हर साल 21 फरवरी को दुनिया भर में मातृभाषा के सम्मान में एक खास दिन मनाया जाता है। इस दिन हम अपनी भाषा, हमारी पहचान और हमारे संस्कृति को याद करते हैं। भारत जैसे कई भाषी देश में यह अवसर बहुत मायने रखता है क्योंकि यहाँ सैकड़ों बोलियाँ बोली जाती हैं.
1999 में यूएन ने इस दिन को आधिकारिक तौर पर मान्यता दी थी, जब बांग्ला भाषा के समर्थकों ने अपने अधिकारों की माँग की थी। तब से यह दिन सभी देशों में भाषाई विविधता की सुरक्षा और विकास के लिए जागरूकता फैलाने का काम करता है. भारत में कई स्कूल और कॉलेज इस अवसर को विशेष कार्यक्रमों के साथ मनाते हैं – कविता प्रतियोगिताओं, नाटक, भाषा कार्यशालाओं आदि के माध्यम से छात्रों को अपनी मातृभाषा से जोड़ते हैं.
अगर आप सोच रहे हैं कि अपने घर में क्या किया जा सकता है, तो यहाँ कुछ आसान ideas हैं:
1. परिवार के साथ भाषा खेल – एक शब्द लेकर उसके अर्थ या कहानी पूछें। छोटे‑बच्चे भी बड़ी खुशी से भाग लेते हैं.
2. पारम्परिक व्यंजन बनाएँ – अपनी मातृभाषा वाले क्षेत्र की रेसिपी चुनें और परिवार के साथ पकाएँ. खाना बनाते समय उस भाषा में बात करें, इससे स्वाद दो गुना हो जाता है.
3. वीडियो या फिल्म देखिए – अपने प्रदेश की कोई लोकप्रिय फ़िल्म या गीत देखें. सबको समझाने के लिए छोटे‑छोटे अनुवाद लिखें, फिर मिलकर सुनें.
4. सोशल मीडिया पर पोस्ट करें – एक छोटी कविता या कहानी अपनी भाषा में लिखें और दोस्तों को टैग करके शेयर करें. इससे आपके नेटवर्क में भी इस दिन की जागरूकता बढ़ेगी.
5. भाषा सीखने के छोटे‑छोटे चैलेंज – यदि परिवार में कोई नई भाषा सीखना चाहता है, तो रोज़ 10 मिनट के लिए शब्दावली याद करें और एक-दूसरे को क्विज़ दें.
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अंत में, याद रखें कि मातृभाषा केवल शब्दों की लकीर नहीं, बल्कि हमारी सोच‑विचार, भावनाएँ और इतिहास का प्रतिबिंब है. इस 21 फरवरी को एक छोटी सी कोशिश करके आप अपने घर में भाषा के प्रति प्यार बढ़ा सकते हैं, और साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर भी भाषाई विविधता को सशक्त बना सकते हैं.
ज़ी टीवी के 'भाग्य लक्ष्मी' की अभिनेत्री आयशा खरे ने अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर अपनी मातृभाषा सिंधी के महत्व पर बल दिया। उन्होंने बताया कि सिंधी भाषा ने उनकी सांस्कृतिक पहचान को गहराई से प्रभावित किया। खरे ने अपनी भाषा से जुड़े रहने का श्रेय अपने माता-पिता को दिया और मातृभाषाओं के संरक्षण पर ज़ोर दिया।