विश्व संगीत दिवस के शुभ अवसर पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने संगीत प्रेम का अद्भुत उदाहरण पेश किया। उन्होंने न केवल एक बांग्ला गीत लिखा बल्कि उसे कंपोज भी किया। इस गीत को गायक और राजनेता बाबुल सुप्रियो ने अपनी आवाज दी। ममता बनर्जी ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी भावनाओं को साझा करते हुए बताया कि संगीत की कोई सीमाएं नहीं होती और यह शांति, प्रेम, और सद्भाव का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि संगीत एक ऐसी भाषा है जो पूरी दुनिया को जोड़ सकती है, इसका सुर हमारे दिलों में अनंत समय तक गूंजता रहता है।
गीत के बोल में ममता बनर्जी ने लिखा, 'मैं सोचता हूं कि मैं जीवित हूं, आप भी जीवित हैं? यह जीने का जादू है, संगीत को जीवन का साधन बनने दें।' यह संदेश आपसी सद्भाव और जीने की खुशी को व्यक्त करता है। ममता बनर्जी का यह प्रयास न केवल लोगों के दिलों को छूने वाला है बल्कि यह दिखाता है कि राजनीति से परे भी संवेदनशीलता और सौंदर्य की सोच हो सकती है।
इसी कार्यक्रम में बाबुल सुप्रियो ने अपने गीत के माध्यम से भाजपा की आलोचना भी की। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि वे बंगाली संस्कृति और मनोविज्ञान को नहीं समझते और इसे नफरत की पार्टी बताया। बाबुल सुप्रियो के इस बयान ने राजनीतिक माहौल को भी गर्म कर दिया है।
कोलकाता के भारतीय संग्रहालय के अशुतोष जन्मशताब्दी हॉल में बांग्लानाटक डॉट कॉम द्वारा एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में संगीत और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को प्रदर्शित किया गया। पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले की छऊ नृत्य टीम, जिसका नेतृत्व बिरें कलिंदी कर रहे हैं, इस आयोजन के प्रमुख आकर्षणों में से एक रही। इस टीम को 21 और 22 जून को चेक गणराज्य में 'आर्ट एंड लाइफ फेस्टिवल' में प्रस्तुति देने का अवसर मिला है। यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है जो पश्चिम बंगाल की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को अंतरराष्ट्रीय मंच पर ले जाती है।
यह दिवस सभी संगीत प्रेमियों के लिए एक विशेष अवसर था। उन्होंने संगीत के माध्यम से शांति, प्रेम, और सौहार्द का संदेश फैलाने का प्रयास किया। संगीत समाज को जोड़ने और नई ऊर्जाओं का संचार करने का सबसे सशक्त माध्यम है। ममता बनर्जी का यह कदम न केवल उनके संगीत प्रेम को दर्शाता है बल्कि उनकी नेता के रूप में पहचान को भी और गहराई देता है।