जब भी भारत की टेस्ट टीम में स्थिरता चाहिए, नाम तुरंत राहुल द्रविड़ आता है. "दादा" कहकर उन्हें प्यार से बुलाते हैं क्योंकि उनका खेल हमेशा भरोसेमंद रहता है। उनके बल्ले पर जब गेंद जाती, तो विरोधी को समझ नहीं आता कि आगे क्या होगा.
द्रविड़ ने 1996 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की शुरुआत की. शुरुआती मैचों में उनका स्कोर औसत थोड़ा साधारण था, लेकिन समय के साथ उन्होंने खुद को एक सॉलिड टेस्ट बॅट्समैन बना लिया. उनके 13,000 से ज्यादा रन, 36 शतक और 63 अर्धशतक ने भारत को कई कठिन परिस्थितियों में बचाया.
सबसे यादगार पलों में से एक 2001 की कर्नाटक‑एडिलेड टेस्ट है, जहाँ उन्होंने अपने साथी सैचिन तेंदुलकर के साथ मिल कर दो दशकों का अंतर घटाया. वही नहीं, 2002 में इंग्लैंड के खिलाफ उनका 233* भी अब तक की बड़ी पारी मान ली जाती है.
2012‑13 में द्रविड़ को भारत का टेस्ट कप्तान बनाया गया. उनके नेतृत्व में टीम ने ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका जैसे बड़े प्रतिद्वंद्वी देशों पर जीत हासिल की. उनकी सबसे बड़ी ताकत थी बैटिंग लाइन‑अप को स्थिर रखना और नई खिलाड़ियों को मौका देना.
कप्तानगी के बाद द्रविड़ ने कोच बनकर भी काम किया. अंडर‑19 टीम को विश्व कप जीताने में उनका हाथ रहा, फिर उन्होंने भारत की ए-टीम की तैयारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. अब वह राष्ट्रीय बॅट्सिंग कोऑर्डिनेटर हैं और युवा खिलाड़ियों को तकनीकी टिप्स देते रहते हैं.
द्रविड़ का क्रिकेट से जुड़ाव सिर्फ रन बनाने तक सीमित नहीं है; उन्होंने मैदान के बाहर भी कई पहलें शुरू कीं। उनका "इंडियन स्कूल ऑफ़ क्रिकट" प्रोग्राम छोटे शहरों में टैलेंट को पहचानने और निखारने में मदद करता है.
उनकी खेल शैली सरल लेकिन प्रभावी रही – लंबा ढाल, सही टाइमिंग और धैर्य. यही कारण है कि उन्हें "क्रिकेट का दादा" कहा जाता है। जब भी नई पीढ़ी के बॅट्समैन कठिन परिस्थिति में फँसते हैं, तो वे अक्सर द्रविड़ की पिच पर डिटेल्ड वीडियो देखते हैं.
अगर आप क्रिकेट में रुचि रखते हैं और सीखना चाहते हैं कि कैसे दबाव में भी शांत रहकर खेला जाए, तो राहुल द्रविड़ के इंटरव्यू और उनके द्वारा लिखी गई किताब "द ग्रेट टेस्ट" पढ़ें. इसमें उन्होंने अपनी मानसिक तैयारी, तकनीकी टिप्स और टीमवर्क की बातों को बड़े ही आसान भाषा में बताया है.
संक्षेप में, राहुल द्रविड़ सिर्फ एक महान बॅट्समैन नहीं हैं; वह भारत के क्रिकेट इतिहास का स्थिर स्तम्भ हैं. उनका सफर युवा खिलाड़ियों को प्रेरित करता है और फैंस को हमेशा याद दिलाता है कि सच्ची जीत धैर्य और मेहनत से आती है.
टी20 विश्व कप 2024 के फाइनल में भारतीय टीम की जीत के बाद कोच राहुल द्रविड़ की भावुक प्रतिक्रिया इंटरनेट पर वायरल हो गई है। द्रविड़ ने अपनी पोस्ट-मैच स्पीच में टीम के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त की और कहा कि एक खिलाड़ी के रूप में उन्हें ट्रॉफी जीतने का सौभाग्य नहीं मिला था, लेकिन टीम के कोच के रूप में उन्हें यह अवसर मिला। उनकी विनम्रता और भावुक अभिव्यक्ति ने लोगों के दिलों को छू लिया।