2024 पश्चिम बंगाल लोकसभा चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला
पश्चिम बंगाल में 2024 के लोकसभा चुनाव के एग्जिट पोल ने राजनीति के समीकरणों में नई धड़कनें ला दी हैं। इस बार सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच कड़े मुकाबले की स्थिति बनी हुई है। बीजेपी जहाँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनावी मैदान में है, वहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी टीएमसी का नेतृत्व कर रही हैं। पिछले 13 वर्षों से पश्चिम बंगाल में शासन कर रही टीएमसी इस बार 'माँ, माटी, मानुष' के नारे के साथ चुनाव लड़ रही है।
बीजेपी और टीएमसी की रणनीति
वर्तमान चुनाव में टीएमसी और बीजेपी दोनों ही अपनी-अपनी रणनीतियों के साथ मैदान में उतरे हैं। बीजेपी का मानना है कि उसने पिछले चुनाव में जो 18 सीटें जीती थीं, उन्हें वो इस बार और भी बढ़ा सकेगी। वहीं टीएमसी अपनी रणनीति में जमीनी मुद्दों को शामिल करते हुए निर्वाचन क्षेत्र में अपनी पकड़ बना रही है। दोनों पार्टियों के लिए यह चुनाव न सिर्फ सत्ता की लड़ाई है बल्कि यह उनके अस्तित्व की भी लड़ाई है।
कांग्रेस और CPI(M) का गठबंधन
टीएमसी और बीजेपी के अलावा कांग्रेस और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) यानी CPI(M) ने भी गठबंधन बना लिया है। साथ में इस गठबंधन को भारतीय सेक्युलर फ्रंट (ISF) का भी समर्थन मिल रहा है। इस गठबंधन को 'तीसरा मोर्चा' कहा जा रहा है। जहां टीएमसी और बीजेपी अकेले चुनाव लड़ रही हैं, वहीं तीसरे मोर्चे ने अपनी ताकत को संयोजित करने का प्रयास किया है।
एग्जिट पोल के अनुमान
विभिन्न एजेंसियों द्वारा जारी किए गए एग्जिट पोल के अनुसार, बीजेपी को 21-26 सीटें मिलने की उम्मीद है, जबकि टीएमसी को 16-21 सीटें मिलने की संभावना है। तीसरे मोर्चे को इससे कम सीटें मिलने की संभावना है। रिपब्लिक, जनता की बात, इंडिया न्यूज़-डी-डायनामिक्स, और इंडिया न्यूज़ जैसी एजेंसियों के आकलन से यह स्पष्ट होता है कि बीजेपी इस बार बढ़त हासिल कर सकती है।
ममता बनर्जी की चुनौतियाँ
ममता बनर्जी की टीएमसी के सामने कई चुनौतियाँ हैं। पहला, बीजेपी की बढ़ती लोकप्रियता और केंद्र की नीतियों का असर। दूसरा, राज्य में बेरोजगारी और महिलाओं के खिलाफ हिंसा जैसे मुद्दे भी टीएमसी के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं। इसके अलावा, कोरोना महामारी के बाद राज्य में आर्थिक संकट भी एक बड़ा मुद्दा है।
बीजेपी की संभावनाएँ
बीजेपी की संभावनाएँ इस बार ज्यादा मजबूत मानी जा रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और उनके आत्मनिर्भर भारत, मेंक इन इंडिया जैसे अभियानों से जनता में एक सकारात्मक लहर देखने को मिल रही है। बीजेपी के पास संगठन की ताकत है और उन्होंने राज्य में अपना कैडर मजबूत किया है।
तीसरे मोर्चे की भूमिका
तीसरे मोर्चे की भूमिका भी इस चुनाव में महत्वपूर्ण हो सकती है। कांग्रेस और CPI(M) का गठबंधन अगर मजबूत प्रदर्शन करता है, तो यह चुनावी समीकरण बदल सकता है। हालांकि, उनके सामने भी अपनी विश्वसनीयता साबित करने की चुनौती है, क्योंकि दोनों पार्टियों का जनाधार पिछले कुछ समय में कमजोर हुआ है।
मतदान का महत्त्व
इस बार के मतदान में युवाओं की भूमिका भी महत्वपूर्ण रहेगी। युवा मतदाताओं की संख्या में वृद्धि हुई है और उनकी प्राथमिकताएँ भी पारंपरिक मतदाताओं से अलग हैं। वे विकास, रोजगार, शिक्षा और स्वास्थय सेवाओं जैसे मुद्दों पर जोर देते हैं।
आखिरकार, पश्चिम बंगाल का यह चुनाव न केवल राज्य की, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। एग्जिट पोल ने राजनीति के ध्रुवीकरण को और स्पष्ट कर दिया है, लेकिन अंतिम नतीजे ही पार्टीयों के भविष्य का निर्धारण करेंगे।