जब बात India Gate, दिल्ली में स्थित एक विशाल द्वार है जो प्रथम विश्व युद्ध के शहीदों को सम्मानित करता है. Also known as विजय द्वार, it stands as a symbol of national pride.
यह स्मारक राष्ट्रीय स्मारक, देश के महत्व के अनुसार निर्मित बड़े स्मारकों को कहा जाता है का प्रमुख उदाहरण है। भारत के कई महान वास्तुकारों ने इसका डिजाइन किया, पर प्रमुख रूप से सर एडवर्ड बर्नोले ने कांच भित्तियों और ग्रेनाइट स्तंभों का प्रयोग करके एक दिर्घकालिक संरचना तैयार की। यह स्मारक केवल एक ऐतिहासिक संरचना नहीं, बल्कि पर्यटन आकर्षण, देशी और विदेशी यात्रियों को आकर्षित करने वाला स्थल भी है।
India Gate की ऊँचाई 42 मीटर है और इसके नीचे एक शूरवीर स्मारक बदामी रंग की पत्थर से बना है, जहाँ 13,000 से अधिक भारतीय सैनिकों के नाम अंकित हैं। यह स्मारक जवाहर लाल नेहरू, स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री, जिन्होंने 1931 में इसे अंजाम देने में प्रमुख भूमिका निभाई के द्वारा स्थापित किया गया था। नेहरू का मानना था कि स्मारक राष्ट्र की एकता और बलिदान की याद दिलाता है। इसलिए वह हर साल 15 जनवरी को यहाँ शहीद सम्मान समारोह आयोजित कराते थे।
वास्तुशिल्पीय दृष्टिकोण से देखें तो India Gate क्लासिक द्वार, ऐसे द्वार जो प्रवेश और प्रतिबिंब दोनों का केंद्र बनते हैं की परंपरा को आगे बढ़ाता है। इसकी नक्काशी में भारतीय सेना के विभिन्न शस्त्रों और युद्ध दृश्यों को दर्शाया गया है, जिससे यह स्मारक सैनिक शहीदों के सम्मान में और भी जीवंत हो जाता है। यह संरचना सीधे सड़क के दोनों ओर स्थित राजपथ से जुड़ी है, जो सरकारी महल और संसद भवन तक जाती है, इस प्रकार शहर के महत्वपूर्ण स्थानों को जोड़ती है।
स्मारक की देखभाल के लिए हर साल विशेष टीमों को नियुक्त किया जाता है, जो पत्थर की सफाई, लाइटिंग सिस्टम के रखरखाव और सुरक्षा व्यवस्था को संभालती हैं। इस प्रकार, India Gate संरक्षित ऐतिहासिक धरोहर, ऐसे स्मारक जिन्हें सरकार द्वारा संरक्षण और रखरखाव दिया जाता है के रूप में मान्य है। इसकी प्रकाश व्यवस्था रात के समय एक आकर्षक दृश्य पेश करती है, जिससे यह स्थान शाम के पर्दे में भी चमकता है।
आजकल Delhi Metro के राजघाट स्टेशन से कुछ ही कदम की दूरी पर होने के कारण, India Gate की पहुंच आसान हो गई है। कई स्कूल और कॉलेज की यात्रा समूह यहाँ आते हैं, जहाँ गाइड इतिहास के साथ साथ शौर्य गीत बहाते हैं। इस स्मारक के आसपास कई कैफ़े और ज्वेलरी लाउंज भी स्थित हैं, जिससे दर्शकों को आराम करने का अवसर मिलता है। इस तरह, यह स्मारक केवल स्मृति का स्थान नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों का केंद्र भी बन गया है।
अंत में, यदि आप दिल्ली के इतिहास में गहरी दिलचस्पी रखते हैं, तो नीचे दिए गए लेखों में आप पाएँगे कि कैसे India Gate ने विभिन्न समयों में राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक बदलावों को प्रतिबिंबित किया। इस टैग पेज में विविध लेखों की क्युरेटेड लिस्ट है जो स्मारक की वास्तुशिल्प, उसके निर्माण की कहानी, और आधुनिक समय में इसके विभिन्न पहलुओं को कवर करती है। आगे पढ़ते रहें और जानें कि India Gate के बारे में कौन‑कौन से रोचक तथ्य और समाचार आपके इंतजार में हैं।
दिल्ली के प्रमुख प्रतीक India Gate में अब खाना, बैग, पालतू या पिकनिक उपकरण ले जाना प्रतिबंधित कर दिया गया है। नए नियमों से परिवारों को अलग‑अलग समूहों में घूमना पड़ रहा है, जिससे कई यात्रियों में निराशा पाई जा रही है। सुरक्षा दल का कहना है कि यह कदम स्मारक की सफ़ाई और सौंदर्य संरक्षण के लिये जरूरी है। इस बदलाव के बाद दिल्ली के कई अन्य पार्क अब परिवारिक पिकनिक के नए केंद्र बनते दिख रहे हैं।