आपने कभी सुना होगा कि कुछ खास दिनों को "पुण्यतिथि" कहा जाता है। ये वो दिन होते हैं जब हमारे पूर्वज या कोई सम्मानित व्यक्ति का देहांत हुआ था, और हम उसे याद करके विशेष रिवाज़ अपनाते हैं. इस लेख में हम समझेंगे क्यों पुण्यतिथियाँ महत्वपूर्ण हैं, कब‑कब रखनी चाहिए व्रत और पूजा कैसे करें.
हिंदू कैलेंडर में प्रत्येक दिन के साथ कई मान्यताएँ जुड़ी होती हैं. पुण्यतिथि वह दिन है जब आत्मा को शांति मिलती माना जाता है, इसलिए परिवार वाले दान‑धर्म, मंत्र जाप और भजन करके अपने प्रियजनों की याद में श्रद्धांजलि देते हैं. यह सिर्फ रिवाज़ नहीं, बल्कि भावनात्मक संबंध को भी मजबूत करता है.
सबसे आसान तरीका है कि सुबह जल्दी उठकर साफ‑सुथरा कपड़ा पहनें, घर के पूजा स्थान पर हल्का दीप जलाएँ और प्रीति वाले मंत्र दोहराएँ. यदि आप व्रत रखते हैं तो फलों, नारियल या कच्चे चावल से भोग लगाएँ. पानी में तुलसी के पत्ते डाल कर स्नान करने से शुद्धता बढ़ती है.
व्रत की शुरुआत से पहले परिवार के बड़े लोग अक्सर जन्म‑जन्मांतर की तारीखें जांचते हैं, ताकि सही दिन पर पूजा हो सके. यदि आप कैलेंडर नहीं समझ पा रहे तो ऑनलाइन पंचांग या मोबाइल एप्लिकेशन का इस्तेमाल कर सकते हैं; यह जल्दी पता चल जाता है कि आज पुण्यतिथि है या नहीं.
भोजन में हल्का और शाकाहारी रखना अच्छा रहता है. नमकीन या भारी चीज़ें न खाने से मन भी साफ रहता है और ध्यान पूजा पर बना रहता है. भोग को लोटे में रखकर पीठ के पास रखें, इससे ऊर्जा का प्रवाह बेहतर माना जाता है.
कई लोग पुण्यतिथि पर दान‑धर्म करना पसंद करते हैं – गरीबों को भोजन देना, रक्तदान या अनाथालय में मदद कर सकते हैं. ऐसा करने से न केवल आध्यात्मिक लाभ मिलता है बल्कि समाज में भी सकारात्मक असर पड़ता है.
पुण्यतिथियों के दौरान अक्सर परिवार एकत्र होता है, इसलिए छोटे‑बड़े सभी को साथ लाएँ और मिलजुलकर भजन‑कीर्तन करें. यह माहौल को सुकूनभरा बनाता है और यादें ताज़ा करता है.
ध्यान रखें कि पूजा में कोई कठोर नियम नहीं है; आपका इरादा साफ होना सबसे अहम है. अगर आप देर से भी शुरू करते हैं तो भी मन की शुद्धता रख कर कर सकते हैं. बस, अपने दिल से करना जरूरी है.
अंत में यह याद रखें – पुण्यतिथि सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि हमारे रिश्तों को सम्मान देने का मौका है. इसे सरल लेकिन सच्चे भावनाओं के साथ निभाएँ और जीवन में शांति पाएं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 4 जुलाई 2024 को स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। अपने संदेश में मोदी ने विवेकानंद के विचारों और शिक्षाओं की सराहना की और उनके आदर्श समाज के सपने को साकार करने का संकल्प दोहराया। स्वामी विवेकानंद का निधन 4 जुलाई 1902 को 39 वर्ष की उम्र में हुआ था।