अगर आप विदेशियों की राजनीति में दिलचस्पी रखते हैं तो सिरिल रामफोसा का नाम आपको जरूर सुनाई देगा। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति के रूप में उनका काम सिर्फ देश की ही नहीं, बल्कि वैश्विक मंच पर भी असर डालता है। इस लेख में हम उनके बारे में सरल भाषा में बात करेंगे – कौन हैं, क्या करते हैं और हालिया खबरें क्या कह रही हैं?
रामफोसा ने 2018 में राष्ट्रपति पद संभाला और तब से कई अहम कदम उठाए हैं। सबसे पहले उन्होंने आर्थिक सुधारों पर जोर दिया – विदेशी निवेश को बढ़ावा देना, बिजली की कमी कम करने के लिए नई ऊर्जा परियोजनाएं शुरू करना और कर प्रणाली को सरल बनाना। इन कोशिशों का मकसद रोज़गार पैदा करना और महंगाई को कंट्रोल में रखना था।
एक और बड़ा कदम उनका जलवायु परिवर्तन पर काम है। अफ्रीका में बढ़ते तापमान से निपटने के लिए उन्होंने सौर ऊर्जा, पवन फार्म और हाइड्रोजन प्रोजेक्ट्स की घोषणा की। ये पहलें न सिर्फ पर्यावरण को बचाती हैं बल्कि नई टेक्नोलॉजी कंपनियों को भी आकर्षित करती हैं।
राजनीतिक तौर पर रामफोसा ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सख़्त रुख अपनाया। उन्होंने कई बड़े सरकारी ठेके पुनः जांचे और कुछ उच्च पदस्थ अधिकारीयों को हटाया। इस कदम से जनता में उनका भरोसा बढ़ा, लेकिन विरोधी पार्टियों ने इसे बहुत कठोर बताया। फिर भी यह साफ है कि वे पारदर्शिता चाहते हैं।
रामफोसा का भारत के साथ रिश्ता पुराना और दोस्ताना रहा है। हाल ही में दोनों देशों ने व्यापारिक समझौते को अपडेट किया, जिससे वस्तुओं की टैरिफ घटे और निवेश आसान हुआ। उन्होंने कहा कि अफ्रीका में भारतीय कंपनियों को नई अवसर मिलेंगे – खासकर खनिज, कृषि और टेक्नोलॉजी सेक्टर में।
सिर्फ व्यापार ही नहीं, शिक्षा और संस्कृति भी जुड़ी हुई हैं। रामफोसा ने कई छात्रवृत्ति कार्यक्रम शुरू किए ताकि भारतीय छात्रों को दक्षिण अफ्रीका के विश्वविद्यालयों में पढ़ने का मौका मिले। इस कदम से दो देशों की युवा पीढ़ी एक-दूसरे को बेहतर समझ पाएगी।
यदि आप सोच रहे हैं कि इन नीतियों से आम आदमी को क्या फायदा होगा, तो जवाब सरल है – अधिक रोजगार, सस्ते सामान और बेहतर बुनियादी ढांचा. रामफोसा की ऊर्जा योजनाओं से गांवों में बिजली की समस्या घट सकती है, जिससे शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएँ सुधरेंगी।
समग्र रूप से देखें तो सिरिल रामफोसा का काम जटिल नहीं, बल्कि स्पष्ट लक्ष्य पर आधारित है – आर्थिक विकास, पारदर्शी शासन और अंतरराष्ट्रीय सहयोग. अगर आप दक्षिण अफ्रीका या भारत की राजनीति में दिलचस्पी रखते हैं, तो उनके कदमों को ध्यान से देखना worthwhile रहेगा.
सिरिल रामफोसा ने प्रिटोरिया में दूसरे कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। इस अवसर पर अफ्रीकी राज्यों के प्रमुख, राजनयिक और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। यह समारोह ऐतिहासिक रहा क्योंकि अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस ने पहली बार बहुमत खोकर गठबंधन सरकार बनाई है। अब रामफोसा को कई दलों के साथ शासन की जटिलताओं को संभालना होगा।