा चुनाव के परिणाम को समझने के लिए इन बिंदुओं पर नज़र रखना फायदेमंद रहेगा—उम्मीदवारों का रिकॉर्ड, वादे और वोटर बेस का विभाजन। चाहे आप इस सीट में रह रहे हों या सिर्फ जानकारी चाहते हों, यह सारांश आपको एक स्पष्ट तस्वीर देता है।
अंत में याद रखें, हर चुनाव स्थानीय मुद्दों से जुड़ा होता है। इसलिए खबरें पढ़ते समय यह देखिए कि कौन‑से वादे वास्तविक समस्याओं को हल करने की दिशा में हैं और किसकी योजना व्यावहारिक लगती है। इस तरह आप अपने मत या अपनी राय बनाने में बेहतर निर्णय ले पाएँगे।
जम्मू-कश्मीर के भाजपा विधायक देवेंद्र सिंह राणा का 59 वर्ष की आयु में फरीदाबाद के एक अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। नागरोटा विधानसभा से हाल ही में निर्वाचित हुए थे। डोगरा समुदाय के एक मजबूत आवाज के रूप में पहचाने जाते थे। उनके निधन पर राजनीतिक नेताओं ने शोक व्यक्त किया।