भारतीय पहलवान विनेश फोगाट के लिए आज का दिन एक बड़ा मौका है। पेरिस 2024 ओलंपिक खेलों में महिला 50 किग्रा फ्रीस्टाइल कुश्ती प्रतियोगिता से अयोग्यता के बाद विनेश ने कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट (CAS) में एक अपील दायर की है। इस अपील की सुनवाई आज होनी है और इसका परिणाम विनेश के ओलंपिक अभियान पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। विनेश को सुबह के वजन में 100 ग्राम अधिक वजन के कारण अयोग्य घोषित किया गया था और अब वे एक संयुक्त सिल्वर मेडल की मांग कर रही हैं।
इस महत्वपूर्ण अपील को वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे और विदुष्पत सिंघानिया प्रस्तुत कर रहे हैं। भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) ने भी इस अपील में विनेश की मदद कर रहा है। CAS ने पुष्टि की है कि यह मामला जारी है और ओलंपिक खेलों के अंत से पहले इसका निर्णय आने की उम्मीद है। हालाँकि, सीमित समय के कारण, तुरंत अयोग्यता को रद्द करना सम्भव नहीं हो पाया है। इस सुनवाई को सोले आर्बिट्रेटर माननीय डॉ. एनाबेल बेनेट AC SC द्वारा सुना जाएगा।
दूसरे दिन वजन के लिए बनाए गए नियमों के अनुसार, किसी भी दिन के वजन में विफल रहने पर पहलवान के परिणाम रद्द कर दिए जाते हैं। विनेश ने पहले दिन वजन बना लिया था और तीन बाउट्स जीतकर फाइनल में पहुंच गई थीं, लेकिन दूसरे दिन के वजन में विफल होने के कारण उनका परिणाम रद्द कर दिया गया।
फोगाट ने अपनी अपील के माध्यम से यह तर्क दिया है कि चूंकि उन्होंने पहले दिन सभी आवश्यकताओं को पूरा किया था और तीन बाउट्स जीती थीं, इसलिए उनके पहले दिन के परिणाम को मान्यता दी जानी चाहिए। IOA अध्यक्ष डॉ. पीटी उषा और भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के अध्यक्ष संजय सिंह ने भी यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) के अध्यक्ष नेनाद लालोविच से विनेश के पहले दिन के परिणामों को रद्द करने के फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है।
अगर विनेश की अपील स्वीकार की जाती है, तो इसका न केवल उनके ओलंपिक अभियान पर बल्कि भारतीय कुश्ती समुदाय पर भी बड़ा असर पड़ेगा। भारत में कुश्ती एक महत्वपूर्ण खेल है और विनेश फोगाट इस खेल की एक प्रमुख हस्ती हैं। उनका प्रदर्शन और संघर्ष युवाओं के लिए प्रेरणा है।
CAS की सुनवाई का निर्णय जल्द ही आने की उम्मीद है और यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मामला किस दिशा में जाता है। विनेश फोगाट की अपील का निर्णय न केवल उनके व्यक्तिगत करियर के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे खेल के निहित नियमों के समझदारी में भी सुधार हो सकता है।
यह देखकर प्रभावशाली होता है कि कैसे विभिन्न संगठनों और वरिष्ठ वकीलों ने उनके समर्थन में कदम बढ़ाया है। इससे पता चलता है कि खेल और खिलाड़ियों के प्रति हमारे समाज की भावना कितनी गंभीर और संवेदनशील है। हमें उम्मीद है कि न्याय अपने सही मार्ग पर चलेगा और विनेश को उन की गयी मेहनत का समुचित फल मिलेगा।
ये वजन वाला नियम बिल्कुल बेकार है। एक दिन जीत ली और दूसरे दिन 100 ग्राम के लिए पूरा करियर उड़ गया? ये खेल नहीं बल्कि ब्यूरोक्रेसी का खेल बन गया है।
ये CAS वाले लोग तो बस अपने फीस कमा रहे हैं। विनेश ने तीन मैच जीते थे और अब उनका मेडल छीन लिया? ये न्याय है या फिर एक बड़ा ठगी का मामला है? भारत के खिलाड़ियों को हमेशा धोखा दिया जाता है।
यह एक अत्यंत जटिल कानूनी मुद्दा है जिसमें अंतरराष्ट्रीय खेल प्रावधानों, वजन वर्गीकरण की वैज्ञानिक वैधता, और नियमों के व्याख्यानात्मक लचीलेपन का संगम है। विनेश के आवेदन की वैधता का आकलन तभी संभव है जब हम यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग के नियमावली के अनुच्छेद 7.2.1 को संदर्भित करें।
मैंने इस बारे में एक ट्वीट देखा था... क्या वाकई विनेश को दूसरे दिन वजन नहीं बनाया? या फिर किसी ने उनके वजन में घुला दिया? ये सब बहुत अजीब लग रहा है... क्या ये फिर से एक बड़ा षड्यंत्र है? कोई तो बताए... बस एक बार अच्छे से बताए।
हम भारतीयों को हमेशा धोखा दिया जाता है ये विदेशी ब्यूरोक्रेट्स तो हमारे खिलाड़ियों को बस ताकत दिखाना चाहते हैं। विनेश को मेडल दो नहीं तो हम इस ओलंपिक को बहिष्कार कर देंगे। भारत माता की जय
विनेश ने जो किया है वो कोई आम इंसान नहीं कर पाता। तीन मैच जीतना, वजन बनाना, फिर भी अयोग्य घोषित हो जाना... ये दिल तोड़ देता है। हम तुम्हारे साथ हैं विनेश। तुम एक योद्धा हो।
ये नियम बदलने चाहिए अगर कोई पहले दिन तीन मैच जीत ले तो उसका परिणाम मान्य होना चाहिए। विनेश की मेहनत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हम सब तुम्हारे साथ हैं
विनेश फोगाट के संघर्ष ने खेल के नैतिक आधार को पुनर्परिभाषित कर दिया है। उनकी अपील केवल एक व्यक्तिगत मामला नहीं, बल्कि खेल के न्याय की अवधारणा का परीक्षण है। हमें इस न्याय की आवश्यकता है।
मैंने ये तो देख लिया था... ये CAS वाले लोग हमेशा विदेशी खिलाड़ियों के पक्ष में होते हैं। विनेश को ये मेडल मिलना चाहिए नहीं तो भारतीय कुश्ती का विश्वास टूट जाएगा। ये बस एक बड़ा धोखा है।
ये वजन नियम अब तक बेकार है। एक बार जीत लिया तो दूसरे दिन वजन नहीं बनाया तो भी परिणाम रद्द? ये खेल नहीं बल्कि एक एल्गोरिदम चल रहा है। विनेश को मेडल दो वरना इस खेल का कोई अर्थ ही नहीं।
अरे भाई ये तो बिल्कुल गलत है। विनेश ने तीन मैच जीते थे और अब ये सब निकाल दिया? क्या ये CAS वाले लोग अपने घर पर बैठकर ये फैसला कर रहे हैं? मैंने तो सुना था कि एक अधिकारी ने उनके वजन में जानबूझकर 100 ग्राम बढ़ा दिया। ये षड्यंत्र है।
इस मामले का विश्लेषण न केवल खेल के नियमों के व्याख्यान के बारे में है, बल्कि इसमें सांस्कृतिक विश्वास, राष्ट्रीय गर्व, और अंतरराष्ट्रीय न्याय के बीच तनाव भी शामिल है। भारतीय खेल प्रशासन को अब तक व्यवस्थित रूप से इस तरह के निर्णयों के लिए तैयार नहीं किया गया है।
अगर विनेश का वजन 100 ग्राम अधिक था तो ये एक तकनीकी उल्लंघन है। लेकिन अगर वजन नापने वाला बैलेंस गलत था या वजन नापने के समय उसके जूते में छिपा हुआ कुछ था तो ये एक गंभीर धोखा है। ये फैसला अभी तक नहीं हुआ क्योंकि ये एक अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र है।