जब चामरी अठापाठू, कप्तान स्रीलंका महिला क्रिकेट टीम ने टॉस जीतकर पहले बैटिंग का फैसला किया, तो सबको लगा कि टीम अपने घर के मैदान पर एक शानदार स्कोर बना पाएगी। लेकिन बारिश ने खेल को अचानक रोक दिया, जिससे कोलंबो के र प्रेमा दास अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में स्रीलंका‑न्यूज़ीलैंड वर्ल्ड कप 2025 का मिलन रद्द हो गया। यह घटना 14 अक्टूबर 2025 को शाम 6:10 बजे आईएसटी पर हुई, और खेल देर शाम 8:45 बजे आधिकारिक रूप से बंद कर दिया गया।
पृष्ठभूमि और टॉस की कहानी
इस मैच को ICC महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप 2025र प्रेमा दास अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम, कोलंबो के ग्रुप चरण की 15वीं नियत में रखा गया था। टॉस का फैसला करने के बाद, चामरी ने अपने टीम को पहले बैटिंग का अवसर दिया, क्योंकि उन्होंने माना कि उनके स्पिन‑फ़्रेंडली पिच पर घरेलू बॉलर्स को फायदा मिलेगा। न्यूज़ीलैंड की ओर से कप्तान सॉफी डेविन ने इस निर्णय पर सराहा, लेकिन उन्होंने अपने टीम को निश्चित जीत का भरोसा नहीं दिखाया।
मैच का खेल और तेज़ी से बनी रिकॉर्ड
स्रीलंका ने 50 ओवर में कुल 258 रन बनाये, छह विकेट गिरे। इस स्कोर में सबसे चमकते सितारे नीलकशीका सिल्वा थीं, जिन्होंने मात्र 28 गेंदों में 55 रन बनाकर टूर्नामेंट की सबसे तेज़ पचास (26 गेंदों में) का रिकॉर्ड स्थापित किया। टीम में हर्शिता समरविक्रम (26) और नीलकशी दे सिल्वा (29) ने मध्य क्रम में स्थिरता प्रदान की। जोखिमभरे जैविक पिच पर, अनुभवी स्पिनर इनोका रानावेरे तथा सुगेनडिका कुमारी को आगे की गेंदबाज़ी में बड़ी भूमिका निभाने की उम्मीद थी।
बारिश ने खेल को ख़ारिज क्यों किया
स्रीलंका की पारी संपूर्ण होने के ठीक बाद ही कोलंबो में लगातार बारिश शुरू हुई। शुरूआती ओवरों में हल्की बूंदे गिर रही थीं, पर 46.2 ओवर के बाद वे तेज़ और लगातार हो गईं। रिफ़्रीज ने मैदान को सूखा रखने के लिये कई बार ड्रेनिंग सिस्टम को चलाया, पर फिर भी पानी की मात्रा अत्यधिक थी। इस कारण अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने 8:45 बजे खेल को आधिकारिक तौर पर जारी नहीं रखने का फैसला किया। दोनों टीमों को इस वजह से 1‑1 अंक मिल गया, जैसा कि ICC के रेन‑मैच नियमों में बताया गया है।
टीमों की वर्तमान स्थिति और तालिका में प्रभाव
रद्द होने के बाद, स्रीलंका महिला टीम अब तक के चार मैचों में दो अंक (दो रेन‑आउट) ही रख पाई है और अभी तक कोई जीत नहीं हुई है। उनकी स्थिति नाज़ुक है; अगले मैच में जीत न मिल पाने पर सेमी‑फ़ाइनल पहुंचना कठिन हो सकता है। वहीं न्यूज़ीलैंड टीम ने अब तक के चार मैचों में तीन अंक (एक जीत, दो हार, एक रेन‑आउट) इकट्ठा किए हैं और तालिका में तीसरे स्थान पर स्थिर है। उनका अगला खेल अभी तय नहीं हुआ, लेकिन वे अपने पॉइंट्स को सुरक्षित रखने के लिये जीत का लक्ष्य रखेंगे।
भविष्य की राह और अगले मैचों की झलक
आगामी हफ्तों में दोनों टीमें अपने‑अपने समूह के शेष प्रतिद्वंद्वियों से टकराएंगी। स्रीलंका को सबसे पहले बोर्ड ऑफ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन श्रीलंका (BCCSL) की रणनीति को बदलना होगा—खासकर टॉप-ऑर्डर में स्थिरता और बॉलर्स की नई योजना पर ध्यान देना होगा। न्यूज़ीलैंड को अपने बैटिंग क्रम में पहले से ही मौजूद इनर वाइकिंग्ज़ एमिलिया कर की शानदार गेंदबाज़ी को आगे बढ़ाते हुए, जल्दी स्कोर बनाने की जरूरत है। टॉस जीतने के बाद दोनों टीमों की तैयारियों में बदलाव आएगा, और बारिश की भविष्यवाणी को देखते हुए मैच सCHEDULE में बदलाव संभव है।
मुख्य तथ्य
- मैच का दिन: 14 अक्टूबर 2025, कोलंबो
- स्थान: र प्रेमा दास अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम
- टॉस जीतकर चुना: चामरी अठापाठू (स्रीलंका)
- स्रीलंका का स्कोर: 258/6 (50 ओवर)
- नीलकशीका सिल्वा की पचीस की सबसे तेज़ पचास (26 गेंद)
- मैच का नतीजा: बारिश के कारण रद्द, 1‑1 अंक दोनों को
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
बारिश के कारण रद्द हुए इस मैच का स्रीलंका की कुल रैंकिंग पर क्या असर पड़ेगा?
स्रीलंका अब तक दो पॉइंट्स पर फंसी रही है, दोनों रेन‑आउट से। यदि अगला मैच जीत नहीं पाए तो उनका सेमी‑फ़ाइनल तक पहुंचना मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि अन्य टीमें अभी भी अधिक अंक जमा कर रही हैं।
न्यूज़ीलैंड की टीम को इस रेन‑आउट से क्या लाभ मिला?
रेन‑आउट ने न्यूज़ीलैंड को एक अतिरिक्त अंक दिला, जिससे उनका कुल तीन अंक हो गया। यह उन्हें समूह में तिसरे स्थान पर रखता है, जहाँ अभी भी दो जीत की आवश्यकता है ताकि वे क्वार्टर‑फ़ाइनल में पहुँच सकें।
क्या नीलकशीका सिल्वा की तेज़ पचास रिकॉर्ड टूर्नामेंट की सबसे बड़ी उपलब्धि है?
हाँ, 26 गेंदों में 55 रन बनाकर उन्होंने इस विश्व कप में अब तक की सबसे तेज़ पचास बनाई है। यह रिकॉर्ड पिछले एडिशन (2022) के 30 गेंदों की पचास से भी तेज़ है।
अगले मैचों में कौन सी टीमें स्रीलंका और न्यूज़ीलैंड का सामना करेंगी?
स्रीलंका को अभी तक आधिकारिक रूप से अगला प्रतिद्वंद्वी घोषित नहीं हुआ है, लेकिन कार्यक्रम अनुसार उन्हें ऑस्ट्रेलिया या भारत के खिलाफ खेलने की संभावना है। न्यूज़ीलैंड का अगला मैच इंग्लैंड या दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध निर्धारित हो सकता है, लेकिन तारीखें अभी तय नहीं हुईं।
वर्ल्ड कप 2025 के अंत में कौन सी टीमें फ़ाइनल तक पहुँचेंगी?
टूर्नामेंट अभी ग्रुप चरण में है, इसलिए फाइनलिस्ट अभी तय नहीं हुए हैं। लेकिन इतिहास दर्शाता है कि ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और भारत जैसी टीमें अक्सर टॉप फ़ॉर्म में रहती हैं, जबकि स्रीलंका और न्यूज़ीलैंड को अभी अपना जगह बनानी होगी।
अठापाठू ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी चुनी, लेकिन बारिश ने सब बर्बाद कर दिया। अब टीम को अगले मैच में जल्दी जीतना पड़ेगा।
बारिश की वजह से मैच रद्द हो गया, पर यह स्रीलंका के लिए एक सीख है। उनकी टॉप ऑर्डर में निरंतरता चाहिए, नहीं तो समूह में आगे बढ़ना मुश्किल होगा। साथ ही, नीलकशीका सिल्वा का तेज़ पचास देखकर सभी को प्रेरणा मिलती है। इस तरह के व्यक्तिगत रिकॉर्ड टीम के आत्मविश्वास को बढ़ाते हैं। आशा है कि अगला मैच साफ़ मौसम में होगा और टीम अपना असली रूप दिखा पाएगी।
ओह, क्या मज़े! टॉस जीतली और फिर बारिश ने सारी मेहनत को धुआँ बना दिया :) टॉस का मतलब कहीं नहीं जाता जब गिरते हैं बादल। चाहे जितना भी रोमांचक प्लान हो, प्रकृति की हँसी पर नहीं टिकती। इधर‑उधर की गीली फुटेज देख कर लगता है जैसे स्रीलंका का प्री‑मैच पिकनिक हो गया।
मैच रद्द होना ICC के नियमों के तहत उचित है। दोनों टीमों को एक‑एक पॉइंट मिलना नियमपूर्वक सही है।
बारिश ने खेल को रोक दिया, पर यह एक विचार देने वाला क्षण है। किस्मत और मनोबल के बीच तालमेल बनाना जरूरी है। स्रीलंका को अब बॉलर्स के प्लान को पुनः देखना चाहिए। साथ ही, न्यूज़ीलैंड को अपनी बॉटम ऑर्डर को मजबूत करने की ज़रूरत है। मैं उम्मीद करता हूँ कि अगला मैच दोनों टीमों की रणनीति को परखने का अवसर बन जाएगा।
क्लाब, सच्ची बात तो ये है कि बारिश के कारण कोई भी टीम अपना खेल नहीं दिखा पाई। लेकिन मैं कहूँगा कि स्रीलंका की जीत की ख्वाहिश थोड़ी ज़्यादा अभिमानी थी। यदि वे अपनी बॉलिंग पर भरोसा नहीं करते तो कोई भी ओपनिंग टॉस मायने नहीं रखेगा। अगली बार उन्हें कंडीशनिंग को भी ध्यान में रखना चाहिए। वरना फिर वही पुरानी कहानी दोहराएंगे।
यह तो वही सिचुएशन है जहाँ हम सब कहते हैं, "मौसम जो चाहे, खेल नहीं रुकता"-पर नहीं रुकता! हमारी भारतीय घोड़ी भी कभी‑कभी ऐसे ही जाम में फँस जाती है। स्रीलंका को समझना चाहिए कि प्रकृति के साथ खेलना है, ना कि उसके खिलाफ। अगर लगातार बारिश आती रहे तो ICC को रेन‑मैच के नियम बदलने चाहिए, नहीं तो छोटी‑छोटी टीमें हमेशा नुकसान में रहेंगी। मुझे लगता है कि इस बारिश से हमें भी कदम उठाना चाहिए-हमारे स्टेडियम की ड्रेनेज व्यवस्था ढ़ीली है। यह सिर्फ स्रीलंका‑न्यूज़ीलैंड का मुद्दा नहीं, बल्कि दुनियाभर के क्रिकेटरों का मुद्दा है। तभी हम सच्चे चैंपियन बनेंगे।
बारिश के कारण मिलेनियल्स को रेन‑आउट पॉइंट मिलना ठीक है, पर फैंस को नहीं। उनका उत्साह टूट जाता है।
स्रीलंका को अपनी बॉलिंग पर भरोसा करना चाहिए।
सही कहा, बॉलिंग ही जीत का आधार है। टीम को अब मध्यम क्रम में स्थिरता लाने की जरूरत है। साथ ही युवा खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करना चाहिए कि वे दबाव में सकारात्मक रहें।
बारिश का रहस्य हमेशा से दुनिया को भ्रमित करता आया है। कभी यह बस प्राकृतिक आपदा होती है, तो कभी इसे कहीं न कहीं सत्ता के खेल के रूप में देखा जाता है। जब हम क्रिकेट की बात करते हैं, तो अक्सर हमें यह भूल जाता है कि खेल भी बड़े आर्थिक मैकेनिज़्म का हिस्सा है। छोटे‑छोटे स्टेडियम में ड्रेनेज सिस्टम की कमी का कारण अक्सर स्थानीय प्रशासन की लापरवाही होती है। बड़े अंतरराष्ट्रीय टुर्नामेंट में इस तरह की लापरवाही को इग्नोर नहीं किया जा सकता। इसलिए ICC को मेजबान देश को कड़े मानकों पर रखना चाहिए, नहीं तो खेल की सच्ची भावना बिखर जाएगी। यही नहीं, बारिश के बाद का गीला मैदान खिलाड़ियों की चोटों का कारण बन सकता है, जिससे खेल की गुणवत्ता पर दुष्प्रभाव पड़ेगा। खिलाड़ियों के करियर की लंबाई भी इस पर निर्भर करती है। इस प्रकार की समस्याओं का समाधान केवल तकनीकी सुधार से नहीं, बल्कि प्रशासनिक इमानदारी से भी जुड़ा है। आशा है कि भविष्य में ऐसे अनपेक्षित रेन‑मैच कम हों और क्रिकेट का मैदान हमेशा हरियाली से भरपूर रहे। 🏏😊
रेन‑आउट की वजह से दोनों टीमों को अंक मिलना अच्छा है।
क्या हम सच में मानते हैं कि यह सिर्फ प्रकृति का काम है? कई बार देखे हैं कि बड़े इवेंट्स में मौसम का प्रबंधन पूरी तरह से वैध नहीं होता। अगर हम गहराई से देखें तो बारिश को भी एक तरह की रणनीति माना जा सकता है, जिससे कुछ टीमों को लाभ मिल सके। विशेषकर जब प्रतियोगिता के नियम रेन‑आउट पॉइंट को अनुकूल बनाते हैं। इस तरह के नियम खेल के संतुलन को बिगाड़ते हैं और असमानता को बढ़ावा देते हैं। एक सच्चे प्रशंसक को इस बात पर सवाल उठाना चाहिए कि क्या हमें इस तरह की व्यवस्था को स्वीकार करना चाहिए? हमें चाहिए कि ICC नियमों को फिर से जांचे और अधिक निष्पक्षता लाए। तभी खेल का असली मज़ा रहेगा।