त्रिपुरा में एचआईवी संकट
त्रिपुरा राज्य में एचआईवी संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, खासकर छात्रों के बीच। हाल ही में आई एक चौंकाने वाली रिपोर्ट में पता चला है कि त्रिपुरा के 828 छात्र एचआईवी पॉजिटिव पाए गए हैं, और अब तक 47 की मौत हो चुकी है। यह संकट मुख्यतः इंजेक्टेबल ड्रग्स के उपयोग से जुड़ा हुआ है, जो खासकर उन छात्रों में ज्यादा पाया जाता है, जिनके दोनों माता-पिता सरकारी सेवा में हैं।
त्रिपुरा राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी (TSACS) ने 220 स्कूलों और 24 कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की पहचान की है जहां छात्र इंजेक्टेबल ड्रग्स का उपयोग कर रहे हैं। यह डेटा राज्य के 164 स्वास्थ्य सुविधाओं से संग्रहित किया गया है, जिसमें प्रतिदिन 5 से 7 नए एचआईवी मामलों का पता चल रहा है। यह स्तिथि बेहद चिंताजनक है और इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
ड्रग्स का बढ़ता उपयोग
त्रिपुरा में इंजेक्टेबल ड्रग्स का उपयोग तेजी से बढ़ा है, खासकर छात्रों के बीच। यह समस्या न केवल स्वास्थ्य के लिए बल्कि समाज के लिए भी बड़ा खतरनाक साबित हो रही है। इंजेक्टेबल ड्रग्स के उपयोग से एचआईवी संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि इससे एक ही सीरिंज का उपयोग कई लोगों द्वारा किया जाता है, जिसके कारण वायरस का संक्रमण तेजी से फैलता है।
TSACS के संयुक्त निदेशक ने इस समस्या को हल करने के लिए व्यापक रणनीतियों की आवश्यकता पर जोर दिया है। उनका कहना है कि ड्रग्स के उपयोग को रोकने और एचआईवी के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए व्यापक चिकित्सा हस्तक्षेप, सार्वजनिक जागरूकता अभियान और सामुदायिक सक्रियता पहलें जरूरी हैं।
स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति
त्रिपुरा में एचआईवी से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है और इसके साथ ही स्वास्थ्य सुविधाओं पर दबाव भी बढ़ रहा है। मई 2024 तक, त्रिपुरा के एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) केन्द्रों में 8,729 एचआईवी पॉजिटिव लोगों का पंजीकरण किया जा चुका है। एचआईवी पॉजिटिव लोगों के इलाज और देखभाल के लिए इन केंद्रों पर लगातार दबाव बना हुआ है।
स्वास्थ्य सुविधाओं का अपग्रेडेशन और विस्तार इस समय की जरूरत है ताकि एचआईवी संक्रमित लोगों को समय पर और प्रभावी इलाज मिल सके।
जन जागरूकता अभियान
त्रिपुरा में एचआईवी संक्रमण को रोकने के लिए जन जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं। TSACS और अन्य गैर-सरकारी संगठनों ने मिलकर जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न अभियान चलाए हैं। यहां तक कि स्कूलों और कॉलेजों में भी नशे से बचने के उपाय और एचआईवी के बारे में शिक्षा दी जा रही है।
इन अभियानों का उद्देश्य छात्रों और उनके माता-पिता को एचआईवी के खतरों के प्रति जागरूक करना और उन्हें स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना है।
समुदाय की भागीदारी
समुदाय की भागीदारी भी इस समस्या के समाधान में महत्वपूर्ण है। स्थानीय समुदाय के नेताओं और संगठनों को इस अभियान में शामिल किया जा रहा है ताकि वे अपने क्षेत्र में ड्रग्स के उपयोग और एचआईवी के प्रसार को रोकने में मदद कर सकें।
स्कूलों और कॉलेजों में शिक्षकों और छात्रों को भी इस संबंध में संवेदनशील बनाया जा रहा है ताकि वे खुद और अपने साथियों को इस खतरे से बचा सकें।
समाज के लिए संदेश
एचआईवी संक्रमण को रोकने और इंजेक्टेबल ड्रग्स के उपयोग को कम करने के लिए समाज के हर व्यक्ति की भूमिका अहम है। यह समय की मांग है कि हम सब मिलकर इस समस्या का सामना करें और अपने समाज को इस खतरे से बचाएं।
त्रिपुरा में एचआईवी संकट को रोकने के लिए ठोस कदम उठाना अत्यंत आवश्यक है। सरकार, स्वास्थ्य संस्थाएं, शैक्षणिक संस्थान और समाज इस अभियान में मिलकर काम करें और इस मुद्दे को जड़ से खत्म करने का प्रयास करें।