दिग्गज गायक पी. जयरचंद्रन का निधन: मलयालम संगीत जगत की अपूरणीय क्षति

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दिग्गज गायक पी. जयरचंद्रन का निधन: मलयालम संगीत जगत की अपूरणीय क्षति

मलयालम संगीत के सितारे पी. जयरचंद्रन का निधन

भारतीय संगीत जगत के प्रसिद्ध और बहुप्रशंसित कलाकार पी. जयरचंद्रन का गुरुवार, 9 जनवरी 2025 को निधन हो गया। उन्होंने 80 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। जयरचंद्रन को उनके चाहने वाले 'भाव गायकन' के नाम से बुलाते थे। भावनाओं और अभिव्यक्तियों की गहराइयों में डूबा उनका संगीत हमेशा ही श्रोताओं के दिलों में विशेष स्थान रखता था। अमाला अस्पताल, त्रिशूर जिले में, जहां वह वृद्धावस्था संबंधी बीमारियों का इलाज करा रहे थे, वहीं उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कहा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह कैंसर से भी जूझ रहे थे।

जयरचंद्रन का जन्म 3 मार्च, 1944 को कोची के रविपुरम में हुआ था। उनके पिता रविवर्मा कोचनियन थंपुरान और माता पालयथ शुभ्रकुंजम्मा के यहां उनका जन्म हुआ। बाद में, उनका परिवार इरिन्जालाकुडा स्थानांतरित हो गया। उन्होंने क्राइस्ट कॉलेज, इरिन्जालाकुडा से जूलॉजी में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। जयरचंद्रन की संगीत यात्रा की शुरुआत फिल्म निर्माता शोभना परमेस्वरण नायर और छायाकार निर्देशक ए. विंसेंट ने की थी, जिन्होंने उन्हें एक कार्यक्रम में गाते सुना था। उनकी पहली फिल्म 1965 में 'कुंजलिमारायक्कर' थी जिसमें उन्होंने 'ओरुमल्लपूमलकान' गीत गाया था।

1967 में 'कलिथोलन' फिल्म के 'मंजलायल मुनगितोंर्थी' गाने ने उन्हें प्रसिद्धि की ऊंचाइयों पर पहुंचाया। यह उनके और प्रसिद्ध संगीतकार देवराजन और गीतकार पी. भास्करण के बीच शानदार सहयोग का परिणाम था। जयरचंद्रन के छह दशक लंबे करियर में उन्होंने 16,000 से अधिक गाने गाए। वे मलयालम, तमिल, हिंदी, तेलुगु और कन्नड़ जैसी कई भाषाओं में अपनी आवाज का जादू बिखेरते रहे। उनके पास अनगिनत प्रशंसा और पुरस्कार थे।

जयरचंद्रन ने अपने करियर के दौरान कई प्रसिद्ध संगीतकारों के साथ काम किया। इनमें जी. देवराजन, एम.एस. बाबुराज, वी. दक्षिनामूर्ति, के. राघवन, एम.एस. विश्वनाथन, इलैयाराजा, कोटी, श्याम, एम.एम. कीरवानी, विद्यासागर, और एआर रहमान जैसे नाम शामिल हैं। उनके कार्यों में गुंजन कला का अनूठा समावेश था जिसने उन्हें संगीत की दुनिया में विशेष स्थान दिलाया।

गायकी के अलावा, जयरचंद्रन ने अभिनय में भी अपने हाथ आजमाए। उन्होंने 'नखक्षत्रम', 'श्री कृष्ण परुन्थु', और 'त्रिवेंद्रम लॉज' जैसी फिल्मों में अपने अभिनय का प्रदर्शन किया। उनके अभिनय के साथ-साथ उनके स्वर ने भी उन्हें मलयालम सिनेमा में एक अद्वितीय स्थान दिलाया।

सम्मानित पुरस्कार और विशेष योगदान

जयरचंद्रन को उनकी अद्वितीय आवाज और योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। 1986 में उन्हें 'सर्वश्रेष्ठ पुरुष पार्श्व गायक' के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला। इसके अलावा, उन्होंने पांच केरल राज्य फिल्म पुरस्कार, दो तमिलनाडु राज्य फिल्म पुरस्कार, और 1997 में प्रतिष्ठित 'कला इमाय‍मानी' पुरस्कार प्राप्त किए। 2020 में, उन्हें मलयालम सिनेमा में उत्कृष्ट योगदान के लिए जेसी डेनियल अवार्ड से सम्मानित किया गया।

उनकी पत्नी ललिता और बच्चे लक्ष्मी और दीननाथ अभी उनके साथ हैं। जयरचंद्रन का जीवन और करियर संगीत प्रेमियों और आगामी पीढ़ियों के कलाकारों के लिए प्रेरणास्त्रोत बने रहेंगे। उनके जाने से संगीत की दुनिया में एक अपूरणीय क्षति हुई है।

जयरचंद्रन जैसे कलाकार अमर होते हैं। जब भी कोई उनके गीतों को सुनेगा, वह उनकी स्मृतियों में खो जाएगा। वे संगीत के माध्यम से सदैव जीवित रहेंगे, क्योंकि उनकी आवाज समय की सीमाओं को पार करती नजर आती है।

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