Nothing‑Optiemus साझेदारी की रूपरेखा
लंदन‑आधारित स्मार्टफ़ोन निर्माता Nothing ने भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स फर्म Optiemus Electronics के साथ एक रणनीतिक गठबंधन की घोषणा की। तीन साल में $100 मिलियन से अधिक का निवेश दोनो कंपनियों को एक साथ काम करने का मंच देता है। इस जुड़ाव के तहत Nothing की किफायती सब‑ब्रांड CM F को एक स्वतंत्र कंपनी बनाकर भारत को उसके मुख्यालय, शोध‑और‑विकास (R&D) और उत्पादन केंद्र के रूप में स्थापित किया जाएगा।
संबंधित समझौते के अनुसार Optiemus को 65% शेयर मिलेंगे, जबकि Nothing 35% हिस्सेदारी रखेगा और खुद को प्रमुख ग्राहक के रूप में स्थापित करेगा। शुरुआती लक्ष्य 300,000‑400,000 स्मार्टफ़ोन या वेयरएबल्स का मासिक उत्पादन है, जिसे बाजार की मांग के अनुसार आगे बढ़ाया जाएगा। इस पहल को भारत के मोबाइल फ़ोन उत्पादन‑संबंधित प्रोत्साहन (PLI) योजना के तहत विशेष प्रोत्साहन मिलेंगे, जिससे लागत‑प्रभावी उत्पादन और एक्सपोर्ट संभावना बेहतर होगी।
Nothing के CEO कार्ल पेई ने भारत के सूचना और इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्री अश्विनी वैष्णव से मुलाकात के दौरान इस योजना पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा, “हमने भारत में अपनी यात्रा और भविष्य के कदमों पर बात की, और CMF को भारत‑हैडक्वार्टर बनाकर एक वैश्विक उपभोक्ता‑तकनीक ब्रांड बनाना हमारा लक्ष्य है।”
भारत में नौकरी और उद्योग पर प्रभाव
इस साझेदारी से सीधे 1,800 से अधिक नई नौकरियां सृजित होंगी – उत्पादन, डिजाइन, परीक्षण, लॉजिस्टिक्स और बिक्री जैसे विभिन्न विभागों में। स्थानीय प्रतिभा को उन्नत तकनीकी प्रशिक्षण मिलने का अवसर मिलेगा, जिससे भारत में तकनीकी कौशल का स्तर भी उठेगा।
वर्तमान में भारत में $200 मिलियन से अधिक का कुल निवेश Nothing ने किया है। कंपनी ने पहले ही अपने CMF ब्रांड की वैश्विक मार्केटिंग ऑपरेशन्स को भारत में स्थानांतरित कर दिया है और Xiaomi के POCO ब्रांड से हिमांशु टोंडन को CMF के वीपी‑ऑफ़‑बिज़नेस के तौर पर नियुक्त किया है। यह कदम कंपनी की भारत‑पहली रणनीति को और सुदृढ़ करता है।
वित्तीय आंकड़ों से पता चलता है कि 2025 की दूसरी तिमाही में $200 से कम कीमत वाले स्मार्टफ़ोन भारत में 42% फ़ोन शिपमेंट्स का सीधा हिस्सा रहे। Nothing ने इसी वर्ग में 2% से अधिक बाजार हिस्सेदारी हासिल की और उसी अवधि में 85% की साल‑दर‑साल वृद्धि देखी। इस प्रकार, भारत न केवल Nothing के लिए एक बड़ा बाजार है, बल्कि इसकी सस्ते‑दाम वाले फ़ोन से जुड़ी वृद्धि कंपनी को नई संभावनाएं प्रदान कर रही है।
निवेश की खबरें तब आईं जब Nothing ने Tiger Global के नेतृत्व में $200 मिलियन की सीरीज़‑C फंडिंग पूरी की, जिससे कंपनी का मूल्यांकन $1.3 बिलियन तक पहुंचा। इस दौर में भारतीय निवेशकों जैसे ज़ेरोधा के निखिल कामथ, फिल्म निर्माता करण जौहर, क्रिकेटर युवराज सिंह और यूट्यूबर रणवीर अल्लाभादिया ने भी हिस्सा लिया। ऐसी पूंजी इंजेक्शन Nothing को भारत में उत्पादन का विस्तार करने और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में मदद करेगी।
आगे चलकर, Nothing‑Optiemus मॉडल अन्य टेक कंपनियों के लिए एक संभावित ब्लूप्रिंट बन सकता है। Xiaomi ने अपना POCO ब्रांड अलग किया, Huawei ने Honor को स्वतंत्र किया, और Oppo ने Realme को एक स्वतंत्र कंपनी बना दिया। इस तरह के ब्रांड स्पिन‑ऑफ और स्थानीय उत्पादन केंद्र स्थापित करने की रणनीति लागत बचत और स्थानीय बाजार में तेज़ी से प्रवेश की सुविधा देती है।
- कुल निवेश: $100 मिलियन (तीन साल) + पहले से $200 मिलियन
- नौकरी सृजन: 1,800+
- प्राथमिक उत्पादन लक्ष्य: 300,000‑400,000 यूनिट/माह
- Optiemus की हिस्सेदारी: 65%, Nothing की हिस्सेदारी: 35%
- CMF को भारत में ग्लोबल हेडक्वार्टर बनाना
यह कदम न केवल Nothing के ब्रांड को भारत में गहरी जड़ें देता है, बल्कि भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स सर्किट्री को भी विश्वस्तरीय मंच पर लाता है। जैसे ही उत्पादन बढ़ेगा, निर्यात के अवसर भी हाथ में आएंगे, जिससे भारत की आर्थिक दिशा पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
भारत में एक ग्लोबल टेक ब्रांड का हेडक्वार्टर बनना सिर्फ एक बड़ी बात नहीं, ये तो एक नए युग की शुरुआत है। CMF को यहां बनाने का फैसला सिर्फ कॉस्ट कम करने के लिए नहीं, बल्कि हमारी टेक स्किल्स को ग्लोबल स्टैंडर्ड पर लाने के लिए है। ये वो जगह है जहां एक इंडियन इंजीनियर अगले पांच साल में दुनिया का सबसे किफायती स्मार्टफोन डिज़ाइन कर सकता है।
हमारे यहां तकनीकी शिक्षा तो है, लेकिन उसका असली इस्तेमाल अभी तक नहीं हुआ। अब जब एक ब्रांड जो दुनिया भर में लोगों को इमोशनली कनेक्ट करता है, वो अपना दिमाग हमारे देश में बैठा रहा है - ये बहुत बड़ा विश्वास है।
हम जब भी किसी विदेशी ब्रांड की बात करते हैं, तो लगता है वो हमारे लिए बाहर की चीज़ है। लेकिन अब Nothing ने बदल दिया - ये हमारी चीज़ है। ये हमारी जमीन पर बन रहा है, हमारे युवाओं के हाथों से।
इस बार निवेशकों ने सिर्फ पैसा नहीं डाला, बल्कि हमारे भविष्य पर भरोसा दिखाया। ज़ेरोधा, करण जौहर, युवराज सिंह - सबने अपने नाम लगाए। ये अब सिर्फ टेक नहीं, ये एक सांस्कृतिक रणनीति है।
हम जब अपने देश के बारे में बात करते हैं, तो अक्सर सिर्फ बड़े ब्रांड्स की बात करते हैं। लेकिन अब एक छोटा सा ब्रांड, जिसका नाम भी 'Nothing' है, ने हमें बता दिया कि कुछ भी नहीं नहीं होता - बस वो कुछ हमारे दिमाग से शुरू होता है।
woahhh this is huge!! i mean seriously, 1800 jobs just like that?? i was just thinking yesterday how hard it is to find a good tech job in small towns. now someone’s actually building it here. hope they hire local grads too, not just from delhi or bangalore. 🙏
so cmf is now like the new poco? lol. i mean, nothing’s whole vibe is ‘minimalist tech’ but now they’re making phones in india? sounds like a win-win. but wait - if optiemus owns 65%, then who’s actually calling the shots? the guy who makes the phone or the guy who sells it? 🤔
brooooo this is the energy we needed! india finally getting its due in the global tech scene. no more just being the market - now we’re the brain. imagine a kid from patna designing a phone that’s sold in germany. that’s not a dream anymore. this is real. let’s gooo!!! 🚀
the 35-65 split is interesting. nothing keeps 35% but controls the brand and design - that’s smart. optiemus handles manufacturing and scale. it’s like a classic tech partnership: one brings the vision, the other brings the factory. no drama, just execution.
also, the PLI scheme is finally working. we’ve been talking about this for years. now it’s happening. not just for big names like samsung or apple - but for a startup vibe brand like nothing. that’s progress.
i think this is good. more jobs, more learning. i know people who work in phone factories - they don’t get paid much, but they learn a lot. now maybe they’ll get better training. i hope they teach them how to fix things too, not just build them.
also, if this works, maybe other brands will follow. then we won’t need to buy phones from china. we’ll make them here. that feels right.
nothing = something. that’s the irony. they named it after emptiness, but built it on full potential. the real question isn’t how many phones they’ll make - it’s how many minds they’ll awaken. when you build in india, you don’t just make products. you make possibility.
every phone is a story. this one? it starts with a boy in lucknow who never thought he’d touch a circuit board - until today.
okay but when are they gonna fix the software? i’ve used nothing phones - the hardware is cool, but the software is still buggy as hell. all this investment and they’re still not nailing the basics?