गंगा में बार‑बार पानी का स्तर बढ़ता दिख रहा है। सालों से बारिश, हिमपात और जलसंरचनाओं की खराबी मिलकर बाढ़ का कारण बन रही हैं। अगर आप या आपका परिवार गंगावती शहर में रहते हैं तो यह जानकारी काम आएगी – कब जोखिम ज्यादा रहता है और किन चीज़ों को तैयार रखना चाहिए.
पहला कारण मौसम है। मानसून का बारिश तेज़ी से आती‑जाती रहती है, खासकर जुलाई‑अगस्त में. साथ ही हिमालय की बर्फ पिघलती है और गंगा की धारा को अचानक भारी मात्रा में पानी मिलता है.
दूसरा मुद्दा बांधों की स्थिति है। कई जगह पुराने बांध टूटने या दरारें पड़ने का ख़तरा रहता है. जब जलस्तर अचानक बढ़ता है तो बाढ़ के दायरे में नयी झलकियां आती हैं.
तीसरा, शहरीकरण की लहर ने नदी किनारे पर बहुत सारे निर्माण कर दिए हैं। इससे प्राकृतिक प्रवाह बाधित होता है और पानी आसानी से फैल जाता है. नाली‑नालों की सफाई नहीं होने के कारण भी जल निकासी धीमी पड़ जाती है.
पहले तो अपने घर की ऊँचाई जाँचें। अगर आपका मकान 5 फीट से कम ऊंचा है तो जरूरी सामान ऊपर रख दें. दस्तावेज़, दवाइयाँ, मोबाइल चार्जर इत्यादि को जल-रोधी थैली में रखें.
स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी चेतावनी सुनें। रेडियो या सरकारी ऐप पर अलर्ट मिलते ही अपने परिवार के साथ एक सुरक्षित जगह तय करें. अगर बाढ़ आने का अंदाजा है तो जल्दी से जल्दी निकास रास्ते की योजना बनाएं.
बचाव किट तैयार रखें: टॉर्च, बैटरियों वाला रडार, प्राथमिक चिकित्सा सामग्री, हल्के कपड़े और कुछ नक़द। इन चीजों को एक साफ बैग में रखकर आसानी से ले जा सकें.
अगर पानी का स्तर बहुत तेज़ बढ़ रहा है तो घर से बाहर निकलना सबसे सुरक्षित कदम होगा. हाईवे या ऊँचे पुल पर जाएं, निचले इलाकों से बचें. अगर आप फंस गए हैं तो बड़े बक्से या लकड़ी के टुकड़े को पानी में डाल कर तैरने का साधन बनाएं.
राहत कार्य भी तेजी से चल रहा है। सरकारी राहत दल और एनजीओ मिलकर भोजन, साफ पानी और डॉक्टरों की मदद पहुंचा रहे हैं. नजदीकी राहत शिविर या डिपो की जानकारी स्थानीय समाचार में देख सकते हैं.
एक बात याद रखें – बाढ़ के बाद अक्सर बीमारियां फैलती हैं. साफ‑सफ़ाई पर ध्यान दें, हाथ धोना जरूरी है और अगर कोई लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टर से मिलें.
गंगा बाढ़ हर साल नहीं बल्कि जब मौसम अनुकूल हो तब ही बड़ी समस्या बनती है. लेकिन सही तैयारी और समय पर कार्रवाई से नुकसान कम किया जा सकता है. आप भी इस जानकारी को अपने दोस्तों‑परिवार के साथ शेयर करें, ताकि सबको पता रहे कि कैसे सुरक्षित रहें.
आगे आने वाले दिनों में गंगा की स्थिति को नज़र में रखें और सरकारी निर्देशों का पालन करें. याद रखिए, तैयारी ही असली सुरक्षा है.
वाराणसी में गंगा का जलस्तर चेतावनी सीमा के एकदम पास पहुँच गया है। कई प्रमुख घाट और शीतला माता मंदिर पानी में डूब चुके हैं। प्रशासन ने गंगा आरती के लिए नावें बंद कर दी हैं और राहत शिविरों का आयोजन किया है। शहर के निचले इलाकों में लोगों की मुश्किलें बढ़ी हैं।