अतुल परचुरे: एक बहुआयामी कला विश्व के अद्वितीय अभिनेता
हिंदी और मराठी फिल्म उद्योग में एक महत्वपूर्ण योगदान देने वाले अतुल परचुरे का 57 वर्ष की अल्पायु में निधन हो गया शोक की सूचना से पूरा फिल्मजगत और उनके प्रशंसक सदमे में हैं। आप 'द कपिल शर्मा शो' जैसे बड़े कॉमिक शोज़ में अपनी बहुमूल्य भूमिकाओं के लिए प्रसिद्ध थे। उनका नाम हमेशा उन कलाकारों में शुमार होगा जिन्होंने अपने जीवंत अभियन से दर्शकों का दिल जीत लिया।
दीर्घकालीन कैंसर से जूझते हुए
अतुल परचुरे पिछले कुछ वर्षों से लिवर कैंसर की गंभीरता से संघर्ष कर रहे थे। यह बीमारी उनके लिए अत्यधिक चुनौतीपूर्ण साबित हुई। उनके जीवन की यह कठिन राह तब शुरू हुई जब एक दिन अचानक से वह असहज महसूस करने लगे थे। डॉक्टरों द्वारा की गई प्रारंभिक चिकित्सा उन्हे सही दिशा प्रदान नहीं कर सकी। इसका खुलासा उनके द्वारा दिए गए एक यूट्यूब इंटरव्यू में हुआ।
डॉक्टरी भूल और अदम्य साहस
अपने इंटरव्यू में अतुल ने बताया कि प्रारंभिक चिकित्सा की गलतियों ने उनकी स्थिति को और भी जटिल बना दिया था। एक ऑस्ट्रेलिया यात्रा के बाद जब उनको उलझन महसूस होने लगी, तो उन्होंने एक डॉक्टर से परामर्श लिया। डॉक्टर ने उनकी जांच के बाद बताया कि उनके लिवर में करीब पांच सेंटीमीटर का ट्यूमर है। इस जानकारी ने उनके जीवन के प्रति दृष्टिकोण बदल दिया और साथ ही उन्होंने इस स्थिति से जंग की शुरुआत की।
परिवार का समर्थन
इस कठिन समय में उनकी पत्नी, बेटी और मां उनके साथ मजबूती से खड़ी रहीं। पारिवारिक समर्थन ने ने ही उन्हें मनोबल दिया और एक प्रकार की नई ऊर्जा का संचार किया। अपने परिवार के सहयोग से उन्होंने इस बीमारी को हराने की पूरी कोशिश की। यह उनके लिए भावनात्मक रूप से कठिन समय था जिसे उन्होंने पूरी धैर्यता से झेला।
फिल्मी सफर की अंतिम पारी
अपने स्वास्थ्य में थोड़ा सुधार होते ही, अतुल ने मराठी फिल्म 'अलीबाबा अणि चालिसीतले चोर' में वापसी की। यह फिल्म दर्शकों द्वारा काफी सराही गई और इसे आलोचकों से भी सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली। इस तरह वह अपनी कला की अंतिम पारी खेलते हुए एक संवेदनशील और विशिष्ट अभिनेता के रूप में यादगार रह गए।
अमिट छवि
अतुल परचुरे की चिरकालिक यादें उनके साथी कलाकारों और बड़ी फैन फॉलोइंग की ओर से हमेशा जीवित रहेंगी। वह केवल अभिनेता ही नहीं, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने जीवन की कठिनाईयों का सामना अपने अदम्य साहस और जज्बे से किया। उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्त्रोत बना रहेगा। इस समय उनकी चर्चा केवल उनके निधन तक सीमित नहीं होती, बल्कि उनके जीवंत व्यक्तित्व के रूप में हमेशा याद की जाएगी।