क्या आप या आपका कोई दोस्त कभी अनजाने में उदास, चिड़चिड़ा या थका हुआ महसूस करता है? अक्सर हम इसे सिर्फ मूड स्विंग समझ देते हैं, लेकिन कभी‑कभी ये दिमागी बीमारी के संकेत होते हैं। इस लेख में मैं आपको बताऊँगा कि कौन‑से लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए, कारण क्या हो सकते हैं और कब डॉक्टर से मिलना ज़रूरी है।
सबसे आम दिमागी समस्याएँ हैं – डिप्रेशन (उदासी), एंग्जायटी (चिंता) और बाइपोलर डिसऑर्डर (मूड स्विंग)। इनके अलावा सिज़ोफ़्रीनिया, ओब्सेसिव‑कम्पलसिव डिसऑर्डर (OCD) और पैनिक अटैक भी अक्सर सुनते हैं। इन रोगों के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं, पर कुछ सामान्य संकेत होते हैं:
यदि इन संकेतों में से दो‑तीन लगातार एक महीने से ज्यादा दिखें, तो यह समय है कि आप और आपके परिजनों को गहराई से देखें।
सबसे आसान नियम – जब भी ये लक्षण रोज़मर्रा की ज़िंदगी में बाधा बनने लगें, तब पेशेवर मदद लेनी चाहिए। अगर आपको या किसी को निम्नलिखित स्थिति दिखती है तो तुरंत संपर्क करें:
आपके पास कई विकल्प हैं – मनोवैज्ञानिक (काउंसलर) से बात करना, साइकोथेरेपी शुरू करना या अगर दवा की जरूरत हो तो सायकीट्रिस्ट के पास जाना। शुरुआती कदम में अक्सर एक साधारण परामर्श ही काफी मददगार रहता है।
ध्यान रखें, दिमागी बीमारी कोई शर्म नहीं बल्कि स्वास्थ्य समस्या है जिसे इलाज किया जा सकता है। सही जानकारी और समय पर सहायता से आप या आपका प्रियजन फिर से खुशहाल जीवन जी सकते हैं। अगर अभी भी संदेह हो तो रॉयल खबरें में प्रकाशित विशेषज्ञ लेख पढ़ें – वहाँ कई आसान टिप्स और डॉक्टर की संपर्क सूची दी गई है।
शोध में सामने आया है कि स्किजोफ्रेनिया से पीड़ित लोगों का दिमाग उम्र से 3-8 साल अधिक बूढ़ा दिखता है। यह अंतर MRI व बायोमार्कर जाँच में पाया गया। इससे न सिर्फ उम्र घटती है बल्कि अन्य गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ता है। खराब लाइफस्टाइल और दूसरी बीमारियाँ भी दिमागी उम्र बढ़ाने में भूमिका निभाती हैं।