अगर आप कभी सुनते हैं "गोवरधन परिक्रमा" तो समझें कि यह एक ऐसी यात्रा है जिसमें भक्त भगवान गोवर्धन के रूप को मानते हुए कई पवित्र स्थलों का दौर लगाते हैं। अक्सर इसे ग्रीष्म ऋतु में किया जाता है, क्योंकि उस समय मौसम ठीक रहता है और लोग आसानी से यात्रा कर पाते हैं। इस लेख में हम बतायेंगे कि यह परिक्रमा क्यों की जाती है, कब करना सबसे अच्छा रहेगा और किन‑किन जगहों को ज़रूर देखना चाहिए.
गोवर्धन पर्वत भगवान कृष्ण ने गोकुल के गाँव वालों की रक्षा में उठाया था। इस कारण से इसे शक्ति, सुरक्षा और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। परिक्रमावली में भाग लेने वाले लोग अक्सर अपने घर‑परिवार की खुशहाली, रोगों से मुक्ति या वित्तीय लाभ की कामना करते हैं। पुराने ग्रंथों में कहा गया है कि गोवर्धन का दर्शन करने से मनुष्य के कर्म साफ़ हो जाते हैं और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं.
परिक्रमा में सबसे पहले बृहन्निलाय (उदयपुर) की यात्रा होती है, जहाँ गोवर्धन का पौराणिक स्वरूप दर्शाया जाता है। इसके बाद जैनाबद, अलीगढ़ के गोवर्धन मंदिर और राजस्थान के बीकानेर के ‘गोवर्धन महल’ को देखना ज़रूरी है। इन स्थानों पर विशेष रूप से शाम के समय प्रकाश समारोह होते हैं जो अनुभव को और रोमांचक बनाते हैं.
तारीख की बात करें तो चैत या ज्याख़ा महीने में इस यात्रा का आयोजन सबसे लोकप्रिय रहता है, क्योंकि उस समय माहौल साफ़-सुथरा रहता है। अगर आप काम‑पढ़ाई के साथ नहीं कर पा रहे हों, तो वार्षिक ‘गोवर्धन फेस्टिवल’ के दौरान भी कई समूह मिलकर परिक्रमा करते हैं – इस से खर्चा और व्यवस्था दोनों आसान हो जाते हैं.
यात्रा की तैयारी में सबसे पहले एक छोटी‑सी सूची बनाएं: साफ़ कपड़े, आध्यात्मिक पुस्तकें या भजन संहिता, हल्का स्नैक्स, पानी की बोतल और अगर आप मंदिर में दान देना चाहते हैं तो थोड़ा नकद रखें। कई लोग यात्रा के दौरान वैद्यकीय किट भी साथ रखते हैं, क्योंकि रास्ते में कभी‑कभी छोटी‑छोटी चोटें लग सकती हैं.
सुरक्षा को नजरअंदाज न करें – विशेषकर अगर आप बड़े समूह में जा रहे हों तो एक जिम्मेदार व्यक्ति तय कर ले कि सभी का मोबाइल चार्ज्ड हो और संपर्क नंबर मौजूद हों। यात्रा के दौरान पर्यावरण की सफ़ाई भी जरूरी है; अपने कचरे को हमेशा निर्धारित डस्टबिन में ही फेंकेँ.
अंत में यह कहूँगा, गोवरधन परिक्रमा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि एक सामाजिक अनुभव है। आप नई दोस्ती कर सकते हैं, विभिन्न संस्कृति देख सकते हैं और अपने अंदर की शांति को भी पा सकते हैं। तो अगर आपके पास थोड़ी सी छुट्टी है, तो इस यात्रा को प्लान करें – हो सकता है यह आपका जीवन बदल दे!
गोवर्धन पूजा 2024 का आयोजन 2 नवंबर को होगा। इस पावन हिन्दू त्योहार में लोग भगवान कृष्ण की आराधना करते हैं और गोवर्धन परिक्रमा करते हैं, जो मथुरा स्थित गोवर्धन पर्वत के चारों ओर की जाती है। परिक्रमा की कुल दूरी 22 किलोमीटर होती है और यह लगभग 5-6 घंटे में पूरी होती है। यह पर्व प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा और संरक्षण के महत्व को दर्शाता है। इस दिन एक गाय के गोबर की पहाड़ी बनाई जाती है, जिसकी परिक्रमा की जाती है।